जोधपुर. केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के पीड़ित हिंदुओं को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन एक्ट पास तो कर दिया, लेकिन इस विवादास्पद कानून के नियम अभी तक नहीं बन (displaced Hindus get notice) सके हैं. जिसके चलते भारत की नागरिकता की राह तक रहे पाक विस्थापितों का इंतजार लंबा हो रहा है. हालांकि, इनको राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2016 में एक नोटिफिकेशन जारी कर एलटीवी यानी की लॉग टर्म वीजा पर रह रहे ऐसे लोगों को देश में आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने की छूट दी थी. जिससे थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन अब जोधपुर में रहे रहे सैंकड़ों पाक विस्थापित हिन्दू इन दिनों खासा परेशान हैं, क्योंकि उनके आधार कार्ड निष्क्रिय करने के बाबत नोटिस भेजा गया है. साथ ही नोटिस में कहा गया है कि पाक विस्थापितों ने अवैध तरीके से आधार कार्ड हासिल किया गया है. ऐसे में नोटिस का 21 दिन में जवाब दिया जाए वरना उनका आधार डिएक्टिव हो जाएगा.
आधार से मिली सुविधाएं बंद हो जाएंगी : जिले के राजीव गांधी नगर स्थित बस्ती में रह रहे पाक विस्थापित हिन्दुओं की सबसे बड़ी परेशानी इस बात को लेकर है कि अगर आधार निष्क्रिय हुआ तो उनकी मुसीबतें बढ़ जाएगी. ऐसा होने की सूरत में उन्हें आधार के मार्फत मिलने वाली सरकारी अस्पतालों में (Notice to deactivate aadhaar card) निशुल्क चिकित्सा के साथ ही उनके बच्चों के स्कूल व कॉलेजों में दाखिले में भी दिक्कत होगी. इसके अलावा इस पहचान पत्र के आधार पर काम भी मिल जाता है. साल 2014 में भारत आए प्रितम की पत्नी का आधार कार्ड निष्क्रिय होने का नोटिस मिला है. उसका उमेद अस्पताल में उपचार चल रहा है. ऐसे में अगर उसका आधार निष्क्रिय होता तो उसे आगे दवाई भी नहीं मिलेगी. प्रितम का कहना है कि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वो बाजार से दवाई खरीद सके.
इसे भी पढ़ें - स्पेशल रिपोर्ट : साहब...पाकिस्तान में अत्याचार होते थे, इस लिए छोड़ आए...भारत की नागरिकता के इंतजार में लोग
बच्चों को स्कूल में नहीं मिलेगा प्रवेश : बीते एक दशक में आए पाक विस्थापित ज्यादातर हिंदुओं को अभी नागरिकता का इंतजार है. वर्तमान नागरिकता की प्रक्रिया बेहद जटिल है. ऐसे में (citizenship amendment act passed) अशिक्षित ऐसे परिवार लांग टर्म वीजा पर रह रहे हैं. इनमें कई के पास नागरिकता आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए भी खर्च नहीं है. ऐसे परिवारों को आधार कार्ड बनने से राहत मिली थी. बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिलने लगी थी. उपचार मिलने लगा और कई सरकारी योजना का भी लाभ मिलने लगा था. इनके लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था निमिकेतम के बाहर आधार प्राधिकरण की ओर से भेजे गए नोटिस का ढेर लगा हुआ है. संस्था के तहत काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भागचंद भील का कहना है कि तीन सौ लोगों को आधार निष्क्रिय करने के नोटिस मिल चुके हैं. लेकिन हकीकत यह है कि इन लोगों को लिखना पढ़ना तक नहीं आता है. ऐसे में ये भला क्या जवाब देंगे.
नियमों के अभाव में अटकी नागरिकता: केंद्र सरकार ने पाकिस्तान सहित पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के लिए कानून बना (Citizenship trapped in screw of rules) दिया है. लेकिन इस कानून को लेकर विवाद के चलते अभी तक नियम नहीं बन पाए हैं. जिसके चलते देश में लंबे समय से रहे पाक विस्थापित हिन्दुओं को अब भी नागरिकता का इंतजार है. अभी इनको 1955 के पुराने अधिनियम से ही नागरिकता मिलती है. जिसकी प्रक्रिया बेहद जटिल और लंबी है. इसके तहत होने वाले आवेदन की जांच पड़ताल के बाद जिला प्रशासन नागरिकता देता है. इसके लिए आवेदनकर्ता के माता-पिता का जन्म स्वतंत्रता से पहले भारत में होने का प्रमाण देना होता है. इसके अलावा एलटीवी पर 11 और सात साल तक भारत में रहने पर नागरिकता देय होती है. वहीं आज पश्चिमी राजस्थान में हजारों की संख्या में ऐसे आवेदन लंबित हैं.