जोधपुर. ओबीसी आरक्षण में भाजपा सरकार में 2018 में जारी किए गए परिपत्र को वापस नहीं लेने का मामला सरकार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. पूर्व मंत्री हरीश चौधरी के कड़े तेवर दिखाने के बाद अब ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने भी अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.
किया ट्वीट पूछा सवाल: दिव्या मदेरणा ने सरकार पर तंज कसते हुए पूछा है कि क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है (Divya Maderna On Bureaucracy)? फिर आगे लिखा है ओबीसी विसंगतियों का शीघ्र समाधान का आश्वासन देने के एक माह से ज़्यादा समय के बाद भी परिपत्र दिनांक 17 अप्रैल, 2018 को वापिस नहीं लेना क्या दर्शाता हैं ? क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है ? ओबीसी युवा समझ नहीं पा रहे है कि सरकार के समक्ष ऐसी क्या मजबूरी रही कि 9 नवंबर की कैबिनेट बैठक में उक्त मामले को मंजूरी नही मिल सकी, जबकि मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ दोनों स्वयं इसी ओबीसी वर्ग से आते हैं. नसीहत दी कि- सरकार को तुरंत प्रभाव से 17 अप्रैल, 2018 के परिपत्र को वापिस लेना चाहिए (Politics On OBC Reservation in Rajasthan).
सीएम को लिखा खत: दिव्या मदेरणा ने मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र भी लिखा है. लिखा है कि सितंबर में हुए राज्य स्तरीय आंदोलन के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ हुई वार्ता में यह कहा गया था कि सरकार अगले 48 घंटों में इसका निस्तारण कर देगी. यह दुर्भाग्य है कि डेढ़ माह बाद भी सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया और कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा भी नहीं की. दिव्या मदेरणा ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश के लाखों ओबीसी युवा सरकार की ओर नजर लगाए बैठे हैं सरकार को जल्द इस पर निर्णय लेना चाहिए.
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@ashokgehlot51 जी व @GovindDotasra जी द्वारा ओबीसी विसंगतियों का शीघ्र समाधान का आश्वासन देने के एक माह से ज़्यादा समय के बाद भी परिपत्र दिनांक 17 अप्रैल, 2018 को वापिस नहीं लेना क्या दर्शाता हैं ? क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है ? pic.twitter.com/FsWlXiE5XM
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यह है परिपत्र की परेशानी!: तत्कालीन भाजपा सरकार ने अप्रैल 2018 में एक परिपत्र जारी किया था. इसमें ओबीसी के 21 फ़ीसदी आरक्षण में ही भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण को समाहित किया था. ओबीसी का तर्क है कि इस वजह से प्रत्येक भर्ती में युवाओं को नुकसान हो रहा है. ओबीसी वर्ग लगातार यह मांग कर रहा है कि भूतपूर्व सैनिकों का कोटा अलग से तय किया जाए. अब इसके लिए सरकार को आरक्षण के इस क्लॉज को हटाना होगा.