जोधपुर. आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए लोग अपने आपको फर्जी बीमार बताने से भी नहीं चूक रहे हैं. ऐसा ही मामले सामने आया है, जिसमें कुछ लोगों ने फर्जी मरीज बताकर सिलिकोसिस होने का प्रमाणपत्र बना लिया लेकिन न्यूमोकोन्योसिस बोर्ड (pneumoconiosis board) के पास जब सर्टिफिकेट पेश हुए और वहां रिकॉर्ड का मिलान हुआ तो असलियत सामने आ गई.
बॉर्ड की और से दो महिलाओ और 2 पुरुषों के विरुद्ध फर्जी प्रमाणपत्र बनाने (fake silicosis patient in Jodhpur) को लेकर देवनगर थाने में मामला दर्ज करवाया है. देवनगर थाना प्रभारी जयकिशन सोनी ने बताया को बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. पीसी व्यास ने रिपोर्ट दी थी. जिसमे बताया गया कि आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए फर्जी मरीज बताकर प्रमाणपत्र बनाए गए (fake silicosis certificate made in Jodhpur) लेकिन जांच में ऐसे मरीजों का रिकॉर्ड नहीं मिला.
भोपालगढ़ क्षेत्र के भाकरी चौकीदारों का बास निवासी निरमा (28) पत्नी उदाराम, भोपालगढ़ के ही छापला निवासी सुमन पत्नी घनश्याम (32), पालड़ी निवासी गुलाम नबी पुत्र लाल खान (45) और भोपालगढ़ निवासी सलीम पुत्र सदीक (42) की ओर से पेश प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए है. देव नगर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
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गिरोह की आशंका
जोधपुर के कमला नेहरू टीबी अस्पताल में सिलिकोसिस मरीजों का उपचार होता है. यहीं पर न्यूमोकोन्योसिस बोर्ड बनाया गया है. जोधपुर जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में खनन कार्य में सैकड़ों की संख्या में मजदूर कार्यरत हैं. जिनको सिलिकोसिस हो चुका है. कई लोगों की इस बीमारी से मौत भी हो चुकी है. ऐसे मरीजों को आर्थिक सहायता देने और मृतकों को सरकारी मुआवजा देने के लिए सरकार ने व्यवस्था लागू कर रखी है. जिसके लिए न्यूमोकोन्योसिस बोर्ड का प्रमाण पत्र और बोर्ड की सिफारिश आवश्यक होती है.
ऐसे में माना जा रहा है कि जो चार प्रमाण पत्र मिले हैं, वह फर्जी हैं लेकिन इनको बनाने में कहीं कोई गिरोह तो सक्रिय नहीं है. जो ग्रामीण क्षेत्र में जरूरमंदों लोगों का हक मारने के लिए फर्जीवाड़ा कर रहा हो.