जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका में यह तथ्य प्रकट होने पर कि सहायक अधिकारी को नगर पालिका का आयुक्त पद दिया गया और समय-समय पर उसे बढ़ाया जा रहा है, तो कोर्ट ने प्रदेश की नगर पालिकाओं को लेकर गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी है.
न्यायाधीश दिनेश मेहता की कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता सज्जनसिंह की ओर से अधिवक्ता एसपी शर्मा ने याचिका पेश की. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष 5 अगस्त, 2020 की क्षेत्रीय उप निदेशक स्थानीय स्वायत्त शासन विभाग की एक रिपोर्ट पेश की. जिसके अनुसार प्रतिवादी की एलडीसी पद पर की गई पदोन्नति को अवैध एवं शून्य करार देते हुए अस्थायी चतुर्थ श्रेणी कार्मिक बताया गया है.
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अधिवक्ता शर्मा ने कहा कि एक ओर विभाग उसे एलडीसी भी नहीं मान रहा है, तो दूसरी ओर से विभाग ने ही इसे अनदेखा करते हुए 20 मई, 2022 को 15 दिन के लिए नगर पालिका बाड़मेर के आयुक्त पद का प्रभार सौंप दिया. जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया और अब तक 7 माह से अधिक समय हो गया है जब एक अधीनस्थ कार्मिक के पास आयुक्त का प्रभार है. एएजी सुनील बेनीवाल ने राज्य में नगर पालिका सेवा के कैडर में अफसरों की कमी है, जिसके चलते कार्य व्यवस्था के लिए प्रभार दिया गया है.
कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि वाकई ये चौंकाने वाली बात है कि कैसे एक सहायक प्रशासन अधिकारी को नगर पालिका आयुक्त का महत्वपूर्ण प्रभार दिया गया वो भी 7 माह से अधिक समय तक. क्या सरकार को आयुक्त के लिए अभी तक कोई उपयुक्त अधिकारी नहीं मिला. कोर्ट ने यह भी कहा कि बाड़मेर जिला मुख्यालय है और बार्डर पर महत्वपूर्ण शहर है. सरकार ने वहां अधीनस्थ को ही अधिकारी बना दिया.
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कोर्ट ने इस मामले में स्थानीय स्वायत्त शासन विभाग के सचिव को शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं जिसमें यह बताया जाए कि राज्य में कार्यकारी अधिकारी, आयुक्त, मुख्य कार्यकारी अधिकारी आदि के कितने पद हैं. यह भी बताएं कि ऐसे कितने पद हैं जिन पर आईएएस व आरएएस या नगर सेवा के अधिकारियों को नियुक्त कर रखा है. ऐसे कितने स्थान हैं जहां सक्षम के अलावा कार्यकारी अधिकारी या आयुक्त के पद पर अन्य को प्रभार दिया गया है.
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कोई भर्ती प्रक्रिया या पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है क्या. वे कौन से बाध्यकारी कारण हैं जिनकी वजह से प्रतिवादी को नगर पालिका के आयुक्त पद पर बने रहने की अनुमति दी गई है. क्षेत्रीय उपनिदेशक की रिपोर्ट पर क्या कदम उठाए गए. इसके अलावा क्या सरकार ने इस पद के लिए किसी उपयुक्त अधिकारी को लगाने का प्रयास किया या नहीं. कोर्ट ने विस्तृत निर्देशों के साथ 13 फरवरी, 2023 को शपथ पत्र मांगा है.