जोधपुर. हाईकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस संदीप मेहता व अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मनोजकुमार के पैरोल आवेदन पर सुनवाई के दौरान अदालत के निर्देश पर उसे कोर्ट में पेश किया तो खंडपीठ को इस बात की हैरानी हुई कि पैरोल मांगने वाले को कुछ दिखाई नहीं देता है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस मेहता ने बंदी से पूछा कि पैरोल मिल जाएगी तो कहां जाओगे. क्योंकि, उसके घर का पता नहीं था. किसी रिश्तेदार की जानकारी भी पुलिस के पास नहीं है. ऐसे में बंदी ने कहा कि उसकी एक बहन है. जिसका वह पता जानते हैं, लेकिन उसे यह पता नहीं है कि मैं दृष्टिहीन हो गया हूं. उसके वहां रह सकता हूं.
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इस पर कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को निर्देश दिए कि बंदी जो पता बता रहा है, उसका सत्यापन करवाएं. चूंकि उसे सजा के दौरान ऑपरेशन होने के बाद दिखना बंद हुआ है. ऐसे में उसका उपचार राज्य सरकार अपने खर्च पर मेडिकल बोर्ड का गठन कर एम्स में हर हाल में करवाए. इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को रखी गई है.
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गौरतलब है कि इंदौर निवासी मनोजकुमार 11 साल से अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में सजा काट रहा है. वह अभी अजमेर जेल में था. एम्स में उपचार के लिए उसे जोधपुर जेल शिफ्ट किया गया है. साथ ही पैरोल की अर्जी लगाई गई. जिस पर जस्टिस संदीप मेहता ने सुनवाई के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक (जेल) के नाम निर्देश जारी किए कि आगे से पैरोल के मामले में प्रत्येक बंदी की शारीरिक व स्वास्थ्य की स्थिति की भी जानकारी दें.