करौली. कोरोना संकट की मार ऐसी पड़ी कि अपने दामों से सरकार तक को हिला देने वाला प्याज अब खुद हिलकर रह गया है. प्याज के दामों में ऐसी गिरावट आई है कि किसानों को उनका लागत मूल्य भी निकालना मुश्किल हो गया है. जहां एक ओर प्याज की काफी अच्छी पैदावार हुई है तो वहीं लॉकडाउन ने लोगों को आंसू निकलवाने वाले प्याज के ही आंसू निकाल दिए है. अब किसानों को इसकी चिंता सताने लगी है. आर्थिक तंगी से परेशान किसानों को अब प्याज को आधे-पौने दामों में ही प्याज को खपाना पड़ रहा है.
पैदावार खूब हुई लेकिन नहीं मिले दाम
किसानों का कहना है कि प्याज की कीमत सामान्यतः 40-50 रुपए प्रति किलो रहती है. लेकिन कोरोना की मार ऐसी पड़ी है कि 10-15 रुपए प्रति किलो में बेचने को मजबूर हैं, जिससे मुनाफा तो दूर उत्पादन में लगी लागत भी नहीं निकल पा रही है. करौली जिले के सपोटरा क्षेत्र के बूकना, डूडीपुरा, पहाड़पुरा, हाड़ोती, बगीदा, बाजना सहित जिले के कई इलाकों में लगभग डेढ सौ हेक्टेयर मे प्याज का उत्पादन होता है. इस बार प्याज की बंपर पैदावार भी हुई है, लेकिन किसानों को उम्मीद के मुताबिक दाम नहीं मिलने से वे अब मायूस हो चुके हैं.
जयपुर-नासिक से भी आता है प्याज
करौली जिले में प्याज की ज्यादा डिमांड होने की वजह से जयपुर और नासिक शहर से भी प्याज खरीदा जाता है. यहां के व्यापारी बाहर से आने वाले प्याज को काफी अच्छे दामों में खरीदते हैं. इसलिए बाहर के व्यापारियों का करौली जिले में प्याज बेचने को लेकर काफी अच्छा रुझान रहता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से खरीददार नहीं मिल पा रहे. ऐसे में बाहर से प्याज तो आ रहा है लेकिन यहां पर प्याज की खपत ही नहीं हो पा रही है.
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वहीं, सब्जी मंडी में प्याज की दुकानदारी करने वाले अजहरुद्दीन, बल्लूखान रिहाज खान समेत कई लोगों ने बताया कि इस बार कोरोना संकट के बीच प्याज खरीददार ग्राहकों का रुझान बहुत कम है. ऐसे में लोग आढत से 7-8 रुपए प्रति किलो प्याज खरीद रहे हैं. वहीं, 10-15 रुपए प्रति किलो में बेचा जा रहा है. वहीं, अगर पिछले साल की बात करें तो पिछले साल इन दिनों प्याज 40 से 50 रुपए किलो में बेचा जा रहा था.
प्याज होने लगे है खराब
लॉकडाउन के चलते सभी होटल-ढाबे बंद पड़े है, ऊपर से शादी विवाह भी स्थगित कर दिया गया है, जिससे प्याज के दामों में भारी गिरावट हुई है. वहीं, इन दिनों में प्याज का दाम बढ़ने की आशंका से अधिकतर विक्रेताओं ने प्याज का स्टोर भी जमा कर लिया. लेकिन लॉकडाउन के बाद खपत नहीं होने से प्याज नहीं बिक पा रहा. इससे किसानों के पास रखा प्याज भी खराब हो रहा है. कई किसानों ने गिले प्याज को ही खोदकर स्टोर में रख लिया था, जो खराब होने लगे हैं.
गर्मी ने भी इस बार नहीं दिया प्याज का साथ
कहा जाता है कि भीषण गर्मी में तेज लू से बचाने के लिए प्याज का प्रयोग सर्वाधिक श्रेष्ठ माना जाता है. इस बीच प्याज की डिमांड काफी ज्यादा रहती है. लेकिन इस बार प्याज का साथ तेज लू वाली गर्मी ने भी नहीं दिया. दरअसल, तापमान 45 से पार होने के बाद से ही मंडियों में प्याज की खपत नहीं हो पा रही है. दुकानदारों का कहना है कि इन दिनों में प्याज की ज्यादातर डिमांड रहती थी. लेकिन अब इक्के-दुक्के प्याज खरीददार ही नजर आते हैं. ऐसे में कोरोना संकट ने भूखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है.