जोधपुर. 25 सितंबर को राजस्थान की राजनीति में आया भूचाल (Rajasthan Political Crisis) थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस के विधायकों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए इस्तीफों को लेकर भाजपा अब आक्रामक हो गई है. भाजपा विधानसभा अध्यक्ष से मांग कर रही है कि वह इस्तीफा स्वीकार करें क्योंकि जो लोग विधायक पद का इस्तीफा देकर मंत्री बने हुए हैं और तबादले कर रहे हैं, यह गलत है.
राठौड़ का समर्थन- इस बीच कांग्रेस की तेजतर्रार नेता और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ के बयान का समर्थन (Divya Maderna supports Rajendra Rathore) किया है. राठौड़ ने कहा था कि विधायकों को इस्तीफा देने की गलती के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. जो आलाकमान से टकराएगा चूर-चूर हो जाएगा. दिव्या मदेरणा ने ट्वीट कर कहा कि उपनेता प्रतिपक्ष ने मेरी बात को दोहराया है, जिन्होंने आलाकमान को ललकारा वह आज बैकफुट पर है.
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ये अवसरवाद की श्रेणी में आता है- दिव्या मदेरणा ने कहा कि त्यागपत्र देना भारी गलती थी, इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें. इतिहास गवाह है आलाकमान से जो टकराएगा, चूर-चूर हो जाएगा. अपने हित के लिए पार्टी बदलना अवसरवाद की श्रेणी में आता है तो अपने हित के लिए इस्तीफा नौटंकी से दबाव की राजनीति करना भी अवसरवाद की समांतर श्रेणी में ही आता है.
गौरतलब है कि 25 सितम्बर को बतौर कांग्रेस पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर आए थे. वे विधायक दल से रायशुमारी करने के लिए आए थे, लेकिन मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस बैठक (Congress Legislature Party Meeting) में ज्यादातर विधायक गैरहाजिर रहे. वे मंत्री शांति धारीवाल के घर पर गए और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप (Congress MLA Resignation) दिया था. उसके बाद से कांग्रेस में मचा घमासान थम नहीं रहा है.