जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर को सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं प्रदान करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए 20 नवम्बर तक जवाब तलब किया है. जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ में संभली ट्रस्ट एनजीओ की ओर से जनहित याचिका पेश की गई.
अधिवक्ता शिवानी सिंह ने याचिका में बताया कि ट्रांसजेंडर के कल्याण से जुड़ा मामला है. ट्रांसजेंडर राज्य द्वारा समय-समय पर जारी कल्याण सुविधाओं से वंचित है. सरकारी अस्पताल में उनके उपचार के लिए कोई अलग वार्ड उपलब्ध नहीं है और ना ही चिकित्सा देखभाल के लिए कोई सुविधा है. अस्पताल में महिला एवं पुरूष वार्ड उपलब्ध है, लेकिन ट्रांसजेंडर को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. वे जन्म से ही लाइलाज बीमारी/असामान्यता से ग्रस्त है. समाज में उन्हे सहज रूप से नहीं देखा जाता है.
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ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण), अधिनियम, 2019 की धारा 15 चिकित्सा देखभाल सुविधाएं लेने और अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और केंद्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करने का कानूनी अधिकार देती है, लेकिन आज तक ऐसी कोई चिकित्सा सुविधा नहीं है. जो सरकारी अस्पतालों में ट्रांसजेंडरों को सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. महाराष्ट्र में ट्रांसजेंडर के लिए अस्पताल में नया वार्ड स्थापित किया गया है, लेकिन राजस्थान में आज तक राज्य सरकार द्वारा ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए 20 नवम्बर तक जवाब तलब किया है.