जोधपुर. अशोक गहलोत ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को अपने पक्ष में करने के लिए पुरानी पेंशन लागू की थी, जिसके प्रचार प्रसार पर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च भी किए. कांग्रेस को पूरा विश्वास था कि चुनाव में कर्मचारियों का सहयोग और समर्थन मिल सकेगा. ऐसा माना जा रहा था कि ओपीएस मिलने से कर्मचारी एक तरफा कांग्रेस को वोट देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
कर्मचारियों ने सरकार को कितना सहयोग किया इसका पता पोस्टल बैलट की वोटिंग से चलता है.अशोक गहलोत के गृह जिले के पोस्टल बैलेट के मतदान के ट्रेंड पर नजर डालें तो साफ नजर आता है कि जिले में कर्मचारियों ने भाजपा को भी बड़ी संख्या में वोट दिए. दस में से 4 विधानसभा में तो कांग्रेस से ज्यादा भाजपा को पोस्टल बैलेट मिले हैं, जबकि बाकी छह में भी कांग्रेस को भी इकतरफा नहीं मिले हैं. आरएलपी को भी पोस्टल बैलेट मिले हैं.
पढ़ें:विधायक दल की बैठक के बाद अशोक गहलोत बोले- प्रदेश का खजाना खाली नहीं, कर्जे से ही चलती है सरकार
नहीं चला OPS वाला मास्टर स्ट्रोक: इस ट्रेंड से पता चलता है कि सरकार जिस ओपीएस को अपना मास्टर स्ट्रोक मान रही थी. उसे कर्मचारियों ने ही पूरी तरह से स्वीकार नही किया. जोधपुर जिले में कुल 19437 पोस्टल बैलेट से वोटिंग हुई हैं जिसमें 90 फीसदी कर्मचारियों के हैं, जबकि दस फीसदी होम वोटिंग वाले बुजुर्ग और दिव्यांग के मत हैं.
सब में बंटे पोस्टल बैलेट मत: जोधुपर में डाले गए कुल 19437 पोस्टल बैलेट में कांग्रेस को 8902 मत मिले हैं. वहीं भाजपा को 8465 पोस्टल वोट मिले. इसके अलावा 1821 मत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और अन्य के खाते में गए हैं. कुछ लोगों ने तो नोटा का भी विकल्प चुना है. इससे साफ जाहिर होता है कि कर्मचारियों ने ओपीएस देने के बावजूद गहलोत और कांग्रेस पार्टी को पूरे मत नहीं दिए.
नहीं मिला घर में साथ: जोधपुर की दस विधानसभाओं में से छह में पोस्टल बैलेट लेने में कांग्रेस आगे रही है, जबकि चार विधानसभा शेरगढ, सूरसागर, जोधपुर शहर और फलौदी में भाजपा उम्मीदवार ने कांग्रेस से ज्यादा पोस्टल वोट लिए हैं, जबकि सरदारपुरा, ओसियां, भोपालगढ, बिलाड़ा, लूणी, और लोहावट में कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले हैं. इतना ही नहीं कर्मचारियों ने बिलाड़ा, लोहावट और भोपालगढ में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशियों को भी पोस्टल बैलेट में वोट मिले हैं.