करौली. कहने को तो जानवर बेजुबान होते हैं. इनकी भाषा इंसानी समझ से परे है, लेकिन यही जानवर कई बार बिना कुछ कहे भी इंसानों को जीवन जीने का सलीका सिखा जाते हैं. ममता सिर्फ इंसानों में नहीं जानवरों में भी कूट-कूट कर भरी होती है. यह तो जगजाहिर है. अपने बच्चे के लिए तो हर मां के भीतर प्यार-दुलार होता है, लेकिन जब बात दूसरे के बच्चों की हो, तो इंसान भी एक बार के लिए सोचने को मजबूर हो जाता है. पर एक मादा श्वान ममता की मिसाल कायम कर रही है. यह मादा श्वान खुद तो बेजुबान है पर बकरी के बच्चों की भूख को भली-भांति समझती है.
यह अद्भुत नजारा है करौली के सपोटरा गांव का. जहां एक मादा श्वान बकरी के बच्चों को दूध पिलाती है. मादा श्वान का इस तरह से बकरी के बच्चों को दूध पिलाना ग्रामीणो मे भी कौतूहल का विषय बना हुआ है. इस तरह एक जानवर का दूसरे जानवर के बच्चे के प्रति स्नेह मित्रता और मातृत्व का संदेश दे रहा है.
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प्रेम के घर प्रेम से रहती हैं यह बकरी और मादा श्वान...
दरअसल सपोटरा के नारायणपुर के रहने वाले प्रेम राज महावर ने बकरी पाल रखी है. जहां पर प्रेम का घर है, वहीं कुछ दूरी पर एक मादा श्वान काफी दिनों से रह रही है. बदलते वक्त के साथ बकरी और मादा श्वान के बीच गहरी मित्रता हो चुकी है कि बकरी के बच्चों को मादा श्वान अपना दूध बिका किसी झिझक के पिलाती है. जब भी बकरी का मन नहीं होता या फिर बकरी के बच्चे श्नान के पास जाकर दूध पीने की जिद करते हैं, तो मादा श्वान अपना सारा प्यार उन बच्चों पर लूटा देती है.
दोस्ती की है अनूठी मिसाल :
ममता के इस रिश्ते को लेकर बकरी के मालिक प्रेमराज महावर का कहना है कि बकरियों के साथ-साथ यह मादा श्वान भी साथ रहने लगी. इसके बाद इनकी दोस्ती गहरी होती चली गई और जब बकरी ने बच्चों को जन्मा, तो मादा श्वान ने बकरी के बच्चों को दूध पिलाना शुरू कर दिया. यह उनकी बकरी और मादा श्वान के दोस्ती की एक मिसाल है. ममता के इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए गांव के कोने-कोने से कई लोग आते हैं. जो भी मादा श्वान को बकरी के बच्चों पर ममता लुटाते हुए देखता है आश्चर्य में पड़ जाता है. लोग इस क्षण को देखने के लिए मादा श्वान के इर्द-गिर्द जमा हो जाते हैं. लेकिन मजाल है कि मादा श्वान बकरी के बच्चों को दूध पिलाते समय टस से मस हो जाए.
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स्नेह की डोर से बंधे बकरी के बच्चे...
इस नजारे के पीछे का मनोवैज्ञानिक कारण जानने के लिए ईटीवी भारत ने पशु चिकित्सक से भी बात की, कि आखिर एक जानवर का दूसरे प्रजाति के जानवर के बच्चों पर अपनी ममता लुटाना व्यवहारिक है. इस पर हमें जवाब देते हुए पशु चिकित्सक नलिनी किशोर ने बताया कि यह बिल्कुल अद्भुत मामला है. उन्होंने पहले न तो कभी ऐसा सुना, न ही ऐसा देखा है. पशु चिकित्सक ने भी इसे एक मां की ममता और दुलार का नाम दे दिया और कहा कि ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है. इसको हम मित्रता और मातृत्व का संदेश भी कह सकते हैं. इसके साथ ही बकरी के बच्चों को क्या इस मादा श्वान के दूध से कोई नुकसान हो सकता है यह पूछने पर उन्होंने कहा कि इसमें तो कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि दूध सबका लगभग एक जैसा ही रहता है.
बच्चों की ममता के डोर में बंधी यह मादा श्वान इन बच्चों का ख्याल अपने बच्चों की तरह ही रखती है और ये बच्चे भी सारा-सारा दिन उसके पीछे-पीछे घुमते रहते हैं, मानों यही उनकी जननी हो. कलयुग में जहां सगी मां अपनी ही ममता का गला घोट देती है. वहीं दूसरी ओर से यह मासूम बेजुबान जानवर प्यार और अपनेपन की नई मिसाल पेश कर रही है.