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सिर्फ 17 मिनट...और हो गई शादी, दहेज का भी टेंशन नहीं - wedding without cost

जोधपुर के भोपालगढ़ में बिना खर्चे की एक अनूठी शादी हुई. यह शादी सैनी मैरिज गॉर्डन में महज 17 मिनट में हुई. जिसने शहरवासियों को अचरज में डाल दिया. देखिए यह रिपोर्ट

Bhopalgarh marriage in 17 minute, भोपालगढ़ में अनोखी शादी
भोपालगढ़ में बिना दहेज के 17 मिनट में हुई शादी
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Published : Feb 22, 2020, 10:21 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर). कस्बे के नाडसर रोड स्थित सैनी मैरिज गॉर्डन में शनिवार को एक अनोखी शादी हुई. यह शादी महज 17 मिनट में गरीबदास महाराज की अमृतवाणी से हुई. इस शादी में किसी तरह की रस्म रिवाज नहीं हुई. दोनों पक्षों ने यह शादी 30 हजार में संपन्न की.

भोपालगढ़ में बिना दहेज के 17 मिनट में हुई शादी

इस अद्भुत शादी ने मानव समाज की पारंपरिक अवधारणा और दहेज जैसी कुरीति को जड़ से हटाने का संदेश दिया गया. जिससे समाज को नई दिशा मिलेगी. सतसंग में हुई इस शादी में हजारों लोग मौजूद थे. इस दौरान ना ही कोई भोज रखा गया. बस मेहमानों को चाय बिस्कुट का नाश्ता दिया गया. जिसके लिए सभी ने मुक्तकंठ से प्रशसां की.

बता दें, कि कबीर पंथी संत रामपाल महाराज के अनुयायी खांगटा के रहने वाले गंगाराम ने अपने पुत्र हीरादास की शादी रतकुडिया के भीखाराम की पुत्री गुड्डी के साथ करके सामाजिक बंधनों को दरकिनार करते हुए दहेज मुक्त शादी की.

पढ़ेंः रणथंभौर में 26 बाघ गायब होने पर दीया कुमारी ने प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर पर उठाए सवाल, केंद्र से की टीम भेजने की अपील

श्रद्धालू लक्षमण सिंह ने बताया, कि इस दौर में जहां शादी से पहले हर कोई दहेज मांगता है. जिस वजह से समाज में बेटी का जीना मुश्किल हो चुका है. ऐसे में इस सराहनीय कार्य को साकार होने में संत रामपाल महाराज की पुस्तक 'जीने की राह' से समाज में सुधार हुआ है. ऐसी शादी जिससे दहेज रुपी बुराई का अंत इस प्रकार की सादगी से की गई शादी से हो रहा है.

भोपालगढ़ (जोधपुर). कस्बे के नाडसर रोड स्थित सैनी मैरिज गॉर्डन में शनिवार को एक अनोखी शादी हुई. यह शादी महज 17 मिनट में गरीबदास महाराज की अमृतवाणी से हुई. इस शादी में किसी तरह की रस्म रिवाज नहीं हुई. दोनों पक्षों ने यह शादी 30 हजार में संपन्न की.

भोपालगढ़ में बिना दहेज के 17 मिनट में हुई शादी

इस अद्भुत शादी ने मानव समाज की पारंपरिक अवधारणा और दहेज जैसी कुरीति को जड़ से हटाने का संदेश दिया गया. जिससे समाज को नई दिशा मिलेगी. सतसंग में हुई इस शादी में हजारों लोग मौजूद थे. इस दौरान ना ही कोई भोज रखा गया. बस मेहमानों को चाय बिस्कुट का नाश्ता दिया गया. जिसके लिए सभी ने मुक्तकंठ से प्रशसां की.

बता दें, कि कबीर पंथी संत रामपाल महाराज के अनुयायी खांगटा के रहने वाले गंगाराम ने अपने पुत्र हीरादास की शादी रतकुडिया के भीखाराम की पुत्री गुड्डी के साथ करके सामाजिक बंधनों को दरकिनार करते हुए दहेज मुक्त शादी की.

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श्रद्धालू लक्षमण सिंह ने बताया, कि इस दौर में जहां शादी से पहले हर कोई दहेज मांगता है. जिस वजह से समाज में बेटी का जीना मुश्किल हो चुका है. ऐसे में इस सराहनीय कार्य को साकार होने में संत रामपाल महाराज की पुस्तक 'जीने की राह' से समाज में सुधार हुआ है. ऐसी शादी जिससे दहेज रुपी बुराई का अंत इस प्रकार की सादगी से की गई शादी से हो रहा है.

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