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BJP Jodhpur Politics : लोहावट में बाहरी के नाम पर गजेंद्र सिंह खींवसर का विरोध, भागीरथ बेनीवाल ने खोला मोर्चा

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Published : Jul 29, 2023, 8:14 AM IST

BJP Jodhpur Politics, लोहावट में बाहरी के नाम पर खींवसर का विरोध शुरू, स्थानीय नेतृत्व की मांग भाजपा के पूर्व प्रधान। भागीरथ बेनीवाल ने खोला मोर्चा कहा बाहरी को नहीं सहेगा लोहावट

BJP Jodhpur Politics
भागीरथ बेनीवाल ने खोला मोर्चा

जोधपुर. जिले में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सक्रियता बढ़ाई है, तो दूसरी ओर पार्टी में नेताओं के आपसी विरोध के स्वर निकलने भी शुरू हो गए हैं. लोहावट विधानसभा से दो विधायक बन कर एक बार मंत्री रह चुके गजेंद्र सिंह खींवसर का चुनाव से पहले ही खुलकर विरोध होना शुरू हो गया है. लोहावट के पूर्व प्रधान भाजपा नेता भागीरथ बेनीवाल ने नहीं सहेगा राजस्थान की तर्ज पर बाहरी को नहीं सहेगा लोहावट की आवाज बुलंद कर दी है.

दरअसल, लोहावट के गुरु जम्भेश्वर स्टेडियम में आयोजित नहीं सहेगा राजस्थान अभियान के तहत हुई मीटिंग में बेनीवाल ने जयपुर से आए भाजपा नेताओं के सामने कहा कि बाहरी लोगों का नेतृत्व लोहावट नहीं मानेगा. बेनीवाल ने बिना नाम लिए सीधे अपने धुर विरोधी दो बार लोहावट से विधायक रहे गजेंद्र सिंह खींवसर पर हमला बोलते हुए कहा कि बाहर से लोग आ जाते हैं, उनको पता नहीं होता लोहावट में कहां क्या है? फिर नक्शे देखते रहते हैं. यहां पार्टी के लोग बाहरी नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे. भाजपा का नेतृत्व स्थानीय हो, चाहे किसी भी जाति का हो, लेकिन अब बाहरी को लोहावट नहीं सहेगा.

पढ़ें : Rajasthan Tilak Dispute : सीपी जोशी बोले- किसको खुश करने के लिए तुष्टिकरण कर रहे हैं सीएम अशोक गहलोत ?

खींवसर और बेनीवाल धुर विरोधी हैं : भागीरथ बेनीवाल लोहावट के प्रधान रह चुके हैं. उस समय खींवसर तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री थे, लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच खटपट चलती रहती थी. कई मामलों में खींवसर ने अपनी पार्टी के नेता को तवज्जो नहीं दी तो प्रधान ने भी मंत्री को घास नहीं डाली. गत चुनाव में खींवसर को हार का सामना करना पड़ा, तब माना जा रहा था कि लोग अब बाहरी को समर्थन नहीं देंगे. हालांकि, खींवसर और उनके पुत्र लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन दावेदारी से पहले ही इस बार खुलकर विरोध होने लगा है.

वसुंधरा के नजदीकी, इस बार राह मुश्किल : 2008 में जब परिसीमन हुआ था तो गजेंद्र सिंह खींवसर ने नागौर जिले की अपनी खींवसर विधानसभा सीट छोड़ दी. नवगठित लोहावट से चुनाव लड़ा. भाजपा में वसुंधरा के करीबी होने का फायदा मिला और तीन बार टिकट भी लेकर आए. गत चुनाव के दौरान भी बाहरी का मुद्दा उठा था, जिसका नुकसान भी उठाना पड़ा. इस बार खींवसर की राह मुश्किल होती नजर आ रही है, क्योंकि विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय राजपूत नेता भी अपनी दावेदारी जताने लगे हैं.

जोधपुर. जिले में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सक्रियता बढ़ाई है, तो दूसरी ओर पार्टी में नेताओं के आपसी विरोध के स्वर निकलने भी शुरू हो गए हैं. लोहावट विधानसभा से दो विधायक बन कर एक बार मंत्री रह चुके गजेंद्र सिंह खींवसर का चुनाव से पहले ही खुलकर विरोध होना शुरू हो गया है. लोहावट के पूर्व प्रधान भाजपा नेता भागीरथ बेनीवाल ने नहीं सहेगा राजस्थान की तर्ज पर बाहरी को नहीं सहेगा लोहावट की आवाज बुलंद कर दी है.

दरअसल, लोहावट के गुरु जम्भेश्वर स्टेडियम में आयोजित नहीं सहेगा राजस्थान अभियान के तहत हुई मीटिंग में बेनीवाल ने जयपुर से आए भाजपा नेताओं के सामने कहा कि बाहरी लोगों का नेतृत्व लोहावट नहीं मानेगा. बेनीवाल ने बिना नाम लिए सीधे अपने धुर विरोधी दो बार लोहावट से विधायक रहे गजेंद्र सिंह खींवसर पर हमला बोलते हुए कहा कि बाहर से लोग आ जाते हैं, उनको पता नहीं होता लोहावट में कहां क्या है? फिर नक्शे देखते रहते हैं. यहां पार्टी के लोग बाहरी नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे. भाजपा का नेतृत्व स्थानीय हो, चाहे किसी भी जाति का हो, लेकिन अब बाहरी को लोहावट नहीं सहेगा.

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खींवसर और बेनीवाल धुर विरोधी हैं : भागीरथ बेनीवाल लोहावट के प्रधान रह चुके हैं. उस समय खींवसर तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री थे, लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच खटपट चलती रहती थी. कई मामलों में खींवसर ने अपनी पार्टी के नेता को तवज्जो नहीं दी तो प्रधान ने भी मंत्री को घास नहीं डाली. गत चुनाव में खींवसर को हार का सामना करना पड़ा, तब माना जा रहा था कि लोग अब बाहरी को समर्थन नहीं देंगे. हालांकि, खींवसर और उनके पुत्र लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन दावेदारी से पहले ही इस बार खुलकर विरोध होने लगा है.

वसुंधरा के नजदीकी, इस बार राह मुश्किल : 2008 में जब परिसीमन हुआ था तो गजेंद्र सिंह खींवसर ने नागौर जिले की अपनी खींवसर विधानसभा सीट छोड़ दी. नवगठित लोहावट से चुनाव लड़ा. भाजपा में वसुंधरा के करीबी होने का फायदा मिला और तीन बार टिकट भी लेकर आए. गत चुनाव के दौरान भी बाहरी का मुद्दा उठा था, जिसका नुकसान भी उठाना पड़ा. इस बार खींवसर की राह मुश्किल होती नजर आ रही है, क्योंकि विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय राजपूत नेता भी अपनी दावेदारी जताने लगे हैं.

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