जोधपुर. सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित एएनएम भंवरी देवी अपहरण और हत्या के मामले में सह आरोपी परसराम विश्नोई की ओर से दायर एसएलपी पर सुनवाई की. जिसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को परसराम विश्नोई की जमानत स्वीकार करते हुए उसे रिहा करने के निर्देश दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश ऋषिकेश रॉय की बेंच में परसराम की ओर से दायर एसएलपी पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान CBI की ओर से एएसजी एसवी राजु ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति अदालत जोधपुर में मामले का ट्रायल चल रहा है. मामले में कुल अभियोजन की ओर से 296 गवाह थे. ऐसे में ट्रायल लंबा चल रहा है. साथ ही कहा कि मुलजिम के बयान पूरे हो चुके हैं और आरोपी बचाव साक्ष्य में गवाहों का परीक्षण करवाने चाहते हैं. वहीं अपीलकर्ता परसराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि परसराम बचाव में साक्ष्य पेश नहीं करना चाहता है. मामले में आठ साल से अधिक का वक्त हो गया है. अभी तक केवल मुलजिम बयान पूरे हुए हैं. ऐसे में परसराम को छोड़कर 16 आरोपी हैं. ऐसे में बचाव साक्ष्य में समय लग सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद SSLP को स्वीकार करते हुए सहआरोपी परसराम को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने 20 जुलाई 2020 को परसराम विश्नोई की ओर से पेश जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. परसराम की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष सातवीं बार जमानत याचिका पेश की गई थी. परसराम ने उच्च न्यायालय की ओर से जमानत याचिका को खारिज करने पर उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश हेमन्त गुप्ता की बेंच ने 22 फरवरी 2021 को सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किये थे कि ट्रायल कोर्ट प्रतिदिन सुनवाई करते हुए आरोपियों के बयान मुलजिम दर्ज कर रिपोर्ट पेश करे. सुप्रीम कोर्ट में अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी, अधिवक्ता संजय विश्नोई, अधिवक्ता हेमन्त नाहटा ने पक्ष रखा. जिसमें उन्होंने बताया कि साल 2011 से मामला विचाराधीन है. जिसकी ट्रायल 2014 में शुरू की गई है. मामले में अभी तक केवल अभियोजन पक्ष की ओर से अपने सभी गवाहओं 197 के बयान करवाए हैं. उसके बाद बयान मुलजिम शुरू हुए लेकिन अभी तक केवल तीन के ही पूरे हुए हैं. जबकि मामले में कुल 17 जनों को आरोपी बनाया गया है. कोर्ट में मंद गति से ट्रायल चल रहा है. जिसका खामियाजा मुलजिमों को उठाना पड़ रहा है. करीब दस साल पूरे होने के हैं लेकिन अभी तक बयान मुलजिम तक पूरे नहीं हो पाए हैं.
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मामले में पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा, पूर्व विधायक मलखान सिंह सहित 17 आरोपी हैं. इस मामले में सीबीआई ने साल 2012 में चालान पेश कर दिया था. बयान मुलजिम में प्रत्येक मुलजिम से करीब एक हजार सवाल पूछे जा रहे हैं. ऐसे में समय ज्यादा लग रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिये थे कि अप्रैल तक सभी मुलजिम के बयान पूरे करे और किन-किन मुलजिम की ओर से बचाव मे गवाह पेश किए जाने हैं, इसको लेकर पूरी स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई पर पेश की जाए.
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कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रतिदिन सुनवाई करते हुए या फिर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करे. जिस पर 12 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि अभी तक 10 आरोपियों के बयान मुलजिम हो चुके हैं. जिनमें परसराम बचाव साक्ष्य पेश नहीं करना चाहते हैं. 5 जुलाई 2021 को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार विचारण न्यायालय में सभी आरोपियों के बयान मुलजिम पूरे करवाए गए.