करौली. जिले में एक बार फिर किसानों पर कुदरत ने कहर ढाया है. इस बार पहले किसानों को मानसून ने इंतजार कराया.जब मानसून मेहरबान हुआ तो फसलों पर टिडि्डयों ने हमला कर दिया.अब जब फसलें पकने की स्थिति में है तो कई दिनों से मौसम में नमी रहने से रोगों ने चपेट में ले लिया. बाजरे की फसल में लट का प्रकोप बढ़ गया है. एक-एक सिट्टे पर पांच से सात हरे रगं की लटें देखते ही देखत चट कर रही हैं. जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरना शुरू हो गई है.
कई खेत में तो झुलसा रोग ने ऐसा झुलसा दिया कि पूरा खेत ही नष्ट हो गया. जिले के कई गांवों में बाजरा फसल में इन दिनों सफेद और हरी लट व फड़का रोग लगा हुआ है. सफेद लट बाजरे की जड़ों को और हरी लट बालियों को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है. किसानों के अनुसार बाजरा फसल में 40 से 60 प्रतिशत नुकसान है.वही कृषि अधिकारियों के मुताबिक 5 से 6 प्रतिशत नुकसान होना बताया जा रहा है.
बाजरे में हुआ नुकसान
खरीफ की फसल में प्रमुख बाजरा फसल में किसानों को नुकसान की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. लट का रोग तो है ही, साथ ही तने में फड़का कीट लगा हुआ है.किसानों का कहना है कि बाजरे के एक पौधे की एक बाली में करीब 5 से 7 लट देखने को मिली जो बालियों को खोखला कर रही हैं. बालियों में हरी लट और जड़ों में सफेद लट लगी हुई है.और तने को फड़का कीट नष्ट कर रहा है.
![Crop being destroyed due to insects](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8847089_krl.png)
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चने की फसल में अतिक्रमण की संभावना
कृषि विभाग के उपनिदेशक बीडी शर्मा ने बताया कि जिले में लगभग 1लाख 31 हजार हेक्टेयर में बाजरा की फसल की बुवाई हुई है.जिसमे लगभग 20 प्रतिशत बाजरे की पछेती बुबाई हुई है. उन्होंने कहा कि इस समय जो बाजरे में हरी लट का रोग लगा हुआ है.जो चने की फसल मे भी लगता है. उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों द्वारा सयुंक्त रूप से फसल का जायजा लिया. तो देखा गया पांच से छह प्रतिशत किसानों को नुकसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि अब यह लट का रोग आगे जाकर परेशान नहीं करेगा. क्योंकि यह जो लट है वह बाजरे की दूधिया अवस्था में ज्यादा नुकसान करती है और जैसे ही दाना पकाव की ओर आएगा तो यह नुकसान नहीं करेगी. इस समय बाजरे की फसल कटाई की ओर है तो इससे अब ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि वैसे इस रोग की कीटनाशक दवाई का छिड़काव करके रोकथाम कर सकते हैं. लेकिन इस समय किसान के लिए दवाई का छिड़काव करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है क्योंकि फसल पककर तैयार है.ओर कटने वाली है.
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उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि फसल के कटने के बाद किसान खेत में जुताई के समय कीटनाशक दवाई का छिड़काव कराएं.जिससे यह लट का रोग चने की फसल में ना लग सके. क्योंकि यह लट जैसे ही नीचे गिरेगी तो अपनी अवस्था को बदलेगी तो इसकी चने की फसल में अतिक्रमण करने की संभावना रहेगी. इसकी रोकथाम करने के लिए पहले से ही जमीन के अंदर कीटनाशक का छिड़काव अवश्य करें.
किस फसल की कितने हेक्टेयर में बुआई
उप निदेशक कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष खरीफ फसल की बुवाई में चावल 1280 हेक्टेयर, बाजरा 1लाख 31 हजार हेक्टेयर, ज्वार 175 हेक्टेयर, मक्का 45 हेक्टेयर, अरहर 110 हेक्टेयर, मूंग 40 हेक्टेयर, उड़द 35 हेक्टेयर, ग्वार 850 हेक्टेयर, तिल 20800, मूंगफली100 हेक्टेयर, हरा चारा 800 तथा अन्य फसल 4450 हेक्टेयर में हुई है.
![Agriculture department employees also saw problem](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8847089_krl.jpg)
इन गांवों में रोग का प्रकोप ज्यादा
हिंडौन क्षेत्र के क्षेत्र के हिंगोट, कजानीपुर, कांदरौली, दानालपुर, कटकड़, रीठौली, मैडी, सनेट, कुतकपुर, गुनसार, टोडूपुरा, चादनगांव, किरवाडा, गांवड़ामीना, गुर्जर गांवड़ा, करई, सीतापुर, पाली, चुरारी, घोंसला, खेड़ली, महू, पीपलहेड़ा, मूंडरी, गुढ़ापोल,नादौती,सपोटरा सहित कई गांवों में बाजरा की फसल में रोग का प्रकोप है, कृषि विभाग के अधिकारियों ने गांवों में जाकर फसल के नुकसान का जायजा लिया है. साथ ही किसानों से समझाइश कर आवश्यक सुझाव दिए हैं.
किसानों की सरकार से मुआवजे की मांग
किसानों ने ईडी भारत की टीम से बातचीत करते हुए कहा कि पहले कोरोना की मार,फिर मानसून का इंतजार,उसके बाद टिड्डियों की मार,लेकिन अब फसल मे रोग लगने से किसान की कमर टुट गई है.पसीना बहाने के बाद भी कुदरत रूठ रही है.अब किसान क्या करे.पहले ही किसान कर्ज से दबा बैठा है.अब फसल मे रोग लगने के बाद नही मुसीबत पैदा हो गई है. किसानों ने कहा कि 15 दिन पहले तक बाजरे की फसल में बंपर पैदावार होने की संभावना थी.
लेकिन अचानक से लट रोग के लग जाने से पूरी मेहनत पर पानी फिर गया है. फसल को लट चट कर गई हैं.जिससे 30 से 40% तक फसल में नुकसान हो गया है. किसानों ने सरकार से गुहार लगाते हुए खराब हुई फसल का मुआवजा देने की मांग की है.