करौली. जिला अस्पताल का लेबर रूम लक्ष्य कार्यक्रम के तय मापदंडों को पूरा करके स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिए जाने वाले प्रमाण पत्र को हासिल करने में कामयाब रहा. मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के सुदृढ़ीकरण के लिए भारत सरकार की ओर से 2017 में शुरू किए गए लक्ष्य कार्यक्रम में विविध सेवाओं में 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने होते हैं. जिसके बाद सरकार की ओर से प्लैटिनम श्रेणी दी जाती है. प्लैटिनम श्रेणी मिलने के बाद संबंधित अस्पताल को सरकार की ओर से तीन लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. जिसका 25 प्रतिशत भाग इन्सेंटिव के रूप मे उपहार स्वरूप लेबर रूम मे कार्यरत स्टाफ को दिया जाता है.
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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश चंद मीणा ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य ईकाई के लिए लेबर रूम में स्वच्छता प्रबंधन, संक्रमण प्रबंधन, क्लिनिकल सेवाओं की प्रदानता एवं सभी प्रकार की सेवाओं में गुणवत्ता लाकर जिला अस्पताल ने 'लक्ष्य' कार्यक्रम में प्लेटिनम श्रेणी हासिल की है. उन्होंने बताया कि लक्ष्य प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद जिला अस्पताल को 3 साल में 3 लाख रुपए मिलेंगे जिससे लेबर रूम की व्यवस्थाऐं सुदृढ़ होंगी और आवश्यक संसाधनों की कमी भी पूरी होगी. वहीं, इस राशि का 25 फीसदी भाग लेबर रूम कार्मिकों को इंसेंटिव के रूप में दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि प्रदेश में लक्ष्य कार्यक्रम के तहत धौलपुर जैसलमेर के बाद करौली जिले को प्लेटिनम श्रेणी प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है, प्लेटिनम प्रमाण पत्र लक्ष्य के मापदंडों अनुसार 90 फीसदी अंक हासिल करने वालों को प्राप्त होता है. उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल के लक्ष्य हासिल करने में पीएमओ, जिला अस्पताल के लेबर रूम कार्मिक, जिला कार्यक्रम प्रबंधक आशुतोष पांडे, दक्षिता मेंटर इरशाद मिर्जा, यूएनएनपीए से डॉ. उज्जवल और यतेंद्र शर्मा और जिला प्रतिनिधि मनीष कुमार का अहम योगदान रहा है.
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. सतीश चंद मीणा ने लेबर रूम पहुंचकर कार्मिकों को बधाई दी और प्रसव कालीन सेवाओं में गुणवत्ता बनाए रखने की अपेक्षा जताई. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश गुप्ता ने लक्ष्य कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल का चयन होने पर उन्होने खुशी जाहिर करते हुए सहयोगी टीम को धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने लेबर रूम कार्मिकों की कड़ी मेहनत को इसका श्रेय देते हुए बताया कि लक्ष्य मे स्थान हासिल करने के लिए प्रसव कक्ष व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है, सेवाओं में गुणवत्तापूर्ण हो गई है, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के सुदृढ़ीकरण में हम कामयाब होंगे और प्रसूता एवं नवजात शिशुओं के उपचार एवं देखभाल सेवाएं मजबूत होंगी.