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सावन माह शुरु होने के बाद भी करौली में बारिश नहीं, फसलों के झुलसने की संभावना

सावन माह शुरु होने के बाद भी करौली में बारिश नहीं होने से उच्च तापमान और मौसम में गर्मी बनी हुई है. गर्मी से बोई गई फसल के झुलसने की संभावना है. वहीं किसानों का कहना है कि बारिश नहीं हुई तो आत्महत्या के हालात हो जाएंगे.

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Published : Jul 24, 2019, 5:34 AM IST

मौसम की बेरुखी से फसल खराब होने की कगार पर

करौली . जिले में सावन महीने के शुरु होने के बाद भी बारिश नहीं हो रही है. बारिश नहीं होने के कारण तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जिससे किसानों द्वारा खेतों में बोई गई खरीफ की फसल के झुलसने की संभावना बनी हुई है.

मौसम की बेरुखी से फसल खराब होने की कगार पर

कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीणा ने बताया कि बुवाई के लिए मिट्टी में नमी होना जरूरी है. अभी मानसून की पहली बारिश हो गयी है. यह बाजरे के अंकुरण के हिसाब से तो ठीक हैं. अगर इसके बाद थोड़े-थोड़े अंतराल पर बारिश होती रही तो अच्छी पैदावार होगी . लेकिन यदि बारिश होने में देर हुई तो झुलसने से अंकुरित फसल नष्ट हो सकती है.

बता दें कि कृषि विभाग के अनुसार इस बार खरीफ के सीजन के लिए कृषि विभाग की ओर से जिले में 1.62 लाख हेक्टेयर में बुवाई का रकबा तय किया गया है. जिसमें 1.30 हेक्टेयर में बाजरा, 21 हजार हेक्टेयर में तिलहन, और शेष में ज्वार, ग्वार चावल ,अरहर आदि हैं.

कर्ज लेकर की है फसल की बुआई: किसान

किसानों ने बताया कि फसल की बुवाई उन्होंने कर्ज लेकर की है. सावन का महीना होने के बावजूद भी बारिश नहीं होने से उनके सामने चिंता का विषय बना हुआ है. वहीं किसानों ने कहा कि यदि बारिश नहीं हुई तो ऐसे में उनके लिए आत्महत्या के हालात पैदा हो जाएंगे.

करौली . जिले में सावन महीने के शुरु होने के बाद भी बारिश नहीं हो रही है. बारिश नहीं होने के कारण तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जिससे किसानों द्वारा खेतों में बोई गई खरीफ की फसल के झुलसने की संभावना बनी हुई है.

मौसम की बेरुखी से फसल खराब होने की कगार पर

कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीणा ने बताया कि बुवाई के लिए मिट्टी में नमी होना जरूरी है. अभी मानसून की पहली बारिश हो गयी है. यह बाजरे के अंकुरण के हिसाब से तो ठीक हैं. अगर इसके बाद थोड़े-थोड़े अंतराल पर बारिश होती रही तो अच्छी पैदावार होगी . लेकिन यदि बारिश होने में देर हुई तो झुलसने से अंकुरित फसल नष्ट हो सकती है.

बता दें कि कृषि विभाग के अनुसार इस बार खरीफ के सीजन के लिए कृषि विभाग की ओर से जिले में 1.62 लाख हेक्टेयर में बुवाई का रकबा तय किया गया है. जिसमें 1.30 हेक्टेयर में बाजरा, 21 हजार हेक्टेयर में तिलहन, और शेष में ज्वार, ग्वार चावल ,अरहर आदि हैं.

कर्ज लेकर की है फसल की बुआई: किसान

किसानों ने बताया कि फसल की बुवाई उन्होंने कर्ज लेकर की है. सावन का महीना होने के बावजूद भी बारिश नहीं होने से उनके सामने चिंता का विषय बना हुआ है. वहीं किसानों ने कहा कि यदि बारिश नहीं हुई तो ऐसे में उनके लिए आत्महत्या के हालात पैदा हो जाएंगे.

Intro:मानसून की बेरुखी और प्रचंड उमस भरी गर्मी के दौर को लेकर जिले के किसान चितिंत नजर आने लगे है... सावन माह में भी तल्ख होते पारे के तेवरों ने किसानों को पसीना पसीना कर रखा है.. सावन के महीने में भी इंद्रदेव राहत नहीं दे रहे हैं..जिससे किसान फसल को लेकर चिंतित है...किसानों के द्वारा खेतों में फसल की बुबाई करने के बाद भी बारिश नहीं होने से किसानों के द्वारा खेतों में बोई गई खरीफ की फसल अब सूखने की कगार पर है जिससे किसानों के चेहरे पर निराशा छाई हुई है....


Body:

मौसम की बेरुखी से फसल खराब होने की कगार पर,
किसान के चेहरे पर चिंता की लकीरें,


करौली


मानसून की बेरुखी और प्रचंड उमस भरी गर्मी के दौर को लेकर जिले के किसान चितिंत नजर आने लगे है... सावन माह में भी तल्ख होते पारे के तेवरों ने किसानों को पसीना पसीना कर रखा है.. सावन के महीने में भी इंद्रदेव राहत नहीं दे रहे हैं..जिससे किसान फसल को लेकर चिंतित है...किसानों के द्वारा खेतों में फसल की बुबाई करने के बाद भी बारिश नहीं होने से किसानों के द्वारा खेतों में बोई गई खरीफ की फसल अब सूखने की कगार पर है जिससे किसानों के चेहरे पर निराशा छाई हुई है....


दरअसल करौली जिले में इन दिनों तेज तापमान व मौसम की बेरुखी के कारण क्षेत्र के लोगों सहित किसानों का बुरा हाल है...सावन माह मे भी बरसात नही होने से किसानों द्वारा बोई गई खरीफ की फसल सुखने की कगार पर आ गई है..जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखना शुरू हो गई है.. जिस कारण किसान रोने पर मजबूर है..


बता दें कि इस बार खरीफ के सीजन के लिए कृषि विभाग की ओर से जिले में 1.62 लाख हेक्टेयर में बुवाई का रकबा तय किया है.. जिसमें 1.30 हेक्टेयर में बाजरा, 21 हजार हेक्टेयर में तिलहन, और बचे कूचे में ज्वार ग्वार चावल अरहर आदि हैं,


कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीणा का कहना है की बुबाई के लिए मिट्टी में नमी होना जरूरी है.. अभी मानसून पूर्व की बारिश हुई है.. यह बाजरे के अंकुरण के हिसाब से तो ठीक हैं..अगर इसके बाद थोड़े-थोड़े अंतराल पर बारिश होती रहे तो अच्छी पैदावार होती है.. लेकिन अगर बारिश होने में अंतराल आ जाता है तो बीच के झुलसने से अंकुरित होने की समस्या रहेगी.. शुरुआत में बुबाई में रिक्स रहती है...


किसानों ने बताया की खेत में बोई गई फसल को कर्ज लेकर बुबाई तो कर दी.. लेकिन अब नौबत यह आ गई है की इंद्रदेव की मेहरबानी नहीं होने के कारण सावन का महीना होने के बावजूद भी बारिश नहीं होने से किसान आत्महत्या को मजबूर है..


बाईट----चेतराम मीना कृषी अधिकारी,

बाईट--किसान मावसिया मीना





Conclusion:
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