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तलाक की समयावधि को घटा सकता है High Court व फैमिली कोर्ट, SC के निर्णय की करनी होगी पालना

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Published : Aug 17, 2023, 11:07 PM IST

तलाक की समयावधि को घटाने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट और फैमिली कोर्ट भी विवाह विच्छेद के मामले में समयावधि को भी घटा सकते हैं.

HC and family court can reduce divorce period: Rajasthan High court
तलाक की समयावधि को घटा सकता है High Court व फैमिली कोर्ट, SC के निर्णय की करनी होगी पालना

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण भंसाली व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने विवाह विच्छेद के मामले में समयावधि को कम करने के लिए दायर अपील पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट को भी अधिकार है कि वे तलाक की समयावधि को घटा सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अमरदीप सिंह व अमित कुमार के निर्णय में दिए निर्देशों की पालना आवश्यक है.

हाईकोर्ट के समक्ष तरूण चौधरी व मदिता गौड़ ने हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 बी (2) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए जोधपुर की फैमिली कोर्ट में संयुक्त प्रार्थना पत्र पेश किया था. अधिनियम के तहत पेश आवेदन को फैमिली कोर्ट ने 29 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दिया था. फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष अपील पेश की गई. सुप्रीम कोर्ट ने शिल्पा शैलेश के निर्णय में कहा कि संविधान पीठ भारत के संविधान की ओर से प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए प्रतीक्षा अवधि को समाप्त कर सकती है.

पढ़ें: पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए पेश हो सकती है तलाक की अर्जी -हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष एक विधिक प्रश्न खड़ा हुआ कि क्या हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट भी प्रतीक्षा अवधि को समाप्त कर सकते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट के पास संविधान प्रदत्त शक्तिया हैं, लेकिन हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट क्या निर्णय करेंगे. हाईकोर्ट ने इस मामले में अधिवक्ता संजीत पुरोहित को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए विधिक प्रश्न पर सहयोग करने का अनुरोध किया. न्यायमित्र संजीत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट के तीनों निर्णय का अध्ययन करने के बाद कोर्ट को सुनवाई में सहयोग किया.

पढ़ें: Karnataka HC ने तलाक के मामलों को एक साल के भीतर निपटाने का निर्देश दिया

कोर्ट को बताया कि अमरदीप सिंह व अमित कुमार में जहां आपसी सहमति से तलाक का मामला हो, वहां प्रतीक्षा अवधि समाप्त करने के लिए कुछ बाध्यताएं निर्देशित की गई हैं. जबकि शिल्पा शैलेश में संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग किया गया है. ऐसे में हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट के पास भी शक्तियां हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के निर्णय अमरदीप सिंह व अमित कुमार में दिए गए निर्देशों को सुनिश्चित करते अवधि कम कर सकते हैं.

पढ़ें: फैमिली कोर्ट में केस, महिला करती थी ऐप के जरिये गंदी बात, पोल खुली पति बना दुश्मन

राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम निर्णय पारित करते हुए जोधपुर फैमिली कोर्ट के 29 अप्रैल, 2023 को पारित आदेश को अपास्त करते हुए अपीलकर्ताओं द्वारा दायर आवेदन पर निर्णय लेने के लिए नए सिरे से सुनवाई के लिए कहा है. दोनों अपीलकर्ताओं को 21 अगस्त, 2023 को फैमिली कोर्ट के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अमरदीप सिंह व अमित कुमार के निर्णय का अवलोकन करते हुए उनके निर्देशों की पालना करते हुए आवेदन पर शीघ्रता से दुबारा निर्णय करें.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण भंसाली व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने विवाह विच्छेद के मामले में समयावधि को कम करने के लिए दायर अपील पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट को भी अधिकार है कि वे तलाक की समयावधि को घटा सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अमरदीप सिंह व अमित कुमार के निर्णय में दिए निर्देशों की पालना आवश्यक है.

हाईकोर्ट के समक्ष तरूण चौधरी व मदिता गौड़ ने हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 बी (2) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए जोधपुर की फैमिली कोर्ट में संयुक्त प्रार्थना पत्र पेश किया था. अधिनियम के तहत पेश आवेदन को फैमिली कोर्ट ने 29 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दिया था. फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष अपील पेश की गई. सुप्रीम कोर्ट ने शिल्पा शैलेश के निर्णय में कहा कि संविधान पीठ भारत के संविधान की ओर से प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए प्रतीक्षा अवधि को समाप्त कर सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष एक विधिक प्रश्न खड़ा हुआ कि क्या हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट भी प्रतीक्षा अवधि को समाप्त कर सकते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट के पास संविधान प्रदत्त शक्तिया हैं, लेकिन हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट क्या निर्णय करेंगे. हाईकोर्ट ने इस मामले में अधिवक्ता संजीत पुरोहित को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए विधिक प्रश्न पर सहयोग करने का अनुरोध किया. न्यायमित्र संजीत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट के तीनों निर्णय का अध्ययन करने के बाद कोर्ट को सुनवाई में सहयोग किया.

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कोर्ट को बताया कि अमरदीप सिंह व अमित कुमार में जहां आपसी सहमति से तलाक का मामला हो, वहां प्रतीक्षा अवधि समाप्त करने के लिए कुछ बाध्यताएं निर्देशित की गई हैं. जबकि शिल्पा शैलेश में संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग किया गया है. ऐसे में हाईकोर्ट व फैमिली कोर्ट के पास भी शक्तियां हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के निर्णय अमरदीप सिंह व अमित कुमार में दिए गए निर्देशों को सुनिश्चित करते अवधि कम कर सकते हैं.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम निर्णय पारित करते हुए जोधपुर फैमिली कोर्ट के 29 अप्रैल, 2023 को पारित आदेश को अपास्त करते हुए अपीलकर्ताओं द्वारा दायर आवेदन पर निर्णय लेने के लिए नए सिरे से सुनवाई के लिए कहा है. दोनों अपीलकर्ताओं को 21 अगस्त, 2023 को फैमिली कोर्ट के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अमरदीप सिंह व अमित कुमार के निर्णय का अवलोकन करते हुए उनके निर्देशों की पालना करते हुए आवेदन पर शीघ्रता से दुबारा निर्णय करें.

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