ETV Bharat / state

SPECIAL: कोरोना काल में पतंग व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार - effect of corona virus

कोरोना महामारी की मार से हर धंधा मंदा पड़ा हुआ है. छोटे-बड़े हर प्रकार के व्यवसाय कोरोना संकट की भेंट चढ़ गए. लेकिन कोरोना काल में करौली शहर में किसी व्यवसाय ने ऊंची उड़ान भरी है, तो वो है यहां का पतंग व्यवसाय. करौली में रक्षाबंधन और कृष्ण जन्माष्टमी पर पतंग उड़ाने की परंपरा रियासत काल से प्रचलित है. जिस वजह से यहां का पतंग व्यवसाय विकास कर रहा है.

करौली में पतंग व्यवसाय, Kite Business in Karauli
पतंग व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार
author img

By

Published : Aug 15, 2020, 7:11 PM IST

करौली. कोरोना महामारी की मार से कोई भी धंधा अछूता नहीं रहा. लगभग सभी व्यवसाय कोरोना संकट की भेंट चढ़ गए. लेकिन इसके विपरीत कोरोना काल मे करौली शहर में पतंग का व्यवसाय परवान पर चढ़ा है. दरअसल प्राचीनकाल से ही सावन माह की समाप्ती के साथ ही करौली जिले में पतंग उत्सव चालू हो जाता हैं. रक्षाबंधन से कृष्ण जन्माष्टमी तक बाजारों में पतंगों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ जमा होती है, लेकिन इस बार कोरोना काल मे पतंगों के व्यापार ने खासी रफ्तार पकड़ी हुई है. जिससे पतंग विक्रेताओं के चेहरे पर खुशी की लहर और चमक भी दिखाई दे रही है.

पतंग व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

बिक्री में 3 गुना हुआ इजाफा

पतंग विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना संकट के कारण स्कूल बंद है. जिससे बच्चों को पढ़ाई की ज्यादा चिंता नहीं होने की वजह से वह घर पर खाली बैठे रहते हैं. ऐसे में पतंग का सीजन अन्य सालों के मुकाबले में अच्छा चल रहा है. बच्चे सुबह से शाम तक पतंगों को उड़ाने का आनंद लेते हैं. पहले स्कूल जाने के कारण देर शाम के समय ही पतंग उड़ा पाते थे. कोरोना की वजह से बाजार भी जल्दी बंद होने से अधिकांश लोग घरों में ही रहते हैं. तो वो इस वक्त बच्चों के साथ छत पर पतंगों का मजा लेते हैं. इस स्थिति में पतंगों की बिक्री में तीन गुना तक इजाफा हुआ है.

करौली में पतंग व्यवसाय, Kite Business in Karauli
पतंग व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

25 साल बाद लगी पतंग व्यवसाय में हवा

पतंग विक्रेता विष्णु गुप्ता ने बताया कि वह बीते 25 सालों से पतंगों का धंधा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार पतंगों का सीजन परवान पर पहुंचा है. इस बार सुस्ताने को भी फुर्सत नहीं है. राखी और जन्माष्टमी के दिनों में बीस से पच्चीस हजार की बिक्री हो पाती थी. जबकि कोरोना महामारी के चलते इस बार 50 से 60 हजार तक की बिक्री हो रही है. पिछले साल के मुकाबले में पतंग, मांझा और डोर की कीमतों में इजाफा हुआ है. फिर भी बिक्री में कमी नहीं आयी है. करौली में तीन दर्जन से अधिक दुकानें पतंगों की हैं. सब पर इन दिनों खासी भीड़ नजर आ रही है.

यह भी पढ़ें : Special Report : डूंगरपुर के मूर्तिकार तराशेंगे राम मंदिर के लिए पत्थर, स्तंभों पर उकेरेंगे कलाकृतियां

रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक पतंगबाजी

करौली जिले में रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक पतंग उड़ाने की परंपरा है. ऐसे में बाजारों में पतंगों की दुकानों पर भारी भीड़ नजर आती है. लोग पतंगबाजी का लुत्फ लेने के लिए अपनी-अपनी छतों पर चढ़ जाते हैं. वो मारा वो काटा के शोर दिन भर सुनाई देते हैं. खासकर बच्चों में पतंग बाजी का शौक काफी रहता है. छोटे-छोटे बच्चे दिन भर पतंग उड़ाते है. कभी कटती पतंग को लूटने के लिए हाथों में बडे़-बडे़ डंडे लेकर भी दौड़ लगाते हैं.

करौली में पतंग व्यवसाय, Kite Business in Karauli
पतंग उड़ाते करौली वासी

देसी पतंगें बनी युवाओं की पसंद

यूं तो बाजार में विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी पतंग उपलब्ध हैं, लेकिन शहर में सबसे ज्यादा युवाओं को देसी और फैंसी पतंग पसंद आती है. यह पतंग दो रुपए से लेकर पचास रुपए तक बेची जा रही हैं. वहीं मांझा में बरेली का मांझा युवाओं की पहली पसंद बना हुई है. इसके अलावा कालाबिच्छू, जागीर बारशी, मुनक्का, शबीर बेग, कारीगरों के मांझे की भी युवाओं मे खूब डिमांड है. जो 180 से लेकर 400 रुपए तक बेचा जा रहा है. पतंग विक्रेताओं के अनुसार इस बार माजी की चक्की की कीमत में 100 से लेकर 130 रुपए तक का इजाफा इस साल में हुआ है.

करौली. कोरोना महामारी की मार से कोई भी धंधा अछूता नहीं रहा. लगभग सभी व्यवसाय कोरोना संकट की भेंट चढ़ गए. लेकिन इसके विपरीत कोरोना काल मे करौली शहर में पतंग का व्यवसाय परवान पर चढ़ा है. दरअसल प्राचीनकाल से ही सावन माह की समाप्ती के साथ ही करौली जिले में पतंग उत्सव चालू हो जाता हैं. रक्षाबंधन से कृष्ण जन्माष्टमी तक बाजारों में पतंगों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ जमा होती है, लेकिन इस बार कोरोना काल मे पतंगों के व्यापार ने खासी रफ्तार पकड़ी हुई है. जिससे पतंग विक्रेताओं के चेहरे पर खुशी की लहर और चमक भी दिखाई दे रही है.

पतंग व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

बिक्री में 3 गुना हुआ इजाफा

पतंग विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना संकट के कारण स्कूल बंद है. जिससे बच्चों को पढ़ाई की ज्यादा चिंता नहीं होने की वजह से वह घर पर खाली बैठे रहते हैं. ऐसे में पतंग का सीजन अन्य सालों के मुकाबले में अच्छा चल रहा है. बच्चे सुबह से शाम तक पतंगों को उड़ाने का आनंद लेते हैं. पहले स्कूल जाने के कारण देर शाम के समय ही पतंग उड़ा पाते थे. कोरोना की वजह से बाजार भी जल्दी बंद होने से अधिकांश लोग घरों में ही रहते हैं. तो वो इस वक्त बच्चों के साथ छत पर पतंगों का मजा लेते हैं. इस स्थिति में पतंगों की बिक्री में तीन गुना तक इजाफा हुआ है.

करौली में पतंग व्यवसाय, Kite Business in Karauli
पतंग व्यवसाय ने पकड़ी रफ्तार

25 साल बाद लगी पतंग व्यवसाय में हवा

पतंग विक्रेता विष्णु गुप्ता ने बताया कि वह बीते 25 सालों से पतंगों का धंधा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार पतंगों का सीजन परवान पर पहुंचा है. इस बार सुस्ताने को भी फुर्सत नहीं है. राखी और जन्माष्टमी के दिनों में बीस से पच्चीस हजार की बिक्री हो पाती थी. जबकि कोरोना महामारी के चलते इस बार 50 से 60 हजार तक की बिक्री हो रही है. पिछले साल के मुकाबले में पतंग, मांझा और डोर की कीमतों में इजाफा हुआ है. फिर भी बिक्री में कमी नहीं आयी है. करौली में तीन दर्जन से अधिक दुकानें पतंगों की हैं. सब पर इन दिनों खासी भीड़ नजर आ रही है.

यह भी पढ़ें : Special Report : डूंगरपुर के मूर्तिकार तराशेंगे राम मंदिर के लिए पत्थर, स्तंभों पर उकेरेंगे कलाकृतियां

रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक पतंगबाजी

करौली जिले में रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक पतंग उड़ाने की परंपरा है. ऐसे में बाजारों में पतंगों की दुकानों पर भारी भीड़ नजर आती है. लोग पतंगबाजी का लुत्फ लेने के लिए अपनी-अपनी छतों पर चढ़ जाते हैं. वो मारा वो काटा के शोर दिन भर सुनाई देते हैं. खासकर बच्चों में पतंग बाजी का शौक काफी रहता है. छोटे-छोटे बच्चे दिन भर पतंग उड़ाते है. कभी कटती पतंग को लूटने के लिए हाथों में बडे़-बडे़ डंडे लेकर भी दौड़ लगाते हैं.

करौली में पतंग व्यवसाय, Kite Business in Karauli
पतंग उड़ाते करौली वासी

देसी पतंगें बनी युवाओं की पसंद

यूं तो बाजार में विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी पतंग उपलब्ध हैं, लेकिन शहर में सबसे ज्यादा युवाओं को देसी और फैंसी पतंग पसंद आती है. यह पतंग दो रुपए से लेकर पचास रुपए तक बेची जा रही हैं. वहीं मांझा में बरेली का मांझा युवाओं की पहली पसंद बना हुई है. इसके अलावा कालाबिच्छू, जागीर बारशी, मुनक्का, शबीर बेग, कारीगरों के मांझे की भी युवाओं मे खूब डिमांड है. जो 180 से लेकर 400 रुपए तक बेचा जा रहा है. पतंग विक्रेताओं के अनुसार इस बार माजी की चक्की की कीमत में 100 से लेकर 130 रुपए तक का इजाफा इस साल में हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.