जोधपुर. बारिश में रुकावट और उसके बाद लगातार समय पर बिजली नहीं मिलना, कम वोल्टेज और बार-बार ट्रिपिंग के चलते किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. आए दिन जिले में ट्रांसफार्मर जल रहे हैं जो 15 दिन से बदले जा रहे है. इससे मूंगफली और कपास की फसल को नुकसान हो रहा है. किसानों की मांग है कि प्रतिदिन सुबह 6 व रात को 7 घंटे बिजली बिना ट्रिपिंग के सही वोल्टेज के साथ मिले. इसको लेकर बिजली विभाग को लगातार इस को लेकर किसान शिकायत दर्ज करवा रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन पुख्ता कार्रवाई नहीं होने से परेशान होकर शुक्रवार शाम को भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में जिले के किसानों ने जोधपुर डिस्कॉम कार्यालय के सामने महापड़ाव शुरू कर दिया.
भारतीय किसान संघ के तुलसीराम सिंवर ने बताया कि पूरे दिन में 6 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है. जो बिजली आ रही है, उसका वोल्टेज भी इतना कम रहता है कि ट्यूबवेल की मोटर चालू नहीं होती है. अपनी फसल खराब होती देख परेशान किसान कम वोल्टेज में भी ट्यूबवेल चलाने का प्रयास करते हैं. इससे मोटर जल जाती है. ऐसे में एक मोटर ठीक करवाने में 30 हजार तक का खर्च आ रहा है.
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सिंवर ने बताया कि इसको लेकर हमने जयपुर में 16 मई को भी प्रदर्शन किया था. उसके बाद मानसून की बारिश होने से स्थिति सुधर गई, लेकिन पिछले 15 से 20 दिनों से बारिश नहीं हो रही है. इससे बिजली की डिमांड बढ़ गई है. लेकिन डिस्कॉम का तंत्र किसानों को बिजली की आपूर्ति नहीं करवा पा रहा है. एक ट्यूबवेल को चलाने के लिए 400 वोल्टेज चाहिए, लेकिन 220 वोल्टेज से ज्यादा नहीं मिल रहे हैं. आज का पड़ाव तब तक नहीं उठेगा जबतक हमारी समस्या का समाधान नहीं हो जाता.
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किसानों ने बताया कि पर्याप्त और सही वोल्टेज में बिजली नहीं मिलने से 40 बीघा खेत में सिर्फ 10 बीघा में ही सिंचाई हो पा रही है. डिस्कॉम का तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुका है. 33 केवी के सब स्टेशन में 11 हजार वोल्ट की जगह 9 हजार वोल्ट आ रहा है. ऐसी स्थिति में खरीफ की फसल को नुकसान हो रहा है. वर्तमान में कम से कम 13 घंटे बिजली की आवश्यकता है.
भोजन व्यवस्था भी की: किसानों ने ऐलान किया है कि अब हम यहां से वे तब तक नहीं जाएंगे, जब तक हमारी समस्या का समाधान नहीं हो जाता. यह हमारा महापड़ाव है. किसान अपने साथ भोजन बनाने के लिए सामग्री और समान भी लेकर आए हैं. साथ ही रात को रुकने के लिए भी व्यवस्था की है. किसान अपने साथ गैस की टंकी, भोजन बनाने के लिए भट्टियां लाए हैं.