जयपुर: राजस्थान सरकार अयोध्या और काशी की तर्ज पर खाटूश्याम जी में कॉरिडोर बनाने और मंदिर को भव्य रूप देने के लिए 100 करोड़ खर्च करेगी, लेकिन देवस्थान विभाग के अपने ही मंदिरों के लिए जो बजट निर्धारित किया वो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. विभाग के मंदिरों के लिए बजट के नाम पर 13 करोड़ पास कर इतिश्री की गई. ऐसे में अब प्रदेश में देवस्थान विभाग के 200 से 300 साल पुराने 593 मंदिर अब मरम्मत और जीर्णोद्धार की बाट जोह रहे हैं.
ईटीवी भारत जयपुर के चांदनी चौक स्थित आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर पहुंचा. ये मंदिर करीब ढाई सौ साल पुराना है और यहां भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ विराजमान हैं. मंदिर जयपुर की स्थापत्य कला का एक अनूठा उदाहरण है. हालांकि, अब इस मंदिर की दीवारें दरकने लगी हैं. हाल ही में राज्य सरकार ने यहां रंग रोगन के लिए एक लाख अलॉट किए, जो मंदिर के एक हिस्से में रंग रोगन करने पर ही खर्च हो गए.
इसी तरह ईटीवी भारत यहीं नजदीक में बने ब्रज निधि मंदिर पहुंचा, जहां मंदिर के दरवाजे से उतरता हुआ चूना कह रहा था मानो कि अब मंदिर को जीर्णोद्धार की जरूरत है. देवस्थान विभाग के पुरानी बस्ती स्थित राधावल्लभ जी मंदिर की भी यही कहानी थी. करीब 200 साल पुराने इस मंदिर के कमल के आकार में बने पिलर से कमल लगभग खत्म हो चुके हैं. झरोखे टूट गए हैं. मंदिर की छतरियां अपने विरासत की कहानी को तो कहती हैं, लेकिन चाहती है कि उन्हें भी संवारा जाए.
देवस्थान विभाग के मंदिरों के इन हालातों पर देवस्थान विभाग कर्मचारी संघ संयोजक मातृ प्रसाद शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार की तरफ से देवस्थान विभाग के मंदिरों में रंग रोगन और सफेदी के लिए कुछ बजट स्वीकृत किया गया. करीब एक लाख रुपए प्रत्येक मंदिर के लिए स्वीकृत हुआ, लेकिन देवस्थान विभाग के मंदिर बड़े विशाल और भव्य मंदिर हैं. उनमें एक लाख ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. मंदिरों के हालात जीर्णशीर्ण हैं. चूना उतरा हुआ है, दरारें पड़ी हुई हैं, पट्टियां टूटी हुई हैं. इसलिए विभाग को बजट बढ़ाना चाहिए, ताकि मंदिरों की भव्यता बनी रहे.
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उधर, मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि देवस्थान विभाग के 593 मंदिर हैं. उनका जीर्णोद्धार करना और सुविधाएं विकसित करना ये सभी जिम्मेदारी देवस्थान विभाग की है. विभाग इन मंदिरों का रखरखाव भी करता है और पूजन सामग्री के लिए पैसा भी रिलीज करता है. फिलहाल, जिन मंदिरों को जीर्णोद्धार की आवश्यकता है, उनकी डीपीआर तैयार करवाई जा रही है. उसका एस्टीमेट बनने के बाद टेंडर किए जाएंगे. ये पूरी व्यवस्था पर्यटन विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग को दे रखी है.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने बीते दिनों 13 करोड़ रुपये का बजट भी अलोट किया था, जिसे मंदिरों तक पहुंचाया गया. अब सभी मंदिरों का सर्वे कराया जा रहा है और मंदिरों में कोई सुविधा विकसित करने की आवश्यकता है या जीर्णोद्धार की जरूरत है, तो उसका प्लान बनाया जा रहा है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से विरासत को संग्रहित करने के लिए तो बड़ा बजट खर्च किया जा रहा है, लेकिन विरासत से जुड़े इन मंदिरों पर सरकार का ध्यान नहीं है.
इस पर मंत्री ने कहा कि विभाग को निर्देश दिए हुए हैं, प्लान बन रहा है और फिर कहां-कहां, क्या-क्या काम होना है, उसे बजट में शामिल करते हुए क्रियान्वित करने का काम किया जाएगा. मंत्री के इस बयान से स्पष्ट है कि फिलहाल प्रदेश के इन प्राचीन मंदिरों को अगले बजट तक का इंतजार करना होगा, उसके बाद ही इनके अच्छे दिन आएंगे.