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'ब्ल्यू सिटी' का अस्तित्व बचाने के लिए 'गुलाबी नगरी' के नियमों का अध्ययन करेगा जोधपुर नगर निगम - pink city

जोधपुर में मेहरानगढ़ की तलहटी में बसे पुराने शहर के घरों का रंग वर्षों पुरानी परंपरा के तहत नीला होता था, लेकिन इन दिनों ये बदरंग होने लग गया. नीलेपन की एकरुपता कम होती जा रही है. जोधपुर नगर निगम ने शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान को सुरक्षित रखने की कवायद शुरू की है. इसके लिए जयपुर के नियम कायदों का अध्ययन किया जाएगा.

अपनी पहचान खो रही ब्ल्यू सिटी जोधपुर
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Published : Jul 3, 2019, 9:36 PM IST

जोधपुर. शहर को सूर्यनगरी के साथ साथ ब्ल्यू सिटी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वजह है मेहरानगढ़ की तलहटी में बसे पुराने शहर के घरों का रंग नीला होना. यह जोधपुर की बरसों पुरानी परंपरा रही है जिसमें भीतरी शहर के लोग अपने घरों पर होने वाली सफेदी में नील डालकर घरों की पुताई करते थे. एक दशक पहले तक मेहरानगढ़ की पहाड़ी से देखने पर पूरी तलहटी नीली नजर आती थी, लेकिन अब यह बदरंग नजर आती है.

अपनी पहचान खो रही ब्ल्यू सिटी जोधपुर

हालांकि एक हिस्सा खासकर ब्रहृमपुरी वह उसके आस पास का अभी नीला नजर आता है, लेकिन नीलेपन की एकरुपता कम होती जा रही है. यही कारण है कि जोधपुर नगर निगम ने शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान को सुरक्षित रखने की कवायद शुरू की है. इसके लिए जयपुर जिसे पिंक सिटी कहा जाता है उसके नियम कायदों का अध्ययन किया जाएगा.

इसके लिए महापौर घनश्याम ओझा ने जयपुर निगम से गुलाबी नगरी में परकोटा क्षेत्र में भवन पर होने वाले रंग की एकरुपता के लिए बनाए गए नियम मंगवाकर अध्ययन शुरू किया है. जिन्हें जोधपुर में लागू करने के लिए परिस्थितियों का अवलोकन किया जाएगा. जिससे जोधपुर के भीतरी शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान कायम रह सके. इसके लिए नगर निगम की संगठनों से भी बात कर रहा है. अगले सप्ताह नगर निगम इसको लेकर एक बैठक भी करने जा रहा है.

गर्मी से बचने के लिए नीले रंग का उपयोग
सूर्य देवता ज्यादा समय तक जोधपुर शहर में दिखाई देते हैं. जिसके चलते यहां के मकान गर्म हो जाते हैं. खास कर पत्थर से बने मकान और ज्यादा गर्म होते हैं. बरसों से इस मान्यता के साथ नीले रंग का उपयोग किया जाता रहा है कि इसके उपयोग के बाद मकान ठण्डे रहते हैं.

शूटिंग स्पॉट है ब्ल्यू सिटी
भीतरी शहर के घरों पर निला रंग फिल्म निर्माताओं व निर्देशकों को बहुत भाता है. यही कारण है कि ब्रहृमपुरी व अन्य इलाकों में आए दिन फिल्मों व विज्ञापनों की शूटिंग होती रहती है. हालांकि फिल्मों में ब्ल्यू सिटी को पहचान जंगल बुक से मिली थी जिसकी आधी से ज्यादा शूटिंग जोधपुर के ब्रहृमपुरी क्षेत्र में हुई थी. यह क्रम आज भी जारी है. हिंदी फिल्मों के अलावा दक्षिण भाषा की फिल्मों की भी शूटिंग यहां होती रहती है.

जोधपुर. शहर को सूर्यनगरी के साथ साथ ब्ल्यू सिटी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वजह है मेहरानगढ़ की तलहटी में बसे पुराने शहर के घरों का रंग नीला होना. यह जोधपुर की बरसों पुरानी परंपरा रही है जिसमें भीतरी शहर के लोग अपने घरों पर होने वाली सफेदी में नील डालकर घरों की पुताई करते थे. एक दशक पहले तक मेहरानगढ़ की पहाड़ी से देखने पर पूरी तलहटी नीली नजर आती थी, लेकिन अब यह बदरंग नजर आती है.

अपनी पहचान खो रही ब्ल्यू सिटी जोधपुर

हालांकि एक हिस्सा खासकर ब्रहृमपुरी वह उसके आस पास का अभी नीला नजर आता है, लेकिन नीलेपन की एकरुपता कम होती जा रही है. यही कारण है कि जोधपुर नगर निगम ने शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान को सुरक्षित रखने की कवायद शुरू की है. इसके लिए जयपुर जिसे पिंक सिटी कहा जाता है उसके नियम कायदों का अध्ययन किया जाएगा.

इसके लिए महापौर घनश्याम ओझा ने जयपुर निगम से गुलाबी नगरी में परकोटा क्षेत्र में भवन पर होने वाले रंग की एकरुपता के लिए बनाए गए नियम मंगवाकर अध्ययन शुरू किया है. जिन्हें जोधपुर में लागू करने के लिए परिस्थितियों का अवलोकन किया जाएगा. जिससे जोधपुर के भीतरी शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान कायम रह सके. इसके लिए नगर निगम की संगठनों से भी बात कर रहा है. अगले सप्ताह नगर निगम इसको लेकर एक बैठक भी करने जा रहा है.

गर्मी से बचने के लिए नीले रंग का उपयोग
सूर्य देवता ज्यादा समय तक जोधपुर शहर में दिखाई देते हैं. जिसके चलते यहां के मकान गर्म हो जाते हैं. खास कर पत्थर से बने मकान और ज्यादा गर्म होते हैं. बरसों से इस मान्यता के साथ नीले रंग का उपयोग किया जाता रहा है कि इसके उपयोग के बाद मकान ठण्डे रहते हैं.

शूटिंग स्पॉट है ब्ल्यू सिटी
भीतरी शहर के घरों पर निला रंग फिल्म निर्माताओं व निर्देशकों को बहुत भाता है. यही कारण है कि ब्रहृमपुरी व अन्य इलाकों में आए दिन फिल्मों व विज्ञापनों की शूटिंग होती रहती है. हालांकि फिल्मों में ब्ल्यू सिटी को पहचान जंगल बुक से मिली थी जिसकी आधी से ज्यादा शूटिंग जोधपुर के ब्रहृमपुरी क्षेत्र में हुई थी. यह क्रम आज भी जारी है. हिंदी फिल्मों के अलावा दक्षिण भाषा की फिल्मों की भी शूटिंग यहां होती रहती है.

Intro:जोधपुर को ब्लू सिटी बनाने के लिए जयपुर गुलाबी नगरी के लिए बनाए गए नियमों का अध्ययन कर रहा है जोधपुर नगर निगम


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जोधपुर को सूर्यनगरी के साथ साथ ब्ल्यू सिटी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह है मेहरानगढ की तलहटी में बसे पुराने शहर के घरों का रंग नीला होना। यह जोधपुर की बरसों पुरानी परंपरा रही है जिसमें भीतरी शहर के लोग अपने घरों पर होने वाली सफेदी में नील डालकर उसे नीला कर पुताई करते थे। एक दशक पहले तक मेहरानगढ की पहाडी से देखने पर पूरी तलहटी नीली नजर आती थी, लेकिन अब यह बदरंग नजर आती है। हालांकि एक हिस्सा खासकर ब्रहृमपुरी वह उसके आस पास का अभी नीला नजर आता है, लेकिन नीलेपन की एकरुपता कम होती जा रही है। यही कारण है कि जोधपुर नगर निगम ने शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान को सुरक्षित रखने की कवायद शुरू की है। इसके लिए जयपुर जिसे पिंक सिटी कहा जाता है उसके नियम कायदों का अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए महापौर घनश्याम ओझा ने जयपुर निगम से गुलाबी नगरी में परकोटा क्षेत्र में भवन पर होने वाले रंग की एकरुपता के लिए बनाए गए नियम मंगवाकर अध्ययन शुरू किया है। जिन्हें जोधपुर में लागू करने के लिए परिस्थितियों का अवलोकन किया जाएगा। जिससे जोधपुर के भीतरी शहर की ब्ल्यू सिटी की पहचान कायम रह सके। इसके लिए नगर निगम की संगठनों से भी बात कर रहा है। अगले सप्ताह नगर निगम इसको लेकर एक बैठक भी करने जा रहा है।

गर्मी से बचने के लिए नीले रंग काउपयोग
सूर्य देवता ज्यादा समय तक जोधपुर शहर में दिखाई देते हैं।  जिसके चलते यहां के मकान गर्म हो जाते हैं। खास कर पत्थर से बने मकान और ज्यादा कर्म होते हैं। बरसों से इस मान्यता के साथ नीले रंग का उपयोग कियाजाता रहा है कि इसके उपयोग के बाद मकान ठण्डे रहते हैं। 
शूटिंग स्पॉट है ब्ल्यू सिटी
भीतरी शहर के घरों पर निला रंग फिल्म निर्माताओं  व निर्देशकों को बहुत भाता है। यही कारण है कि ब्रहृमपुरी व अन्य इलाकों में आए दिन फिल्मों व विज्ञापनों की शूटिंग होती रहती है। हालांकि फिल्मों में ब्ल्यू सिटी को पहचान जंगल बुक से मिली थी जिसकी आधी से ज्यादा शूटिंग जोधपुर के ब्रहृमपुरी क्षेत्र में हुई थी। यह क्रम आज भी जारी है। हिंदी फिल्मों के अलावा दक्षिण भाषा की फिल्मों की भी शूटिंग यहां होती रहती है।
bite घनश्याम ओझा, महापौर


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