जोधपुर. RTH Bill के विरोध में प्रदेश के निजी अस्पताल बंद है. जिसके चलते चिकित्सकीय व्यवस्थाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रखी हैं. जोधपुर में भी यही हालात बने हुए हैं. मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर भी निजी अस्पतालों के समर्थन में हैं. जिसके चलते सरकारी अस्पताल में भी सभी तरह की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. कहने को तो सीनियर डॉक्टरों से काम चलाने की बात कही जा रही है, लेकिन बिना रेजिडेंट डॉक्टरों के एमडीएम, एमजीएच की सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.
इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर में लगी कतारः इस बीच गुरुवार को चेटीचंड की छुट्टी ने मरीजों का दर्द और बढ़ा दिया. सरकारी अस्पतालों में सुबह 9 से 11 बजे तक ओपीडी खुली, लेकिन मरीजों के अस्पताल पहुंचने से पहले ही बंद हो गई. इमरजेंसी व ट्रॉमा में मरीजों की कतारें लग गईं. हालांकि आंदोलन के चलते सिर्फ ऐसे मरीज ही यहां आ रहे हैं. जिनको सख्त उपचार की जरूरत है. गुरुवार को सिर्फ इमरजेंसी के केस ही ऑपरेट करने की व्यवस्था की गई है. शुक्रवार को जोधपुर में गणगौर का त्योहार होने से स्थानीय अवकाश भी रखा गया है. इससे लगातार दो दिन सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई रहेंगी.
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प्रबंधन और रेजिडेंट में विरोधाभासः मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दिलीप कछवाहा का कहना है कि मेडिकल डॉक्टर स्ट्राइक पर है, लेकिन आधे से ज्यादा काम पर आ रहे हैं. वहीं रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर संदीप का कहना है कि कॉलेज के सभी 500 रेजिडेंट डॉक्टर स्ट्राइक पर है. हमें वार्ता के लिए बुलाया गया है. जोधपुर में करीब 60 निजी अस्पताल है, जो चिरंजीवी व आरजीएचएस जैसी योजनाओं से जुडे़ हुए हैं. वहीं right to health bill के विरोध के चलते अस्पताल पूरी तरह से बंद होने से इन योजनाओं से जुडे़ मरीज उपचार के लिए पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर हो गए हैं.
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ओपीडी और सर्जरी घटीः आंदोलन से पहले शहर के निजी अस्पतालों में प्रतिदिन 300 सर्जरी होती थी. जबकि इन दिनों सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन पचास से 60 सर्जरी ही हो रही है, क्योंकि प्लॉन सर्जरी के लिए लोग नहीं आ रहे हैं. इसी तरह से एमडीएम अस्पताल जहां प्रतिदिन तीन से चार हजार की ओपीडी होती थी. वहां मंगलवार को 15 सौ रोगी ही ओपीडी में पहुंचे।