करौली. आज हमारे कदम चांद और मंगल तक पहुंच चुके हैं. डिजिटल भारत साक्षर भारत की बातें हमारी सरकारें करती हैं, तो वहीं दूसरी ओर इस डिजिटल भारत में स्कूलों की स्तर पर बेहद ही भयानक तस्वीर हमारे सामने आई है. जिस देश में लोग तकनीक की बात करते हैं, उस देश के बच्चों को पढ़ाई का बेसिक, यानी कि क, ख ,ग भी नहीं आता है. बच्चे तो बच्चे, शर्म की बात तो यह है कि उन्हें पढ़ाने वाले मास्टर इतना भी नहीं जानते हैं कि हिंदी में कितने व्यजंन होते हैं.
अब आप सोच ही सकते हैं कि सरकार के साक्षर भारत का अभियान कितनी तरक्की पर है. जो बच्चे इस देश का भविष्य हैं. अगर उनकी शिक्षा का स्तर इतना खराब होगा तो हमारा यह देश कौनसी प्रगति की राह पकड़ रहा है. जहां बच्चों शैक्षणिक स्तर इतना खराब है.
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राजस्थान सरकार की ओर से सभी जिलों में शिक्षा का स्तर पता करने के लिए ऊपर से आर्डर दिए गए हैं. जिसके तहत करौली के जिला कलेक्टर ने इस काम को प्रमुखता से लेते हुए खुद ही स्कूलों में जाकर वहां का हाल जाना, तो जो हकीकत सामने आई, उससे जिला कलेक्टर खुद भी आश्चर्य में पड़ गए.
दरअसल इन दिनों करौली जिला कलेक्टर डॉ. मोहन लाल यादव शिक्षा की गुणवत्ता जांचने के लिए पिछले एक सप्ताह से स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं. इस कड़ी में कलेक्टर जब पंचायत समिति के गांव ससेडी के राजकीय विद्यालय पहुंच गए.12वीं के बच्चों से स्वर और व्यजंन के बारे में पूछा, तो बच्चे क, ख, ग, घ में ही फंसकर रह गए. हैरानी की बात तो यह है कि बच्चे तो बच्चे खुद शिक्षकों को भी नहीं पता कि व्यजंन कितने होते हैं.
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व्यंजन तो आता नहीं, उतर आए सिफारिश पर
कलेक्टर के अचानक यूं स्कूल पहुंच जाने पर शिक्षक घबरा गए और जवाब नहीं दे पाने के बाद उनसे माफी मांगने लगे. एक शिक्षक ने तो हाथ तक जोड़कर कहा- गुरूजी आप थोड़ी कृपा करो न. इस पर कलेक्टर ने फटकारते हुए कहा कि कितनी तन्ख्वाह लेते हो, शिक्षा की क्वालिटी देखो, क्यों नहीं सुधारते हो, मेहनत क्यों नही करते हो. देखो बच्चों की हालात आपके सामने है.
जिला कलेक्टर ने लगाई फटाकर
कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा की जब आप प्राईवेट स्कूलों में जाकर काम करोगे, तो आपको 10 हजार से ज्यादा कोई नहीं देगा और सरकार आपको 70 हजार रूपए देती है, तो आप हमसे सिफारिश कर रहे हो. जिला कलेक्टर भी स्कूल के इस तरह के हालात देखकर हक्के-बक्के रह गए. इसके बाद उन्होंने हर क्लास में पहुंचकर बच्चों से सवाल-जवाब किया. लगभग सभी क्लासों का हाल एक सा ही नजर आया.
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कलेक्टर ने जारी किए आदेश
जिला कलेक्टर डॉ. मोहन लाल यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि राज्य सरकार के निर्देश है कि बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले. इसके लिए सभी स्कूलों का निरीक्षण किया जाए. इस निरीक्षण में स्कूलों के बदतर हालात मुझे देखने को मिल रहे हैं. बच्चों का शैक्षणिक स्तर कमजोर पाया गया. साथ ही शिक्षकों को भी सवाल के जबाब मालूम नही थे. शिक्षा अधिकारियों को सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं.
एक तरफ राजस्थान सरकार स्कूलों में शिक्षा की क्वालिटी डेवलप करने की बात करती है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी विद्यालयों का शिक्षा स्तर दिनों-दिन घटता ही जा रहा है. 12वीं कक्षा के विधार्थियों को स्वर और व्यंजन के बारे में जानकारी तक नही है. विधार्थी तो छोड़ों उनको अध्ययन करवाने वाले खुद गुरूजी भी सही जबाब देने में फिसल गए. ऐसे में अब प्रशासन को ही सोचना होगा कि इन बच्चों का भविष्य कितने अंधकार में जा रहा है. आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करने वाले मास्टरों की ऐसे स्थिति जमीनी हकीकत को बयां करती है.