जोधपुर. जिले की राजपूत बाहुल्य शेरगढ़ सीट पर इस बार रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है, क्योंकि माना जा रहा है कि गत बार जहां कांग्रेस ने लगातार चुनाव हार रहे उमेद सिंह राठौड़ की जगह उनकी पत्नी को नए चेहरे के रूप में मैदान में उतारकर जीत हासिल की थी. इसी ट्रैक पर भाजपा के चलने की भी संभावना जताई जा रही है. भाजपा चार बार प्रत्याशी बनकर तीन बार चुनाव जीतने वाले बाबू सिंह की जगह अबकी किसी नए युवा चेहरे की तलाश में है, क्योंकि पार्टी इस सीट पर वापस करने की मंशा के साथ तैयारियों में जुटी है.
वहीं, कांग्रेस पर 15 साल बाद मिली सफलता को बनाए रखने का दबाव है. हालांकि, कांग्रेस 15 चुनावों में से 13 में एक ही परिवार के प्रत्याशी को मैदान में उतारती आई है. यही कारण है कि इस बार कांग्रेस में भी कई दावेदार सामने आए हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों पर इस बार युवाओं की दावेदारी का दबाव बना हुआ है.
खेत सिंह ने लड़े 10 चुनाव : खेत सिंह राठौड़ ने शेरगढ़ विधानसभा से 10 बार चुनाव लड़ा. 1951 से 1998 तक 10 बार में से वे 7 बार विधायक चुने गए. इनसे एक बार निर्दलीय थे. बाकी कांग्रेस से चुने गए और वो प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे. साथ ही मारवाड़ में राजपूतों के कद्दावर नेता के रूप में भी जाने गए. वहीं, 2003 में उनके सामने विश्वविद्यालय में अध्यक्ष बनकर अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने वाले बाबू सिंह राठौड़ को भाजपा ने मैदान में उतारा, जिन्होंने खेत सिंह राठौड़ के वर्चस्व को तोड़ने का काम किया. लेकिन कांग्रेस ने आगे खेत सिंह राठौड़ के परिवार पर ही भरोसा जताया और उनके भतीजे उमेद सिंह को मैदान में उताराना शुरू किया. हालांकि, दो बार हारने के बाद पिछले चुनाव में कांग्रेस ने उमेद सिंह की पत्नी मीना कंवर को मैदान में उतारा, जिन्होंने जीत दर्ज की.
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2018 में शेरगढ़ के परिणाम : साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करे तो यहां कांग्रेस की मीना कंवर को कुल 99916 वोट मिले थे, जो कुल मतदान का 50.66 फीसदी था. वहीं, भाजपा प्रत्याशी बाबू सिंह राठौड़ को 75220 वोट पड़े थे, जो कुल वोटिंग का 38.12 फीसदी रहा तो आरएलपी उम्मीदवार तगाराम को 11187 मत (5.67) मिले थे.
2003 से 2018 तक के जानें सियासी हाल :
2003 : यह चुनाव अशोक गहलोत के पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद का था. गहलोत को उम्मीद थी कि सरकार रिपीट करेगी. इसलिए शेरगढ़ से कांग्रेस ने परंपरागत राजपूत नेता खेत सिंह राठौड़ को दसवीं बार प्रत्याशी बनाया था, लेकिन दौर परिवर्तन था. युवा नेता बाबू सिंह ने खेत सिंह राठौड़ को हरा दिया. बाबू सिंह को 57355 व खेत सिंह राठौड़ को 45788 मत मिले. 11567 मतों से भाजपा के बाबू सिंह चुनाव जीते थे.
2008 : हर बार सत्ता में बदलाव की परंपरा के तहत चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस ने खेत सिंह के भतीजे उमेद सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा. भाजपा ने फिर दूसरी बार बाबू सिंह को टिकट दिया. बाबू सिंह और उमेद सिंह के बीच मुकाबला हुआ. बाबू सिंह 2379 वोटों से चुनाव जीत गए. कांग्रेस को इस चुनाव में 52706 व भाजपा को 55085 मत मिले. बसपा की उम्मीदवार ने 14201 वोट हासिल किए थे.
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2013 : इस चुनाव में भाजपा ने तीसरी बार बाबू सिंह को टिकट देकर विश्वास जताया तो कांग्रेस ने भी फिर उमेद सिंह को उतारा. जबरदस्त मुकाबला हुआ था, लेकिन बाबू सिंह ने तीसरी बार मैदान मारा और 6327 मतों से चुनाव जीता. बाबू सिंह को 81297 व उमेद सिंह को 74970 मत मिले थे. इस चुनाव के साथ बाबू सिंह ने जीत की हैट्रिक बनाई.
2018 : भाजपा ने चौथी बार बाबू सिंह राठौड़ को चुनाव में उतारा, लेकिन कांग्रेस ने नीति बनाई की लगातार दो बार हारे को टिकट नहीं मिलेगा. ऐसे में अशोक गहलोत ने इस बार उमेद सिंह की जगह उनकी पत्नी मीना कंवर को मैदान में उतारा. खेत सिंह परिवार को नहीं छोडा. इस मुकाबले में उमेद सिंह को दो चुनाव हारने की सहानुभूति भी मिली. मीना कंवर 24696 मतों से बाबू सिंह को हराया. कांग्रेस को 99916 व भाजपा को 75220 मत मिले. आरएलपी के तगाराम को 11187 वोट प्राप्त हुए थे.
यह है जातिगत समीकरण : शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 268054 मतदाता हैं. इनमें 142025 पुरुष, 126029 महिलाएं हैं. जातिगत समीकरण की बात की जाए तो अनुमानित तौर पर यहां जाट 30 हजार, राजपूत 90 हजार, मूल ओबीसी 55 हजार, अनुसूचित जाति 60 हजार, अल्पसंख्यक 12 हजार, महाजन और ब्राह्मण 25 हजार मतदाता हैं. इसके अलावा अन्य जातियां भी हैं.