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आप अपनी फसलों में अधिकतम पैदावार कैसे कर सकते हैं, जानिए काजरी के वैज्ञानिक से...

काजरी को देखकर 'विश्वास करो की' परिकल्पना साकार हो रही है. इसके तहत केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, काजरी में क्षेत्र की प्रमुख रबी फसलें जैसे- इसबगोल, जीरा, सरसों और राजगिरा की नवीनतम किस्मों को अनुशासित उत्पादन तकनीक के साथ एक ही स्थान पर फसल वाटिका के रूप में लगाया गया है.

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किसान खेतों में लागू करेंगे यह तरीका...
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Published : Jan 30, 2021, 9:26 AM IST

लूणी (जोधपुर). काजरी की फसल वाटिका का मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत उत्पादन तकनीक से रूबरू कराना है. ताकि किसान काजरी में आएं और यहां की तकनीक को अपने खेतों में लागू कर सकें. काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हंसराज मेला ने बताया कि यहां आने वाले किसान, वाटिका को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि किस बीज से उत्पादन अधिक हो रहा है. आगामी किसान मेला, किसानों को अपनी फसल चयन करने का अच्छा माध्यम बनेगी. इसके लिए फसल वाटिका में सरसों की 30 प्रकार की किस्म, मेथी और इसबगोल की नौ-नौ किस्म, इसी के साथ ही राजगिरा की नौ और जीरे की नौ किस्में लगाई गई हैं.

किसान खेतों में लागू करेंगे यह तरीका...

इसी दौरान सभी फसलों को पंक्ति बद्ध लगाया गया है और हर किस्म की फसल में थोड़ा अंतराल दिया है. इससे किसान प्रत्येक फसल के उत्पादन में अंतर खुद देख सकते हैं. राजगिरी फसल की बात करें तो राजगिरा जोधपुर संभाग के लिए कुछ नई फसल है, जिसमें इस फसल को प्रमोट करने के लिए किसानों तक जागरुकता पहुंचाने के लिए यह फसल वाटिका लगाई गई है. राजगिरा के अलग-अलग तरह की नौ किस्मों के साथ-साथ अलग तरह के फल-फूल आए हुए हैं. इसकी पैदावार भी शुष्क परिस्थितियों में अच्छी आती है, जिससे कीट और रोग का प्रकोप भी बहुत कम देखने को मिलता है.

यह भी पढ़ें: स्पेशल : काजरी के जीरे की नई किस्म देगी मुनाफा, किसानों को कम समय में मिलेगी भरपूर फसल

साथ ही संस्थान के निदेशक डॉ. ओपी यादव का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में प्राय: किसान जीरा, इसबगोल, सरसों, मेथी और राजगिरा आदि की बुवाई छिटकवा विधि (बीज को हाथ में लेकर जमीन पर डालते हैं) से करते हैं. इसमें बीज की मात्रा पंक्तियों में बुवाई की तुलना में लगभग दोगुनी लगती है. वहीं पंक्तियों में बुवाई करने से उत्पादन लागत तो बढ़ती ही है. साथ ही उन्नत बीज भी अधिक क्षेत्र की बुवाई के लिए काम में लिया जा सकता है. विभिन्न चरणों से होकर गुजरने के कारण नवीनतम तकनीकी की जानकारी किसानों तक पहुंचाने में समय ले लेती है. लेकिन किसानों का ज्यादा से ज्यादा फायदा हो, इसके लिए काजरी में प्रदर्शन इकाई प्रत्येक फसल वर्ष में किसान मेले का आयोजन करती है.

लूणी (जोधपुर). काजरी की फसल वाटिका का मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत उत्पादन तकनीक से रूबरू कराना है. ताकि किसान काजरी में आएं और यहां की तकनीक को अपने खेतों में लागू कर सकें. काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हंसराज मेला ने बताया कि यहां आने वाले किसान, वाटिका को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि किस बीज से उत्पादन अधिक हो रहा है. आगामी किसान मेला, किसानों को अपनी फसल चयन करने का अच्छा माध्यम बनेगी. इसके लिए फसल वाटिका में सरसों की 30 प्रकार की किस्म, मेथी और इसबगोल की नौ-नौ किस्म, इसी के साथ ही राजगिरा की नौ और जीरे की नौ किस्में लगाई गई हैं.

किसान खेतों में लागू करेंगे यह तरीका...

इसी दौरान सभी फसलों को पंक्ति बद्ध लगाया गया है और हर किस्म की फसल में थोड़ा अंतराल दिया है. इससे किसान प्रत्येक फसल के उत्पादन में अंतर खुद देख सकते हैं. राजगिरी फसल की बात करें तो राजगिरा जोधपुर संभाग के लिए कुछ नई फसल है, जिसमें इस फसल को प्रमोट करने के लिए किसानों तक जागरुकता पहुंचाने के लिए यह फसल वाटिका लगाई गई है. राजगिरा के अलग-अलग तरह की नौ किस्मों के साथ-साथ अलग तरह के फल-फूल आए हुए हैं. इसकी पैदावार भी शुष्क परिस्थितियों में अच्छी आती है, जिससे कीट और रोग का प्रकोप भी बहुत कम देखने को मिलता है.

यह भी पढ़ें: स्पेशल : काजरी के जीरे की नई किस्म देगी मुनाफा, किसानों को कम समय में मिलेगी भरपूर फसल

साथ ही संस्थान के निदेशक डॉ. ओपी यादव का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में प्राय: किसान जीरा, इसबगोल, सरसों, मेथी और राजगिरा आदि की बुवाई छिटकवा विधि (बीज को हाथ में लेकर जमीन पर डालते हैं) से करते हैं. इसमें बीज की मात्रा पंक्तियों में बुवाई की तुलना में लगभग दोगुनी लगती है. वहीं पंक्तियों में बुवाई करने से उत्पादन लागत तो बढ़ती ही है. साथ ही उन्नत बीज भी अधिक क्षेत्र की बुवाई के लिए काम में लिया जा सकता है. विभिन्न चरणों से होकर गुजरने के कारण नवीनतम तकनीकी की जानकारी किसानों तक पहुंचाने में समय ले लेती है. लेकिन किसानों का ज्यादा से ज्यादा फायदा हो, इसके लिए काजरी में प्रदर्शन इकाई प्रत्येक फसल वर्ष में किसान मेले का आयोजन करती है.

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