जोधपुर. जिन लोगों ने कोविड वैक्सीन की तीसरी डोज ली है, उनमें आई फ्लू का असर कम देखने को मिल रहा है. यह कहना है एमडीएम अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ का. इस पर उन्होंने रिसर्च भी शुरू किया है.
शहर में करीब दो साल के अंतराल के बाद आई फ्लू का भारी प्रकोप दिख रहा है. इसके चलते अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है. अकेले एमडीएम अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में हर दिन 600 से 700 रोगी आ रहे हैं. अन्य अस्पतालों की संख्या जोड़ ले तो यह आंकड़ा प्रतिदिन 1000 से ज्यादा का है. बच्चों की संख्या अधिक है. एसएन मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद चौहान का कहना है कि इस बार आई फ्लू के रोगियों को लेकर हमें कई तरह की फाइंडिंग्स मिली हैं. जिस पर हम ने एक रिसर्च भी शुरू किया है.
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उन्होंने बताया कि यह वायरस हर साल आता है. पिछले कुछ सालों में कोरोना गाइडलाइन (हाइजीन की पालना, बार-बार हाथ धोना, भीड़भाड़ में कम जाना) की पालना के कारण कम फैला. मजबूत इम्यूनिटी से संक्रमण से बचाव होता है. साल 2021-2022 में कोविड वैक्सीन लगने के कारण एडिनो वायरस का असर ना के बराबर ही हुआ. जिन्हें कोविड वैक्सीन की तीसरी डोज लगी, उन पर इसका असर इस साल नहीं दिख रहा. यह एक शोध का विषय है. जिस पर हम काम कर रहे हैं. ओपीडी में आ रहे मरीजों का डेटा एकत्रित किया जा रहा है.
डॉक्टर्स के ग्रुप्स से मिला विषयः डॉ चौहान ने बताया कि आई फ्लू के बढ़ते मरीजों के दौरान विभाग के दो तीन डॉक्टर्स भी चपेट में आए. एक दो के हलका असर था. इसके बाद हमने सभी से जानकारी ली, तो पता चला कि जिनके कोविड तीसरी डोज लगी, उन पर आई फ्लू के एडिनो वायरस का असर नगण्य था. इसके बाद आने वाले मरीजों से भी जानकारी लेकर डेटा एकत्र कर रहे हैं. अभी तक पचास से ज्यादा मरीज की जानकारी जुटाई गई है. इसमें कब और कौनसी वैक्सीन लगी, इसका पता लगाया जा रहा है.
यूं बचें संक्रमण सेः डा चौहान ने बताया कि आई फ्लू यानी एडिनो वायरस को लेकर एक भ्रांति है कि संक्रमित लोगों को देखने से यह फैलता है, लेकिन ऐसा नहीं है. यह केवल संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. संक्रमित का रूमाल, तौलिया या बिस्तर शेयर ना करें. आंख लाल रहना, आंखों में सूजन, पानी आना, कान के पास दर्द और हल्का बुखार इसके प्रमुख लक्षण हैं.