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जोधपुरः कच्ची बस्तियों में सूखे राशन की दरकार, दिन में एक बार ही भोजन को मजबूर परिवार

जोधपुर के काली बैरी स्थित अंबेडकर नगर है. इस नगर में पाक विस्थापितों की बस्ती के साथ-साथ अगले हिस्से में भी करीब एक सौ सत्तर लोगों की बस्ती है, जो पूरी तरह से कच्ची बस्ती है. कहीं पर भी पक्की छत नजर नहीं आती है. पूरी तरह पत्थरों से बने कच्चे मकानों तक पहुंचना भी आसान नहीं है. इन घरों तक अभी राशन नहीं पहुंच रहा है. यहां के बाशिन्दें नगर निगम द्वारा प्रतिदिन दिन में एक बार जो खाने का पैकेट मिल रहा है उससे काम चला रहा है.

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कच्ची बस्तियों में सूखे राशन की दरकार...
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Published : Apr 24, 2020, 12:52 PM IST

जोधपुर. जिला कलेक्टर कार्यालय से करीब 15 किमी दूर कालीबैरी के पथरीले क्षेत्र पर बसे अंबेडकर नगर की कच्ची बस्तियों के बाशिंदों के इस लॉकडाउन में बहुत बुरे हाल है. इनको सूखा राशन नहीं मिलने से दिन में एक बार नगर निगम से 24 घंटे में एक बार आने वाले भोजन के पैकेट से ही काम चलाना पड़ता है.

कच्ची बस्तियों में सूखे राशन की दरकार

बता दें, कि अंबेडकर नगर के दूरस्थ पूरी तरह से पत्थरों को जमाकर बनाए गए इन मकानों में पक्की छत नहीं है. करीब 170 घरों की इस बस्ती के लोग आस-पास की खानों में ही काम करते हैं. लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया तो आमदनी भी रूक गई है. जो भी खाने पीने का सामान बचा था, वह भी खत्म हो गया है. तो अब यह पूरी तरह से सरकारी आपूर्ति पर ही निर्भर हो गए. ऐसा नहीं, कि बाशिंदों ने जिला प्रशासन से संपर्क नहीं किया. यहां के निवासी भजनलाल और लक्षमण बताते हैं, कि उन्होंने प्रार्थना पत्र भेजा था तो वहां से जवाब मिला कि राशन की आपूर्ति हो चुकी है.

पढ़ेंः विद्युत भवन से आनन-फानन में कर्मचारियों को बाहर निकाल किया गया सैनिटाइजेशन...जानें क्यो?

जबकि लोगों का कहना है, कि अंबेडकर नगर के एक भाग में लोगों को राशन मिल रहा है. दूसरे भाग में सर्वे हुआ लिस्टे बनी, लेकिन राशन नहीं पहुंचा. अब अधिकांश घरों में सूखे राशन खत्म हो चुके है. हर परिवार इस समय 24 घंटे में एक बार ही खाने को मजूबर है. वहां के बाशिंदे बताते हैं, कि हम तो सब्र कर लें लेकिन परेशानी बच्चों की है जिन्हें दोनों समय खाना चाहिए. नगर निगम की टीमें जरूर भामाशाहों के सहयेाग से भोजन के पैकेट उपलब्ध करवा रही है, लेकिन जरूरत प्रशासन को ऐसे इलाकों में ध्यान देने की है.

जोधपुर. जिला कलेक्टर कार्यालय से करीब 15 किमी दूर कालीबैरी के पथरीले क्षेत्र पर बसे अंबेडकर नगर की कच्ची बस्तियों के बाशिंदों के इस लॉकडाउन में बहुत बुरे हाल है. इनको सूखा राशन नहीं मिलने से दिन में एक बार नगर निगम से 24 घंटे में एक बार आने वाले भोजन के पैकेट से ही काम चलाना पड़ता है.

कच्ची बस्तियों में सूखे राशन की दरकार

बता दें, कि अंबेडकर नगर के दूरस्थ पूरी तरह से पत्थरों को जमाकर बनाए गए इन मकानों में पक्की छत नहीं है. करीब 170 घरों की इस बस्ती के लोग आस-पास की खानों में ही काम करते हैं. लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया तो आमदनी भी रूक गई है. जो भी खाने पीने का सामान बचा था, वह भी खत्म हो गया है. तो अब यह पूरी तरह से सरकारी आपूर्ति पर ही निर्भर हो गए. ऐसा नहीं, कि बाशिंदों ने जिला प्रशासन से संपर्क नहीं किया. यहां के निवासी भजनलाल और लक्षमण बताते हैं, कि उन्होंने प्रार्थना पत्र भेजा था तो वहां से जवाब मिला कि राशन की आपूर्ति हो चुकी है.

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जबकि लोगों का कहना है, कि अंबेडकर नगर के एक भाग में लोगों को राशन मिल रहा है. दूसरे भाग में सर्वे हुआ लिस्टे बनी, लेकिन राशन नहीं पहुंचा. अब अधिकांश घरों में सूखे राशन खत्म हो चुके है. हर परिवार इस समय 24 घंटे में एक बार ही खाने को मजूबर है. वहां के बाशिंदे बताते हैं, कि हम तो सब्र कर लें लेकिन परेशानी बच्चों की है जिन्हें दोनों समय खाना चाहिए. नगर निगम की टीमें जरूर भामाशाहों के सहयेाग से भोजन के पैकेट उपलब्ध करवा रही है, लेकिन जरूरत प्रशासन को ऐसे इलाकों में ध्यान देने की है.

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