जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस अरूण मोंगा ने सोलर ऊर्जा पॉलिसी 2023 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर सोलर कंपनियों के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. जस्टिस अरूण मोंगा की एकलपीठ के समक्ष राजस्थान सोलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील बंसल की ओर से पेश याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य एवं डॉ हरीश पुरोहित ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की.
याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार ने राजस्थान में सोलर ऊर्जा को लेकर 2014, 2019 एवं 2023 में पॉलिसी बनाई है. पूर्व में बनाई गई पॉलिसी में राजस्थान सोलर विकास फंड के रूप में एक मेगावाट पर एक साल के लिए 1 लाख रुपए जमा करवाने होते थे. अब सरकार ने 2023 में जो पॉलिसी बनाई है, उसमें नई सोलर कम्पनियां जो 2023 के बाद राजस्थान में सोलर प्लांट लगा रही हैं, उनको नई पॉलिसी के अनुसार राजस्थान सोलर विकास फंड के अलावा प्रति हेक्टर जमीन पर भी विकास फंड के अनुसार 50 हजार अलग से देना होगा.
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यह फंड कम्पनियों को देना होगा, जो डिस्कॉम के अलावा किसी अन्य राज्य को विद्युत सप्लाई करेंगे. इसको लेकर सरकार ने 25 अक्टूबर, 2023 को एक परिपत्र जारी किया है जो फंड जमा नहीं करवाऐंगे. उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी निर्देश दिए थे. जिसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुसार पॉलिसी बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को ही है ना कि राज्य सरकार को. राजस्थान के सोलर प्लांट राजस्थान से बाहर अन्य राज्यों को विद्युत सप्लाई करते हैं.
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ऐसे में मामला एक से अधिक राज्यों को होने से कानून बनाने का अधिकार भी केन्द्र सरकार का है. जबकि केन्द्र ने अभी तक ना तो कोई पॉलिसी बनाई है और ना ही कानून. ऐसे में राज्य सरकार को अपनी मनमर्जी करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार एवं विद्युत कम्पनियों को नोटिस जारी किया है. 10 जनवरी, 2024 को मामले में अगली सुनवाई मुकरर्र करते हुए तब तक 25 अक्टूबर के परिपत्र के तहत किसी प्रकार की दंडात्मक कारवाई करने पर रोक लगा दी है.