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पैरोल का आवेदन करने वाले बंदी की आंखों में नहीं थी रोशनी, कोर्ट ने दिए उपचार के निर्देश

एक बंदी की ओर से लगाए गए पैरोल आवेदन की सुनवाई के दौरान जब उसे कोर्ट में पेश किया गया तो खंडपीठ को हैरानी हुई कि उस बंदी की आंखों की रोशनी नहीं हैं. इसके बाद राज्य सरकार के खर्च पर मेडिकल बोर्ड का गठन कर एम्स में हर हाल में उपचार करवाए जाने के निर्देश दिए. वहीं कोर्ट ने राज्य के डीजी (जेल) के नाम निर्देश जारी किए कि आगे से पैरोल के मामले में प्रत्येक बंदी की शारीरिक व स्वास्थ्य की स्थिति की भी जानकारी दें.

कोर्ट ने बंदी के उपचार के दिए निर्देश
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Published : Jul 30, 2019, 4:34 PM IST

जोधपुर. हाईकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस संदीप मेहता व अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मनोजकुमार के पैरोल आवेदन पर सुनवाई के दौरान अदालत के निर्देश पर उसे कोर्ट में पेश किया तो खंडपीठ को इस बात की हैरानी हुई कि पैरोल मांगने वाले को कुछ दिखाई नहीं देता है.

कोर्ट ने बंदी के उपचार के दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान जस्टिस मेहता ने बंदी से पूछा कि पैरोल मिल जाएगी तो कहां जाओगे. क्योंकि, उसके घर का पता नहीं था. किसी रिश्तेदार की जानकारी भी पुलिस के पास नहीं है. ऐसे में बंदी ने कहा कि उसकी एक बहन है. जिसका वह पता जानते हैं, लेकिन उसे यह पता नहीं है कि मैं दृष्टिहीन हो गया हूं. उसके वहां रह सकता हूं.

यह भी पढ़ें : प्रदेशभर में 108 एंबुलेंस सेवाएं ठप...हड़ताल पर एंबुलेंस कर्मी

इस पर कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को निर्देश दिए कि बंदी जो पता बता रहा है, उसका सत्यापन करवाएं. चूंकि उसे सजा के दौरान ऑपरेशन होने के बाद दिखना बंद हुआ है. ऐसे में उसका उपचार राज्य सरकार अपने खर्च पर मेडिकल बोर्ड का गठन कर एम्स में हर हाल में करवाए. इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को रखी गई है.

यह भी पढ़ें : अब घर बैठे आसानी से फाइल कर सकते हैं टैक्स रिटर्न, फॉलो करें ये स्‍टेप

गौरतलब है कि इंदौर निवासी मनोजकुमार 11 साल से अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में सजा काट रहा है. वह अभी अजमेर जेल में था. एम्स में उपचार के लिए उसे जोधपुर जेल शिफ्ट किया गया है. साथ ही पैरोल की अर्जी लगाई गई. जिस पर जस्टिस संदीप मेहता ने सुनवाई के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक (जेल) के नाम निर्देश जारी किए कि आगे से पैरोल के मामले में प्रत्येक बंदी की शारीरिक व स्वास्थ्य की स्थिति की भी जानकारी दें.

जोधपुर. हाईकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस संदीप मेहता व अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मनोजकुमार के पैरोल आवेदन पर सुनवाई के दौरान अदालत के निर्देश पर उसे कोर्ट में पेश किया तो खंडपीठ को इस बात की हैरानी हुई कि पैरोल मांगने वाले को कुछ दिखाई नहीं देता है.

कोर्ट ने बंदी के उपचार के दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान जस्टिस मेहता ने बंदी से पूछा कि पैरोल मिल जाएगी तो कहां जाओगे. क्योंकि, उसके घर का पता नहीं था. किसी रिश्तेदार की जानकारी भी पुलिस के पास नहीं है. ऐसे में बंदी ने कहा कि उसकी एक बहन है. जिसका वह पता जानते हैं, लेकिन उसे यह पता नहीं है कि मैं दृष्टिहीन हो गया हूं. उसके वहां रह सकता हूं.

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इस पर कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को निर्देश दिए कि बंदी जो पता बता रहा है, उसका सत्यापन करवाएं. चूंकि उसे सजा के दौरान ऑपरेशन होने के बाद दिखना बंद हुआ है. ऐसे में उसका उपचार राज्य सरकार अपने खर्च पर मेडिकल बोर्ड का गठन कर एम्स में हर हाल में करवाए. इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को रखी गई है.

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गौरतलब है कि इंदौर निवासी मनोजकुमार 11 साल से अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में सजा काट रहा है. वह अभी अजमेर जेल में था. एम्स में उपचार के लिए उसे जोधपुर जेल शिफ्ट किया गया है. साथ ही पैरोल की अर्जी लगाई गई. जिस पर जस्टिस संदीप मेहता ने सुनवाई के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक (जेल) के नाम निर्देश जारी किए कि आगे से पैरोल के मामले में प्रत्येक बंदी की शारीरिक व स्वास्थ्य की स्थिति की भी जानकारी दें.

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Body:जोधपुर। जोधपुर हाईकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस संदीप मेहता व अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मनोजकुमार की पैरोल पर सुनवाई के दौरान अदालत के निर्देश पर उसे कोर्ट में पेश किया तो खंडपीठ को इस बात का अचरज हुआ कि पैरोल मांगने वाले को कुछ दिखाई नहीं देता है। सुनवाई के दौरान जस्टिस मेहता ने बंदी से पूछा कि पैरोल मिल जाएगी तो कहां जाओगे क्योंकि उसके घर का पता नहीं था कोई रिश्तेदार की जानकारी पुलिस के पास भी नहीं है। ऐसे में बंदी ने कहा कि मेरी एक बहन है जिसका में पता जानता हूं लेकिन उसे यह पता नहीं है कि मैं अंधा हो गया हूं। उसके वहां रह सकता हूं। इस पर कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को निर्देश दिए कि कैदी जो पता बता रहा है उसका सत्यापन करवाएं चूंकि उसे सजा के दौरान आपरेशन होने के बाद दिखना बंद हुआ है ऐसे में उसका उपचार राज्य सरकार अपने खर्च पर मेडिकल बोर्ड का गठन कर एम्स में हर हाल में करवाए मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को रखी गई है। इंदौर निवासी मनोजकुमार 11 साल से अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में सजा काट रहा है। वह अभी अजमेर जेल में हैं एम्स में उपचार के लिए उसे जोधपुर जेल शिफ्ट किया गया साथ ही पैरोल की अर्जी लगाई गई। जिस पर जस्टिस संदीप मेहता ने सुनवाई के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक जेल के नाम निर्देश जारी किए कि आगे से पैरोल के मामले में प्रत्येक बंदी की शारीरिक व स्वास्थ्य की स्थिति की भी जानकारी दें।
बाईट अभिषेक पुरोहित, राजकीय अधिवक्ता


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