जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने तीसरे कार्यकाल के अंतिम बजट में बड़ा स्ट्रोक खेलते हुए प्रदेश में 19 नए जिले व 3 नए संभाग बनाने की घोषणा कर दी है. इस घोषणा से प्रदेश का प्रशासनिक ढांचा तो सुदृढ होगा ही साथ ही राजनीतिक लाभ भी उनको मिलेंगे. इस घोषणा से मारवाड़ में जिलों व संभाग का नक्शा भी बदल जाएगा. खास तौर से जोधपुर जिले में बड़ा बदलाव होगा. यहां अब तीन जिले होंगे. मुख्यमंत्री ने जोधपुर जिले के फलौदी तहसील को जिला बनाने की घोषणा की है. इसके अलावा जोधपुर पूर्व व पश्चिम भी दो अलग-अलग जिले बनेंगे. इसी तरह से जोधपुर संभाग का गठन भी नए सिरे से होगा. ऐसे में माना जा रहा है कि नागौर जिले में नए जिले बनने से शेष हिस्सा जो जोधपुर से जुड़ा हुआ है, उसे जोधपुर संभाग में शामिल किया जाएगा. इससे मारवाड़ की परिकल्पना प्रशासनिक दृष्टि से भी पूरी होगी. नए जिलों की घोषणा के पीछे सबसे बड़ा तर्क जिला मुख्यालय की दूरी को कम करना दिया गया है.
राजनीति भी बदलेगी - कांग्रेस को राजनीतिक फायदा मिले इसके लिए ही नए जिले बनाने की घोषणा की गई है. जोधपुर से फलौदी को अलग कर दूर दराज के क्षेत्रों में संदेश दिया जाएगा. जबकि नागौर जैसे जिले को तीन हिस्सों में बांट कर वहां की जाट राजनीति के समीकरण भी बदलने की कोशिश होगी. नागौर जिले से सीएम के खेमे में सिर्फ महेंद्र चौधरी ही है, जो नावां से आते हैं. उनके क्षेत्र को नया जिला बनाने की घोषणा की गई है. इसमें डीडवाना व कुचामन को संयुक्त रूप से जिला बनाया जाएगा. जिसमें नागौर जिले के लाडनूं व परबतसर, नावां व मकराना व परबतसर उपखंड क्षेत्र शामिल होगा. इसके अलावा चुरू का सुजानगढ भी शामिल हो सकता है. नए जिले की सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व है. ज्यादातर युवा हैं, जो पायलट समर्थक माने जाते हैं. यही गणित जोधपुर जिले की है. ऐसे में सीएम अगर उम्मीदवार भी बदले तो जिले की सौगात से फायदा होने की उम्मीद होगी.
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अब होगी सियासत - फलौदी तहसील मुख्यालय अभी जिले से 125 किमी दूर है. जबकि इस तहसील का अंतिम गांव जिले से करीब दो सौ किमी दूर है. फलौदी जिले के गठन में कुछ हिस्सा बिकानेर का भी आ सकता है, जो बाप से जुड़ा है. इसके अलावा जोधपुर के वर्तमान जिले से लोहावट, बाप के अलावा कुछ हिस्सा ओसियां व बालेसर उपखंड का भी शामिल हो सकता है, जो फलौदी से पचास से साठ किमी दूर होंगे. वर्तमान में फलौदी विधानसभा भाजपा के कब्जे में है. जबकि लोहावट, ओसियां और शेरगढ़ पर कांग्रेस का कब्जा है. इन विधानसभा सीटों के राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखकर ही ये फैसला लिया गया है.
शेष जोधपुर जिले में यह होगा क्षेत्र - जोधपुर जिले में वर्तमान में दस विधानसभा क्षेत्र है, जो तीन जिलों में विभक्त होगी. फलौदी जिले में दो विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से जांएगे. जबकि दो आंशिंक रूप से जाएंगे. जोधपुर जिला पूर्व में सरदारपुरा, बिलाडा, भोपालगढ़ विधानसभा का पूरा क्षेत्र और जोधपुर शहर व ओसियां विधानसभा के आशिंक हिस्से जा सकते हैं. जबकि पश्चिमी में सूरसागर, लूणी, शेरगढ़ और जोधपुर शहर का आशिंक हिस्सा जा सकता है.
बदलेगा जोधपुर संभाग का भूगोल - जोधुपर संभाग में अभी कुल छह जिले हैं. नए संभागीय ढांचे में भी यह संख्या छह ही रहने की उम्मीद है. इसमें जोधपुर पूर्व व पश्चिम, फलौदी, जैसलमेर व नागौर जिला शामिल हो सकते हैं. नवगठित होने वाले पाली संभाग में पाली, सिरोही, जालौर, सांचौर, बाडमेर व बालोतरा जा सकते हैं. जालौर से सांचोर को जिला बनाने में बाड़मेर का हिस्सा भी शामिल होगा.
सबसे ज्यादा परिवर्तन नागौर में - नागौर जिला लगभग प्रदेश के केंद्र में है. जिसके चलते इस जिले की सीमा कई जिलों से लगती है. इस जिले के पुर्नगठन व आस पास बनने वाले नए जिलों से यहां सर्वाधिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे. डीडवाना-कुचामन जिले के गठन से जिला दो भाग में विभक्त हो जाएगा. शेष नागौर जिले में नागौर जिले में नागौर, जायल खिंवसर, मेड़ता व डेगाना रह जाएंगे.