जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए जोधपुर नगर निगम को आर्य समाज में विवाह करने वाले प्रेमी युगल दंपति के लिए मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश दिए हैं. दंपत्ति की ओर से जोधपुर नगर निगम में आर्य समाज का विवाह प्रमाण पत्र लगा कर सरकारी मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया था.
वहीं, नगर निगम में मैरिज सर्टिफिकेट के लिए एक नियमावली है जिसके तहत विवाह से जुड़ी जानकारी आवदेक को उपलब्ध करवानी होती है. लेकिन, आवेदन कर्ता योगेश मेहता और भावना मेहता ने आर्य समाज की ओर से जारी प्रमाणपत्र लगाया था. जिसके चलते निगम ने माता पिता की उपस्थिति मांगी. इसके आवेदन को निरस्त कर दिया.
इसको लेकर योगेश मेहता और भावना मेहता ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आर्य समाज के विवाह को सामाजिक मान्यता का हवाला देकर निगम से सरकारी मैरिज सर्टिफिकेट दिलाने की मांग की. न्यायाधीश दिनेश मेहता ने सुनवाई करते हुए नगर निगम जोधपुर को एक सप्ताह में आवेदन से जुड़ी कार्रवाई पूर्ण करने के निर्देश दिए है. मामले की अगली सुनवाई 9 दिसम्बर को रखी गई है.
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सरकारी प्रमाणपत्र में देने होते है साक्ष्य
राजस्थान सरकार की ओर से नगर निगम, नगर पालिका द्वारा जारी किए जाने वाले विवाह प्रमाण पत्र के लिए कुछ साक्ष्य उपलब्ध कराने होते हैं. जिसमें विवाह का कार्ड, फेरे करवाने वाले पंडित की जानकारी और विवाह में शामिल होने वाले कुछ लोगों की जानकारी देनी होती है. इसके अलावा विवाह की एक फोटो भी लगानी होती है.
साथ ही माता पिता की भी जानकारी दोनो पक्षों की देनी होती है. उसके बाद ही सरकारी विवाह प्रमाण पत्र जारी होता है. जिसका उपयोग सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने और नौकरी के दौरान आवेदन में भी किया जाता है. जबकि आर्य समाज मे वयस्क होने और युवक युवती की रजामंदी जरूरी होती है.