जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का दुरुपयोग करने एवं तथ्य छिपाने वाली याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कार्यवाहक सीजे एमएम श्रीवास्तव व न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने खिरजा फतेहगढ़ तहसील शेरगढ़, जोधपुर में खदान लाईसेंस की ई निविदा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आधे अधूरे तथ्य व तथ्य छिपाने के साथ कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर जुर्माने के साथ याचिका को खारिज कर दिया.
ई निविदा को दी थी चुनौतीः खिरजा फतेहगढ़ निवासी नारायण सिंह व अन्य ने खिरजा फतेहगढ़ में खनन लाईसेंस के लिए जारी ई निविदा को चुनौती दी थी. जिसमें कहा गया कि इससे बरसाती पानी का बहाव और जलग्रहण क्षेत्र प्रभावित होगा और विभिन्न छोटे तालाब जिन पर स्थानीय लोग और मवेशी आश्रित हैं, वो भी प्रभावित होंगे. सरकार की ओर से कहा गया कि नियमानुसार ही खनन विभाग की ओर से खदान लाईसेंस जारी किए गए हैं. जिस भूमि को चुनौती दी है वो गैर मुमकिन मगरा सरकार के नाम से है. वहां पर किसी प्रकार का वृक्षारोपण संभव नहीं है. इसके अलावा क्षेत्र में कोई आबादी, सार्वजनिक स्थान, सार्वजनिक सड़क, ओरण/देववन/पवित्र-वन नहीं है, और न ही कोई कैचमेंट एरिया है.
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खुद लेना चाहता था खदान लाईसेंसः याचिकाकर्ता ने स्वयं खदान लाईसेंस के लिए प्रयास किए थे. साथ ही ग्रामीणों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण की मांग उठाई थी, इसपर उसके हस्ताक्षर भी हैं. इससे जाहिर है कि वो स्वयं भी खदान लाईसेंस के लिए इच्छुक थे. केवल निजी स्वार्थ के लिए याचिका दायर की गई थी. जबकि सभी लाईसेंस नियमानुसार ही जांचकर NOC के आधार पर दिए गए हैं. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद कहा कि न तो खदान लाईसेंस होल्डर को पक्षकार बनाया गया है न पूरे तथ्य पेश किए गए. यह केवल जनहित याचिका का दुरुपयोग है. निजी स्वार्थ के चलते कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया है. इसीलिए 50 हजार रुपये के जुर्माने के साथ याचिका को खारिज कर दिया.