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कौन हैं केवलचंद...जिन्हें बोरवेल में गिरे बच्चों को देसी जुगाड़ से निकालने में महारत हासिल है - रेस्क्यू ऑपरेशन

राजस्थान और देश के अन्य हिस्सों में इस तरह की घटनाओं में शव निकालने के लिए भी बोरवेल के समानांतर जमीन खोदने पड़ती है, उसके बाद कहीं जाकर शव निकाला जाता है. लेकिन जोधपुर के मथानिया क्षेत्र में सबमर्सिबल पंप बोरवेल का काम करने वाले केवलचंद माली ने अपनी जुगाड़ तकनीक से इस तरह के 8 रेस्क्यू ऑपरेशन पूरे किए है.

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बोरवेल में गिरे बच्चों को निकालने में महारत हासिल है केवलचंद को
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Published : Apr 21, 2020, 10:06 AM IST

जोधपुर. जिले से 60 किलोमीटर दूर बावड़ी उपखंड के जोइन्तरा गांव में सोमवार को हुए बोरवेल हादसे में से बच्चे को जिंदा नहीं निकाला जा सका. 300 फीट गहरे बोरवेल में 200 फीट तक पानी भरा होने के चलते 5 साल का मासूम पानी में डूब गया था.

बोरवेल में गिरे बच्चों को निकालने में महारत हासिल है केवलचंद को

ऐसे मामलों में इतने गहरे बोरवेल में से शव को निकालना भी चुनौती से कम नहीं होता है. राजस्थान और देश के अन्य हिस्सों में इस तरह की घटनाओं में शव निकालने के लिए भी बोरवेल के समानांतर जमीन खोदने पड़ती है, उसके बाद कहीं जाकर शव निकाला जाता है. लेकिन जोधपुर के मथानिया क्षेत्र में सबमर्सिबल पंप बोरवेल का काम करने वाले केवलचंद माली ने अपनी जुगाड़ तकनीक से इस तरह के 8 रेस्क्यू ऑपरेशन पूरे किए है. सोमवार को उनका यह आठवां रेस्क्यू ऑपरेशन था, जिसमें उन्होंने 2 घंटे में ही रोहित का शव बाहर निकाल दिया.

हालांकि वे इस बात से दुखी थे, कि बच्चे को बचा नहीं सके. केवलचंद ने बताया, कि इस तरह के मामलों में अभी तक भी एक बच्चे को ही जीवित निकाल सके हैं. केवलचंद इस तरह के घटनाक्रम में बोरवेल की गहराई के अनुरूप लोहे के पाइप और उसके आगे एक जुगाड़ लगाकर एक के बाद एक नीचे उतारते हैं और उन्हें जोड़ते हुए वापस ऊपर खींचते हैं. इसी तकनीक से रोहित का शव निकाला गया और कुछ माह पहले इसी उपखंड में हुई इस तरह की घटना में भी उन्होंने बच्चे का शव बाहर निकाला.

पढ़ेंः COVID-19 : कोरोना हॉटस्पॉट रामगंज के लिए केंद्र ने टीम भेजी, आज कर सकती है क्षेत्र का दौरा

बावड़ी उपखंड के उपखंड अधिकारी हेतराम चौहान का कहना है, कि वह इस मामले में विशेषज्ञता रखते हैं. ऐसे में हम उनको इस तरह की घटना होने पर बुला लेते हैं लेकिन इसके लिए वह घटना से जुड़े परिजनों की अनुमति भी प्राप्त करते हैं. केवलचंद का मानना है, कि उनका जुगाड़ जिस तरीके से काम करता है. ऐसा जुगाड़ अगर एनडीआरएफ या एसडीआरफ आपके पास हो तो वह काफी जल्दी इस काम को खत्म कर सकते हैं.

जोधपुर. जिले से 60 किलोमीटर दूर बावड़ी उपखंड के जोइन्तरा गांव में सोमवार को हुए बोरवेल हादसे में से बच्चे को जिंदा नहीं निकाला जा सका. 300 फीट गहरे बोरवेल में 200 फीट तक पानी भरा होने के चलते 5 साल का मासूम पानी में डूब गया था.

बोरवेल में गिरे बच्चों को निकालने में महारत हासिल है केवलचंद को

ऐसे मामलों में इतने गहरे बोरवेल में से शव को निकालना भी चुनौती से कम नहीं होता है. राजस्थान और देश के अन्य हिस्सों में इस तरह की घटनाओं में शव निकालने के लिए भी बोरवेल के समानांतर जमीन खोदने पड़ती है, उसके बाद कहीं जाकर शव निकाला जाता है. लेकिन जोधपुर के मथानिया क्षेत्र में सबमर्सिबल पंप बोरवेल का काम करने वाले केवलचंद माली ने अपनी जुगाड़ तकनीक से इस तरह के 8 रेस्क्यू ऑपरेशन पूरे किए है. सोमवार को उनका यह आठवां रेस्क्यू ऑपरेशन था, जिसमें उन्होंने 2 घंटे में ही रोहित का शव बाहर निकाल दिया.

हालांकि वे इस बात से दुखी थे, कि बच्चे को बचा नहीं सके. केवलचंद ने बताया, कि इस तरह के मामलों में अभी तक भी एक बच्चे को ही जीवित निकाल सके हैं. केवलचंद इस तरह के घटनाक्रम में बोरवेल की गहराई के अनुरूप लोहे के पाइप और उसके आगे एक जुगाड़ लगाकर एक के बाद एक नीचे उतारते हैं और उन्हें जोड़ते हुए वापस ऊपर खींचते हैं. इसी तकनीक से रोहित का शव निकाला गया और कुछ माह पहले इसी उपखंड में हुई इस तरह की घटना में भी उन्होंने बच्चे का शव बाहर निकाला.

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बावड़ी उपखंड के उपखंड अधिकारी हेतराम चौहान का कहना है, कि वह इस मामले में विशेषज्ञता रखते हैं. ऐसे में हम उनको इस तरह की घटना होने पर बुला लेते हैं लेकिन इसके लिए वह घटना से जुड़े परिजनों की अनुमति भी प्राप्त करते हैं. केवलचंद का मानना है, कि उनका जुगाड़ जिस तरीके से काम करता है. ऐसा जुगाड़ अगर एनडीआरएफ या एसडीआरफ आपके पास हो तो वह काफी जल्दी इस काम को खत्म कर सकते हैं.

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