करौली. साल के सबसे बड़े अबूझ सावे अक्षय तृतीया पर इस बार कोरोना का संकट मंडरा रहा है. लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही राज्य सरकार ने सामाजिक आयोजनों पर रोक लगा रखी है. लेकिन सरकार ने अक्षय तृतीया को अबूझ सावा होने से विवाह आयोजनों की सशर्त स्वीकृति प्रदान की गई है. साथ ही बाल विवाहो रोकने को लेकर सतर्क है.
जिला कलक्टर डॉ मोहन लाल यादव ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार अक्षय तृतीया पर विवाह समारोह की अनुमति देने के लिए उपखंड अधिकारी को अधीकृत किया गया है. विवाह कार्यक्रम में वर-वधु एंव उनके माता-पिता अधिकतम आठ आदमी से ज्यादा अन्य कोई व्यक्ति अनुमत नहीं रहेगा.
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साथ ही बताया कि जिले से बाहर, अन्य जिलों, राज्यों मे बारात का आना जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. हालांकि प्रशासन ने लॉक डाउन में विवाह समारोह का आयोजन स्थगित रखने की अपील भी की है. कलेक्टर ने बताया कि अनुमति जारी करते समय उपखंड अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि विवाह कार्यक्रम बाल विवाह तो नहीं है.
बाल विवाह पर प्रशासन की रहेगी पैनी नजर-
जिला कलेक्टर डॉ मोहन लाल यादव ने बताया कि अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा के अवसर पर बाल विवाह होने की आशंका अत्यधिक रहती है. बाल विवाह एक अपराध है इसे रोकने के लिए आमजन को भी सरकार व प्रशासन का सहयोग करना चाहिए. इस संबंध मे संबंधित अधिकारियों को एवं कर्मचारियों को बाल विवाह रोकने के लिए आवश्यक तैयारियां करने के साथ सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं.
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बाल विवाह रोकथाम के लिए उपखंड कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. जिसमे संबंधित अधिकारी कार्यशील रहेंगे. कलेक्टर ने बताया कि गठित विभिन्न स्वयं सहायता समूह, किशोरी समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहित आशा सहयोगिनी सहित अधिकारियों को बाल विवाह के विरुद्ध फिल्ड मे सक्रिय रहने के लिए निर्देश दिए है.
साथ ही बाल विवाह की आशंका, सूचना होने पर निकट के पुलिस स्टेशन और बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को सूचना देने के लिए पाबंद किया गया है. विवाह के आयोजन में सेवाएं प्रदान करने वाले पंडितो को भी पाबंद किया गया है.