जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में यौन उत्पीड़न आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम की ओर से पेश पैरोल याचिका कानूनी बिन्दुओं पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास बालिया और अधिवक्ता कालूराम भाटी ने कानूनी बिन्दुओं पर बहस की. वहीं, सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता कम राजकीय अधिवक्ता अनिल जोशी ने दलीले पेश की. दोनो पक्षों की कानूनी बहस पूरी होने पर कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा और मूल रिकॉर्ड सीलबंद लिफाफे में रखने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि आसाराम की ओर से पेश पैरोल याचिका में बताया गया था कि पैरोल को लेकर बनाए गए 1958 के नियमों के अर्न्तगत आसाराम को पैरोल मिलनी चाहिए, लेकिन जिला पैरोल कमेटी ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पूर्व में जिला पैरोल कमेटी ने नए पैरोल नियम 2021 का हवाला देते हुए आवेदन खारिज किया था, जिस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई और हाईकोर्ट ने पुराने नियम से पुर्न: विचार के लिए नए सिरे आवेदन के लिए कहा था, लेकिन नए आवेदन को भी जिला पैरोल कमेटी ने खारिज कर दिया है.
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सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आसाराम के खिलाफ राजस्थान में जोधपुर की अदालत ने 2018 में आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिए थे. इसके अलावा गुजरात की गांधीनगर अदालत में भी इसी साल रेप के एक मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा के आदेश हुए हैं. ऐसे में दो राज्यों में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा के आदेश हो रखे हैं, इसीलिए उनको पैरोल नहीं दिया जाए.