जोधपुर. हर साल प्रवासी पक्षी अलग-अलग हिस्सों से भारत आते हैं. इनके आने और जाने की जानकारी वन्य जीवियों व पक्षी प्रेमियों के पास (Cinereous vulture Okhi brought to Jodhpur) होती है. यह कहां रुकते हैं? कितना समय रुकते हैं? इनका रूट क्या होता है? इन सबको लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं. लेकिन अब सिनेरियस गिद्ध 'ओखी' के आने के बाद इन सभी सवालों के जवाब मिल सकते हैं.
रिसर्च, मैनजेमेंट सभी में होगा उपयोगी : भारती वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए रिसर्च स्कॉलर हरेंद्र बारिया का कहना है कि इस गिद्ध को वापस अपने समूह में पहुंचाने की प्रक्रिया हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा. इसके लिए इसे टैगिंग किया जाएगा. इससे जब इसे समूह में छोड़ा जाएगा, तब हमें इनके बारे में पता चलता रहेगा. जैसे इनके रूट, भारत या राजस्थान में कहां-कहां रूकते हैं, उन नए स्थानों का पता चलेगा. इससे उनके संरक्षण के प्रयास किए जा सकेंगे. इसके अलावा किन-किन स्थानों पर ऐसे पक्षियों को थ्रेट होती है, उसका भी पता चलेगा. जोधपुर में इस गिद्ध को छोड़ने के लिए उन स्थानों का चयन होगा जहां सिनेरियस गिद्ध आते हैं. पास में स्थित डपिंग यार्ड भी हो सकता है.
टैगिंग का ट्रायल करेंगे :माचिया बायोलॉजिकल पार्क के डॉ ज्ञान प्रकाश का कहना है कि वल्चर पूरी तरह से ठीक (Okhi in Jodhpur Machiya Park) है. वह सामान्य हो गया है. अगले प्रोसेस में हम उस पर टैग लगाने का प्रयास करेंगे. इससे पहले कन्याकुमारी में भी प्रयास हुआ था, लेकिन वे सफल नहीं हुए थे. अब हम पहले टैग के बराबर का सामान टैग करेंगे. जब वह उससे अभ्यस्त हो जाएगा तो फिर टैग लगाएंगे. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जब इसके समूह आएंगे तो उसे भी उनके पास छोड़ने की योजना है.
जैसमलेर में पहुंचा दल : हाल में सिनेरियस सहित अन्य प्रजातियों के गिद्धों का दल जैसलमेर पहुंचा है. क्षेत्र के लाठी सहित अन्य जगहों पर यह नजर आ रहे हैं. ऐसे में अब जल्द जोधपुर के आस पास भी इनके टोले दिखेंगे. जिसको लेकर वन विभाग के कार्मिक सक्रिय हैं. सिनेरियस को यूरेशियन वल्चर भी कहा जाता है. क्योंकि यह पुर्तगाल, स्पेन के बाद यूरोप से जुड़े एशिया के हिस्सों में नजर आते हैं.
पांच साल पहले आया था : 2017 में जब ओखी तूफान आया था उस समय यह गिद्ध भटक-कर घायल अवस्था में कन्याकुमारी (Cinereous Vulture Brought to Jodhpur from Chennai) के पास उदयागिरी पहुंच गया था. जहां कभी गिद्ध जाते नहीं हैं. वहां के वन विभाग ने उसका उपचार किया और वहीं बायोलॉजिकल पार्क में रखा. भारतीय वन्यजीव संस्थान से संपर्क रखा गया. इसके बाद तमिलनाडु के वन विभाग ने उसकी देखरेख की. उसकी प्रजाति का पता लगाया गया. हाल ही में तय किया गया कि इस सिनेरियस प्रजाति के गिद्ध का समूह जोधपुर व आस-पास आता है, वहां इसे छोड़ा जाए. जिससे वह वापस अपने घर लौट जाए. इसके लिए ओखी को 3 नवंबर को चैन्नई से एअरलिफ्ट कर जोधपुर लाया गया.