भोपालगढ़ (जोधपुर). उपखंड क्षेत्र में बढ़ती गर्मी के कारण पानी की तलाश में संरक्षित क्षेत्रों से बाहर निकलने वाले प्यासे वन्यजीवों को भी लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. भूखे प्यासे चिंकारा पानी की तलाश में भटकते हुए आबादी क्षेत्रों में आ रहे है. ऐसे में आवारा श्वानों के हमले और शिकारियों से बचना इनके लिए मुश्किल हो रहा है. उपखंड क्षेत्र के साथ ही जिले में करीब 153 से अधिक वन्यजीव बाहुल इलाकों में इन दिनों पेयजल संकट की स्थिति है.
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कोरोना-लॉकडाउन और गर्मी में प्राकृतिक जलस्रोत सूखने की स्थिति में खुले मैदानों में विचरण करने वाले 30 हजार से अधिक चिंकारे, काले हरिण, मोर, रोजड़े, सियार, मरु बिल्ली, बंदर, लोमड़ी इत्यादि मूक-प्राणी चौतरफा संकट से घिर गए हैं. रेंज क्षेत्रों में विचरण करने वाले वन्यजीवों के लिए सरकार से कोई बजट नहीं मिला है.
153 जगह पर पानी का संकट
जोधपुर में वन्यजीव प्रभाग के अधीन लूणी, बावड़ी, मंडोर और प्रादेशिक वनमंडल के बाप, फलौदी, शेरगढ़, बालेसर, बिलाड़ा, भोपालगढ़ और ओसियां सहित 9 रेंजों में करीब 153 से ज्यादा वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में पानी का संकट है. जोधपुर जिले में जाजीवाल विश्नोइयां, फींच, धवा, जोलियाली, बनाड़, जालेली, लूणावास खारा, विष्णु नगर, लूणी, हमीर नगर, रोहिचा, भाचरणा, नारनाड़ी, पालासनी, खुडाला ढाणा, गुड़ा विश्नोईयान, भवाद, नेतड़ा, दुग्गर, सुराणी, खारी, चिरढाणी, हड़लाव ढाणी, बूचेटी, बिड़ासनी, खेजड़ली, खारड़ा मेवासा, एकलखोरी, झरिया, विनायकपुरा, दईकड़ा, सुरपुरा, भगतासनी, बेरु, महादेव नगर, बांवरला, आकथली, रामड़ावास, धोरू, हिंगोली, लाम्बा, रावर, तिलवासनी, कोसाना में सर्वाधिक संकट हैं.