लूणी (जोधपुर). कोरोना वैश्विक महामारी के चलते इस बार तीज के त्योहार पर काफी असर पड़ा है. ऐसे में महिलाएं तीज का त्योहार घरों में ही मनाएंगी. कजरी तीज के अवसर पर महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं, भाद्रपद के महीने में महिलाओं द्वारा तीन तरह की तीज मनाई जाती है. इसमें हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज होती हैं. कजरी तीज को बड़ी तीज के नाम से जाना जाता है. इस साल कजरी तीज 6 अगस्त को मनाई जाएगी.
बता दें कि तीज के त्योहार को पूरे उत्तर भारत में महिलाओं द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है. तीज के अवसर पर विवाहिता महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. कई महिलाएं तो पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास करती है. वही कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं.
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इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर हरे रंग के कपड़े पहनती है. इसके बाद नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल, वस्त्र, फल और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर पूजा स्थल पर दीपक जलाकर मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करती हैं. वहीं पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करने के बाद उसका आर्शीवाद लेती है.
माना जाता है कि यह व्रत घर में सुख शांति, पति की लंबी आयु, सुख समृद्धि, धन-धान्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है. कजरी तीज की कथा के अनुसार इसी दिन भगवान शिव के विवाह के लिए कठोर तपस्या के फलस्वरूप मां पार्वती ने शिव को प्राप्त किया था. इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव दोनों की ही पूजा की जाती है.