जयपुर. नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया आज बुधवार को जोधपुर दौरे पर पहुंचे हैं. इस दौरान सतीश पूनिया ने प्रदेश की मौजूदा अर्थात गहलोत सरकार को लेकर कई मसलों पर बात की. उन्होंने भ्रष्टाचार से लेकर पार्टी के अंदरूनी मतभेद पर भी खुलकर निशाना साधा और राजस्थान के सूरत ए हाल को बयां किया. सतीश पूनिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 31 मई को अजमेर में होने वाले दौरे से पहले जोधपुर में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंचे थे. इसके बाद वे मीडिया से मुखातिब हुए और उन्होंने सरकार पर निशाना साधा. अपने इस दौरे पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्र के बड़े नेताओं की आगामी प्रदेश दौरे से जुड़ी जानकारी भी दी.
योजना भवन मामले में जांच एजेंसी से अपील : बीते दिनों जयपुर की योजना भवन में DOIT की एक अलमारी से मिले सोने और करोड़ों रुपए की कैश को लेकर भी सतीश पूनिया ने अशोक गहलोत सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि वे जांच एजेंसियों से कहना चाहते हैं कि प्रदेश सरकार की मुफ्त मोबाइल वितरण की स्कीम से इस भ्रष्टाचार को जोड़कर देखा जाना चाहिए. उन्हें अंदेशा है कि पहले ठंडे बस्ते में जा चुकी योजना को फिर से सक्रिय करने की कवायद के बीच ये पैसा कहां से आया है. सतीश पूनिया ने इस दौरान मोबाइल वितरण योजना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के सिलसिले का भी जिक्र किया. पुनिया ने कहा कि हालांकि पूछताछ के बाद कुछ चीजें जनता के सामने आएंगी. लेकिन फिर भी कई बातें ऐसी हैं, जिन्हें आज ही जानने की जरूरत है. सतीश पूनिया ने अंदेशा जताया की योजना भवन में मिली नकदी का योजना के साथ कोई कनेक्शन हो सकता है. ऐसे में जांच एजेंसी या फिर सरकार अपने ईमान के हिसाब से इसकी जांच करवा लें.
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कांग्रेस की आंतरिक कलह पर कसा तंज : जोधपुर में मीडिया से मुखातिब होते हुए सतीश पूनिया ने प्रदेश कांग्रेस में जारी अंतर्कलह पर भी बोला. उन्होंने कहा कि कहने के लिए ये विवाद पार्टी का अंदरूनी मसला है, परंतु बीते साढ़े 4 साल में इस विषय पर पार्टी आलाकमान ने किसी तरह की रूलिंग नहीं दी. और न ही किसी तरह का समाधान मुहैया करवाया. उसी का नतीजा है कि प्रदेश में सरकार और प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हुए. पुनिया ने कहा कि सरकार की इसी विफलता के कारण राज्य के लोगों को बदतर कानून व्यवस्था से रूबरू होना पड़ा. प्रदेशवासियों को पानी और बिजली के संकट से जूझना पड़ा, यहां टूटी सड़कें मिली, शिक्षा के क्षेत्र में हालात अच्छे नहीं है. वहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को भी बेहतर नहीं कहा जा सकता, ये प्रदेश की बानगी है.