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लड़का और लड़की के विवाह की उम्र में अंतर को हाईकोर्ट में चुनौती - High court challenges the difference in marriage age

जोधपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें लड़के और लड़की की वैवाहिक उम्र में अंतर को चुनौती दी गई है. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट सीजे इंद्रजीत महंती और जस्टिस डॉक्टर पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Feb 6, 2020, 2:44 AM IST

जोधपुर. भारतीय कानून के मुताबिक शादी के वक्त लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी अनिवार्य है. जोधपुर के हाईकोर्ट में दोनों की उम्र में भेद को लेकर एक याचिका दायर की गई है. जिस पर हाईकोर्ट सीजे इंद्रजीत महंती और जस्टिस डॉक्टर पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

लड़का और लड़की के विवाह की उम्र में अंतर को हाईकोर्ट में चुनौती

याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई जनहित याचिका में यह सवाल उठाया गया कि पुरुष और महिला की शादी की उम्र में अंतर संविधान कि ओर से प्रदत्त लैंगिक समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. वर्तमान समय में शादी के लिए कम से कम उम्र पुरुष के लिए 21 वर्ष और महिला के लिए 18 वर्ष तय की हुई है. अब इस मामले में 6 सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी.

पढ़ें- जयपुर की विरासत : राज परिवार और आम जनता के लिए बना हुआ था अलग-अलग हेरिटेज वॉक वे

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अब्दुल मन्नान ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका दायर की है. उसमें लड़का और लड़की की जो वैवाहिक उम्र है, उसको चुनौती दी गई है और उसमें खण्डपीठ के समक्ष यह तथ्य रखा गया कि जो लड़की की 18 साल कानूनी प्रावधानों में उम्र है. विवाह के लिए और 21 साल लड़के के लिए वह पूर्ण रूप से और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है.

आयु का यह निर्धारण संविधान की धारा 14 और 15 का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही यह लड़की की शिक्षा के अवसर को सीधे तौर पर प्रभावित करता हैं. WHO की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि लड़की 20 साल से पहले किसी बच्चे को जन्म देती है, तो उसके जीवन के लिए और स्वास्थ्य के लिए खतरा है. उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ ने सभी तर्कों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.

जोधपुर. भारतीय कानून के मुताबिक शादी के वक्त लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी अनिवार्य है. जोधपुर के हाईकोर्ट में दोनों की उम्र में भेद को लेकर एक याचिका दायर की गई है. जिस पर हाईकोर्ट सीजे इंद्रजीत महंती और जस्टिस डॉक्टर पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

लड़का और लड़की के विवाह की उम्र में अंतर को हाईकोर्ट में चुनौती

याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई जनहित याचिका में यह सवाल उठाया गया कि पुरुष और महिला की शादी की उम्र में अंतर संविधान कि ओर से प्रदत्त लैंगिक समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. वर्तमान समय में शादी के लिए कम से कम उम्र पुरुष के लिए 21 वर्ष और महिला के लिए 18 वर्ष तय की हुई है. अब इस मामले में 6 सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी.

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याचिकाकर्ता अधिवक्ता अब्दुल मन्नान ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका दायर की है. उसमें लड़का और लड़की की जो वैवाहिक उम्र है, उसको चुनौती दी गई है और उसमें खण्डपीठ के समक्ष यह तथ्य रखा गया कि जो लड़की की 18 साल कानूनी प्रावधानों में उम्र है. विवाह के लिए और 21 साल लड़के के लिए वह पूर्ण रूप से और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है.

आयु का यह निर्धारण संविधान की धारा 14 और 15 का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही यह लड़की की शिक्षा के अवसर को सीधे तौर पर प्रभावित करता हैं. WHO की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि लड़की 20 साल से पहले किसी बच्चे को जन्म देती है, तो उसके जीवन के लिए और स्वास्थ्य के लिए खतरा है. उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ ने सभी तर्कों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.

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लड़का और लड़की की विवाह की उम्र में अंतर को कोर्ट में चुनोती


जोधपुर।

भारतीय कानून के मुताबिक शादी के वक्त लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी अनिवार्य है जोधपुर के हाई कोर्ट में दोनों की उम्र में भेद को लेकर एक याचिका दायर की गई है इसमें कहा गया है कि संविधान में प्रदत्त लैंगिक समानता के अधिकार का उल्लंघन करने के विषय को लेकर दायर जनहित याचिका में आज हाई कोर्ट सीजे इंद्रजीत महंती व जस्टिस डॉक्टर पुष्पेन्द्रसिंह सिंह भाटी की खंडपीठ ने आज सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई जनहित याचिका में यह सवाल उठाया गया कि पुरुष और महिला की शादी की उम्र में अंतर संविधान द्वारा प्रदत्त लैंगिक समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। वर्तमान समय में शादी के लिए कम से कम उम्र पुरुष के लिए 21 वर्ष व महिला के लिए 18 वर्ष तय की हुई है। अब इस मामले में 6 सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अब्दुल मन्नान ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका दायर की है। उसमें लड़का और लड़की की जो वैवाहिक उम्र है, उसको चुनौती दी गई है और उसमें खण्डपीठ के समक्ष यह तथ्य रखा गया कि जो लड़की की 18 साल कानूनी प्रावधानों में उम्र है विवाह के लिए और 21 साल लड़के के लिए वह पूर्ण रूप से और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। आयु का यह निर्धारण संविधान की धारा 14 व 15 का उल्लंघन करता है। इसके साथ ही यह लड़की की शिक्षा के अवसर को सीधे तौर पर प्रभावित करता हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि लड़की 20 साल से पहले किसी बच्चे को जन्म देती है तो उसके जीवन के लिए और स्वास्थ्य के लिए खतरा है। उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ ने सभी तर्कों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।
बाइट - अब्दुल मनान, याचिकाकर्ता व अधिवक्ताConclusion:
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