जोधपुर. राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए अगले महीने से आंदोलन शुरू किया जाएगा. राजस्थानी युवा समिति के संस्थापक हिमांशु शर्मा ने बताया कि हमारी समिति हैलो मायड भाषा रौ नाम से हर संभाग मुख्यालय पर सफल आंदोलन कर चुकी है. अब छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी के नेतृत्व में आंदोलन होगा. भाटी पहले से ही समिति से जुड़े हुए हैं.
भाटी ने बताया कि समिति पहले भी सीएम को गुहार लगा चुकी है, लेकिन सीएम ने अपना वादा नहीं निभाया. अब समिति ने जयपुर में राजस्थानी को राजभाषा दिलाने के लिए धरना शुरू करने का निर्णय लिया है. इससे पहले 3 फरवरी तक पूरे प्रदेश सीएम के नाम कलेक्टर को युवा ज्ञापन देंगे. इस दौरान सीएम अगर सकारात्मक कदम नहीं उठाते हैं, तो जयपुर में धरना शुरू होगा.
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भाटी ने कहा कि अनुच्छेद 345 के तहत राज्य विधानसभा राजभाषा का दर्जा दे सकती है. लेकिन सरकार इस और कदम नहीं उठा रही है. हर बार यह कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने आठवीं अनुसूची में मान्यता का प्रस्ताव लंबित कर रखा है. जबकि सरकार चाहे तो अपने स्तर पर अपने राज्य में तो मायड भाषा को पहले दर्जा दे सकती है. लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. राना के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने कहा कि युवा इस आंदोलन को लेकर चलेंगे तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी. केंद्र व राज्य सरकार को मान्यता देनी होगी.
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2003 में भेजा गया था प्रस्ताव: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही 2003 में राज्य विधानसभा से राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिए प्रस्ताव केद्र को भेजा था. इस प्रस्ताव में राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता की बात कही गई थी, जो अभी तक लंबित है. इसके बाद कांग्रेस व भाजपा दोनों की सरकारें राज्य में रहीं, लेकिन इस प्रस्ताव पर अमल नहीं हुआ. इसलिए अब राजस्थानी को पहले राज्य की भाषा बनाने की बात हो रही है.