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भाइयों की कलाई पर सजेंगी स्वदेशी राखियां, भोपालगढ़ में बाजारों से चीनी राखियां गायब

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Published : Aug 1, 2020, 4:24 PM IST

सोमवार को रक्षाबंधन का त्यौहार है. ऐसे में जोधपुर के भोपालगढ़ में बहनें बाजारों में राखियां खरीदतीं नजर आ रही हैं. खास बात ये है कि इस बार बहनों ने स्वदेशी राखी से भाइयों की कलाई सजाने का निश्चय किया है. हाालांकि, कोरोना के कारण बाजारों में हर साल की तरह भीड़ नजर नहीं आ रही है.

Bhopalgarh Jodhpur News, रक्षाबंधन 2020
जोधपुर के भोपालगढ़ में रक्षाबंधन के मौके पर बहनें खरीद रहीं स्वदेशी राखियों

भोपालगढ़(जोधपुर). कोरोना के कारण सारे त्यौहार फीके पड़ गए हैं. रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार को है. ऐसे में जोधपुर के भोपालगढ़ में बहनें बाजारों में राखियां खरीदती नजर आ रहीं हैं. खास बात ये है कि बहनों ने इस बार भाई की कलाई पर देश में ही बनी राखी बांधने का निश्चय किया है.

पढ़ें: Corona Update : प्रदेश में कोरोना के 563 नए पॉजिटिव केस...आंकड़ा पहुंचा 42, 646...अबतक 690 की मौत

हाालांकि, त्यौहारी सीजन के बावजूद बाजारों में ज्यादा भीड़ नजर नहीं आ रही हैं. कोरोना के कारण लोग घरों में ही कैद हैं, लेकिन इसके बाद भी भाई-बहन के स्नेह पर्व पर बहनें सतर्कता बरतते हुए राखी खरीदने के लिए दुकानों पर पहुंच रहीं हैं. बाजार में राखियों की दुकानें सज गईं हैं, लेकिन इस बार चाइनीज राखियां नजर नहीं आ रही हैं. भारत और चीन के बीच तकरार का असर बाजारों में बिकने वाले चीनी उत्पादों पर भी पड़ा है. दुकानदारों के साथ बहनों ने भी इसबार चाइनीज राखियों का बहिष्कार किया है.

पढ़ें: राजस्थान सियासी संग्रामः शनिवार को जैसलमेर से जयपुर के लिए रवाना होंगे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

ग्राहक दुकान में घुसने से पहले ही बता रहे हैं कि उन्हें चाइनीज राखी नहीं चाहिए. महिला ग्राहक कौशल्या चौधरी, यशोदा चौधरी, मधु देवासी और शोभा सेन ने बताया कि स्वदेशी राखियां बहुत ही सुंदर और आकर्षक हैं. उनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है. वहीं एक अन्य ग्राहक किरण जाट ने कहा कि उनके भाई की कलाई पर इस बार स्वदेशी राखी ही सजेगी, चीनी राखी तो बिल्कुल नहीं लेनी. उन्होंने बताया कि वह पांच साल से एक जगह से ही राखी खरीद रही हैं. लेकिन इस बार आने पर पहले दुकानदार से पूछ लिया था कि चीनी राखी तो नहीं है, इसके बाद ही राखियां खरीदी हैं.

दुकानदारों ने भी नहीं रखीं चीनी राखियां

राखी खरीदने आईं बहनें दुकानदार से पहले ही पूछ ले रहीं हैं कि चीनी राखियां तो नहीं है. आमजन की भावना को समझते हुए दुकानदारों ने पहले से ही अपने दुकान से चीनी राखियां हटा दी हैं. भोपालगढ़ के महादेव मार्किट में स्थित राखी के दुकानदार कालूदास वैष्णव बताते हैं कि इस बार स्वदेशी राखियां ही दुकानों पर रखी गईं हैं. हालांकि इस बार राखियों की खरीदारी भी हर साल की तुलना में कम ही हो रही है.

भोपालगढ़(जोधपुर). कोरोना के कारण सारे त्यौहार फीके पड़ गए हैं. रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार को है. ऐसे में जोधपुर के भोपालगढ़ में बहनें बाजारों में राखियां खरीदती नजर आ रहीं हैं. खास बात ये है कि बहनों ने इस बार भाई की कलाई पर देश में ही बनी राखी बांधने का निश्चय किया है.

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हाालांकि, त्यौहारी सीजन के बावजूद बाजारों में ज्यादा भीड़ नजर नहीं आ रही हैं. कोरोना के कारण लोग घरों में ही कैद हैं, लेकिन इसके बाद भी भाई-बहन के स्नेह पर्व पर बहनें सतर्कता बरतते हुए राखी खरीदने के लिए दुकानों पर पहुंच रहीं हैं. बाजार में राखियों की दुकानें सज गईं हैं, लेकिन इस बार चाइनीज राखियां नजर नहीं आ रही हैं. भारत और चीन के बीच तकरार का असर बाजारों में बिकने वाले चीनी उत्पादों पर भी पड़ा है. दुकानदारों के साथ बहनों ने भी इसबार चाइनीज राखियों का बहिष्कार किया है.

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ग्राहक दुकान में घुसने से पहले ही बता रहे हैं कि उन्हें चाइनीज राखी नहीं चाहिए. महिला ग्राहक कौशल्या चौधरी, यशोदा चौधरी, मधु देवासी और शोभा सेन ने बताया कि स्वदेशी राखियां बहुत ही सुंदर और आकर्षक हैं. उनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है. वहीं एक अन्य ग्राहक किरण जाट ने कहा कि उनके भाई की कलाई पर इस बार स्वदेशी राखी ही सजेगी, चीनी राखी तो बिल्कुल नहीं लेनी. उन्होंने बताया कि वह पांच साल से एक जगह से ही राखी खरीद रही हैं. लेकिन इस बार आने पर पहले दुकानदार से पूछ लिया था कि चीनी राखी तो नहीं है, इसके बाद ही राखियां खरीदी हैं.

दुकानदारों ने भी नहीं रखीं चीनी राखियां

राखी खरीदने आईं बहनें दुकानदार से पहले ही पूछ ले रहीं हैं कि चीनी राखियां तो नहीं है. आमजन की भावना को समझते हुए दुकानदारों ने पहले से ही अपने दुकान से चीनी राखियां हटा दी हैं. भोपालगढ़ के महादेव मार्किट में स्थित राखी के दुकानदार कालूदास वैष्णव बताते हैं कि इस बार स्वदेशी राखियां ही दुकानों पर रखी गईं हैं. हालांकि इस बार राखियों की खरीदारी भी हर साल की तुलना में कम ही हो रही है.

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