जोधपुर. अपने ही आश्रम की शिष्या के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में जोधपुर की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में पैरोल के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कानूनी बिन्दूओं पर विचार के लिए आगामी 21 नवम्बर को सुनवाई तय की गई है. जस्टिस विजय विश्नोई और जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से अधिवक्ता कालूराम भाटी ने पैरोल याचिका पर पैरवी की.
उन्होने कहा कि पैरोल को लेकर बनाए गए 1958 के नियमों के अर्न्तगत आसाराम को पैरोल मिलनी चाहिए, लेकिन जिला पैरोल कमेटी ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पूर्व में जिला पैरोल कमेटी ने नए पैरोल नियम 2021 का हवाला देते हुए आवेदन खारिज किया था, जिस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई और हाईकोर्ट ने पुराने नियम से पुर्न:विचार के लिए नए सिरे से आवेदन के लिए कहा था, लेकिन नए आवेदन को भी जिला पैरोल कमेटी ने खारिज कर दिया है.
पढ़ें. Rajasthan : आसाराम के समर्थकों ने मनाया काला दिवस, साजिश करके जेल में डालने का लगाया आरोप
दो राज्यों में आसाराम को आजीवन कारावास : सरकार की ओर से अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता कम राजकीय अधिवक्ता अनिल जोशी ने जवाब भी पेश कर दिया था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि आसाराम के खिलाफ राजस्थान में जोधपुर की अदालत ने 2018 में आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिए थे. इसके अलावा गुजरात की गांधीनगर अदालत में भी इसी साल रेप के एक मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा के आदेश हुए हैं. ऐसे में दो राज्यों में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा के आदेश हो रखे हैं, इसलिए उनको पैरोल नहीं दिया जाए. कोर्ट ने अधिवक्ता को अगली सुनवाई पर कानूनी बिन्दू पर बहस करने के निर्देश के साथ 21 नवम्बर को सुनवाई के लिए रखा है.