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नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने राष्ट्रपति के नाम SDM को सौंपा ज्ञापन

करौली के हिण्डोन सिटी में नागरिकता संशोधन एक्ट को वापस लेने को लेकर रविवार को एक विशाल बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में जमीयत उलमा-ए-हिंद के पदाधिकारियों के साथ काफी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए. जिसके बाद लोगों ने CAA (नागरिकता संशोधन एक्ट) का विरोध किया.

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Published : Dec 22, 2019, 6:17 PM IST

karauli latest news, नागरिकता संशोधन एक्ट
नागरिकता संसोधन विधेयक के विरोध में एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

हिण्डौन सिटी (करौली). नागरिकता संशोधन एक्ट को वापस लिए जाने को लेकर रविवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद के पदाधिकारियों सहित काफी संख्या में लोग ईदगाह में एकत्रित हुए. इस दौरान एक विशाल बैठक का आयोजन किया गया. उसके बाद जमीअत उलमा ए हिन्द के समर्थकों ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए राष्ट्रपति के नाम एसडीएम सुरेश यादव को ज्ञापन सौंपकर विधेयक को अमान्य करते हुए इससे वापस लिए जाने की मांग की.

नागरिकता संसोधन विधेयक के विरोध में एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन में उल्लेख करते हुए हिण्डौन सदर अब्दुल वाहिद ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून भारतीय नागरिकता का निर्धारण करने के लिए कानूनी मापदंड के रूप में धर्म का उपयोग करता है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और15 के विपरीत है.

इस कानून के समर्थन में केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने कहा है कि इस कानून का इरादा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से हमारे भारत देश में आने वाले वहां के अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भारतीय नागरिकता देना रहेगा. जो कि हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध या अन्य किसी धर्म के अनुयायी हो सकते हैं.

पढ़ें- करौलीः सूर्य ग्रहण के चलते मदन मोहनजी मंदिर की सेवा समय में हुआ बदलाव

वहीं, दूसरी ओर ऐसे लोग जो 1971 से भारत के निवासी होने का प्रमाण नहीं दे पाएंगे, उनमें से मुसलमानों के अलावा अन्य धर्म के लोगों को इस कानून की ओर से भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी. इसलिए यह धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला कानून भारतीय संविधान की धर्म निरपेक्ष भावना के विरुद्ध है. यह कानून असम समझौता 1985 जिसके अनुसार विदेशी का पता लगाने के लिए जो तारीख तय की गई थी उसका भी उल्लंघन करता है.

संविधान की मूल भावना के विरुद्ध कानून बनाने के केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए इस कृत्य की हम निंदा करते हैं. हमारे देश के संविधान को इस सरकार से खतरा है. इस मामले में रविवार को राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. अगर हमारी मांग पूरी नही हुई तो नियमित रूप से जमीयत की ओर से लोकतांत्रिक तरीके से समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.

हिण्डौन सिटी (करौली). नागरिकता संशोधन एक्ट को वापस लिए जाने को लेकर रविवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद के पदाधिकारियों सहित काफी संख्या में लोग ईदगाह में एकत्रित हुए. इस दौरान एक विशाल बैठक का आयोजन किया गया. उसके बाद जमीअत उलमा ए हिन्द के समर्थकों ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए राष्ट्रपति के नाम एसडीएम सुरेश यादव को ज्ञापन सौंपकर विधेयक को अमान्य करते हुए इससे वापस लिए जाने की मांग की.

नागरिकता संसोधन विधेयक के विरोध में एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन में उल्लेख करते हुए हिण्डौन सदर अब्दुल वाहिद ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून भारतीय नागरिकता का निर्धारण करने के लिए कानूनी मापदंड के रूप में धर्म का उपयोग करता है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और15 के विपरीत है.

इस कानून के समर्थन में केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने कहा है कि इस कानून का इरादा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से हमारे भारत देश में आने वाले वहां के अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भारतीय नागरिकता देना रहेगा. जो कि हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध या अन्य किसी धर्म के अनुयायी हो सकते हैं.

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वहीं, दूसरी ओर ऐसे लोग जो 1971 से भारत के निवासी होने का प्रमाण नहीं दे पाएंगे, उनमें से मुसलमानों के अलावा अन्य धर्म के लोगों को इस कानून की ओर से भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी. इसलिए यह धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला कानून भारतीय संविधान की धर्म निरपेक्ष भावना के विरुद्ध है. यह कानून असम समझौता 1985 जिसके अनुसार विदेशी का पता लगाने के लिए जो तारीख तय की गई थी उसका भी उल्लंघन करता है.

संविधान की मूल भावना के विरुद्ध कानून बनाने के केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए इस कृत्य की हम निंदा करते हैं. हमारे देश के संविधान को इस सरकार से खतरा है. इस मामले में रविवार को राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. अगर हमारी मांग पूरी नही हुई तो नियमित रूप से जमीयत की ओर से लोकतांत्रिक तरीके से समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.

Intro:नागरिकता संसोधन विधेयक का जमीअत उलमा ए हिन्द ने किया विरोध,

राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन।

हिण्डौन सिटी। नागरिकता संशोधन कानून को वापस लिए जाने को लेकर रविवार को जमीअत उलमा ए हिंद के पदाधिकारियों सहित काफी संख्या में लोग ईदगाह में एकत्रित होकर विशाल बैठक का आयोजन किया । उसके बाद जमीअत उलमा ए हिन्द के समर्थकों ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए राष्ट्रपति के नाम एसडीएम सुरेश यादव को ज्ञापन सौंपकर विधेयक को अमान्य करते हुए इससे वापस लिए जाने की मांग की।

ज्ञापन में उल्लेख करते हुए हिण्डौन सदर अब्दुल वाहिद ने बताया कि नागरिकता कानून भारतीय नागरिकता का निर्धारण करने के लिए कानूनी मापदंड के रूप में धर्म का उपयोग करता है,जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 के विपरीत है।इस कानून के समर्थन में केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने कहा है कि इस कानून का इरादा पाकिस्तान,अफगानिस्तान व बांग्लादेश से हमारे भारत देश में आने वाले वहाँ के अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भारतीय नागरिकता देना रहेगा। जो कि हिन्दू,जैन,सिख,बौद्ध या अन्य किसी धर्म के अनुयायी हो सकते हैं।दूसरी ओर ऐसे लोग जो 1971 से भारत के निवासी होने का प्रमाण नहीं दे पाएंगे, उनमें से मुसलमानों के अलावा अन्य धर्म के लोगों को इस कानून के द्वारा भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। इसलिए यह धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला कानून भारतीय संविधान की धर्म निरपेक्ष भावना के विरुद्ध है।
यह कानून असम समझौता 1985 जिसके अनुसार विदेशी का पता लगाने के लिए जो तारीख तय की गई थी उसका भी उल्लंघन करता है।
संविधान की मूल भावना के विरुद्ध कानून बनाने के केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किए गए इस कृत्य की हम निंदा करते हैं। हमारे देश के संविधान को इस सरकार से खतरा है । इस मामले में रविवार को राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। अगर हमारी मांग पूरी नही हुई तो नियमित रूप से जमीयत द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

बाईट ----------- जमीअत उलमा ए हिंद सदर हिंडौन अब्दुल वाहिदBody:Nagrikta sansodhan act ko kharij karne ki maangConclusion:
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