करौली. कोरोना वायरस के कारण बच्चों को पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही बुक्स विक्रेताओं को भी कोरोना की मार झेलनी पड़ रही है. स्कूल बंद होने के कारण बुक्स विक्रेताओं का काम नहीं चल पा रहा है. जून महीने में जहां बुक्स विक्रेताओं का काम पूरे जोरो शोरो पर होता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ है.
विक्रेताओं ने दुकान पर किताबों का भंडार तो कर लिया, लेकिन इस बार किताबों की बिक्री ना के बराबर ही हुई है. पिछले साल की तुलना में इस बार केवल 15 से 20 प्रतिशत कार्य ही निकला है, जबकि स्कूल बंद होने से कॉपियों और अन्य स्टेशनरी की मांग बहुत ही कम है. जिस कारण बाजारों से कॉपियां और अन्य स्टेशनरी खरीदने वाला ग्राहक गायब है.
स्कूल बंद होने से ठप हुई ग्राहकी
स्टेशनरी विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते लागू किए गए लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने और विद्यार्थियों की छुट्टी होने की वजह से पूरा सीजन पीट गया है. ग्राहक नहीं आने से सारी दुकानदारी भी खराब हो गई है. सरकार की तरफ से स्टेशनरी विक्रेताओं को दी जाने वाली बुक्स भी अबकी बार उपलब्ध नहीं करवाई गई है. यातायात की व्यवस्था खराब होने से दुकानों पर असर पड़ा है. जिससे दुकानदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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दुकानों का नहीं चुका पा रहा किराया
लॉकडाउन होने की वजह से स्टेशनरी विक्रेताओं की स्थिति दिनों दिन दयनीय होती जा रही है. विक्रेताओं ने बताया कि स्कूल कॉलेज और कोचिंग बंद होने की वजह से ग्राहकों का टोटा बना हुआ है. दुकानदारी पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है. जिस वजह से दुकानों का किराया भी नहीं चुका पा रहे हैं. दूसरी ओर घर का गुजारा करने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. विक्रेताओं ने बताया कि हर साल जून माह में स्टेशनरी की बिक्री चरम सीमा पर होती है, जो इस बार ना के बराबर है.
हर कोई आर्थिक तंगी का शिकार
करौली शहर के स्टेशनरी विक्रेता हुकम गोयल, अनिल गुप्ता, नरेंद्र गुप्ता, देवीसहाय अग्रवाल और पवन अग्रवाल, ने बताया कि जून माह में कोचिंग और कई निजी स्कूल खुलने के कारण बच्चे नई किताबें, कॉपियां और स्टेशनरी का सामान खरीदते थे, लेकिन इस बार स्कूल नहीं खुलने के कारण बच्चों ने किताबें नहीं खरीदी है. वहीं, लॉकडाउन के कारण सभी का कामकाज ठप होने के कारण लोगों को आर्थिक तंगी का सामना कर पड़ रहा है. इसके अलावा अधिकतर स्कूल संचालक बच्चों को ऑनलाइन काम भेज रहे हैं. जो बच्चे कर रहे हैं.