जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल निर्मल सिंह मेडतवाल ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि, ऐसा देखा गया है कि हाईकोर्ट के अधिकारियों, रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों सहित अधीनस्थ न्यायालयों, विशिष्ठ न्यायालयों तथा ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारियों द्वारा न्यायिक और प्रशासनिक आदेशों में आरोपियों या पक्षकारों आदि की जाति को भी शामिल किया जाता है.
रजिस्ट्रार जनरल मेडतवाल के अनुसार यह भारतीय संविधान की आत्मा और राजस्थान हाईकोर्ट के 04 जुलाई 2018 को विविध अपराधिक याचिका संख्या 376, 2018 के तहत जारी आदेश के भी अनुरूप नहीं है.
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जनरल मेडतवाल के मुताबिक, इसीलिए सभी संबंधित को यह आदेश दिया जाता है कि, वे यह सुनिश्चित करें कि न्यायिक और प्रशासनिक आदेशों में आरोपियों सहित किसी भी व्यक्ति के नाम के साथ उनकी जाति को शामिल नहीं करें. रजिस्ट्री कार्यालयों सहित अधीनस्थ अदालतों के पीठासीन अधिकारियों को आदेश की पालना करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.