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आशा कार्यकर्ताओं को मात्र 2700 रुपए का दिया जा रहा मानदेय

आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मजदूरी लायक भी मानदेय नहीं दिया जा रहा है. इनको मात्र 2700 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है. अब आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर बाल संरक्षण आयोग राजस्थान के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को ज्ञापन भेजा हैं.

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आशा कार्यकर्ताओं को मात्र 2700 रुपए का दिया जा रहा मानदेय
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Published : Jul 16, 2020, 6:04 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर). महिला एवं बाल विकास समेत चिकित्सा विभाग के दर्जनों कार्यों का बोझ संभाल रही आशा कार्यकर्ताओं को सरकार न्यूनतम मजदूरी लायक भी मानदेय नहीं दे रही है. हाल ही में विभाग ने कोरोना संक्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को सर्वे का कार्य में लगया था. बताया जा रहा है कि आशा कार्यर्ताओं का मानदेय भी इतना कम है कि उनसे स्मार्ट फोन भी खरीदा नहीं जाता है. वहीं आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर बाल संरक्षण आयोग राजस्थान के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को ज्ञापन भेजा है.

यह भी पढ़ें- COVID-19 : प्रदेश में 143 नए पॉजिटिव केस, 4 की मौत, कुल पॉजिटिव आंकड़ा 26 हजार 580 पहुंचा

आशा कार्यकर्ता सेठु गोदारा, सलमा शेखनगर, प्रेम, सीमा कंवर, भगवती मेहरा, सीमा, गोमी कुड़िया, शारदा, बेबी, कंचन कंवर, कमला और सन्तोष ने बताया कि सरकार मानदेय के नाम पर उन्हें महज 2700 रुपए दे रही है, जो इस महंगाई में नाकाफी है. काम का बोझ इतना है कि कोई दूसरा काम भी नहीं कर पाते, जिससे घर खर्च में भी परेशानी होती है.

इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर बाल संरक्षण आयोग राजस्थान के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को ज्ञापन भेजा है. बताया जा रहा है कि आंगनबाड़ी में टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, किशोरी बालिकाओं का पोषण, नवजात शिशुओं की देखभाल, डोर टू डोर सर्वे आदि आशा सहयोगिनियों के द्वारा किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- सचिन पायलट के पास अब कौनसे विकल्प बचे हैं, क्या हो पाएगी घर वापसी?

हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने आशाओं को कोविड-19 को लेकर घर-घर सर्वे का कार्य सौंपा है. इसके लिए ऑनलाइन मोबाइल एप द्वारा सर्वे किया जा रहा है, लेकिन कई कार्यकर्ताओं स्मार्ट फोन नहीं है. कई कार्यकर्ता इधर-उधर से उधार पैसों की व्यवस्था कर स्मार्ट फोन खरीद रही है. वहीं समस्याओं को लेकर आशा सहयोगिनी ने सरकार से नियमित कर मानदेय बढ़ाने की मांग की है.

भोपालगढ़ (जोधपुर). महिला एवं बाल विकास समेत चिकित्सा विभाग के दर्जनों कार्यों का बोझ संभाल रही आशा कार्यकर्ताओं को सरकार न्यूनतम मजदूरी लायक भी मानदेय नहीं दे रही है. हाल ही में विभाग ने कोरोना संक्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को सर्वे का कार्य में लगया था. बताया जा रहा है कि आशा कार्यर्ताओं का मानदेय भी इतना कम है कि उनसे स्मार्ट फोन भी खरीदा नहीं जाता है. वहीं आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर बाल संरक्षण आयोग राजस्थान के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को ज्ञापन भेजा है.

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आशा कार्यकर्ता सेठु गोदारा, सलमा शेखनगर, प्रेम, सीमा कंवर, भगवती मेहरा, सीमा, गोमी कुड़िया, शारदा, बेबी, कंचन कंवर, कमला और सन्तोष ने बताया कि सरकार मानदेय के नाम पर उन्हें महज 2700 रुपए दे रही है, जो इस महंगाई में नाकाफी है. काम का बोझ इतना है कि कोई दूसरा काम भी नहीं कर पाते, जिससे घर खर्च में भी परेशानी होती है.

इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर बाल संरक्षण आयोग राजस्थान के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को ज्ञापन भेजा है. बताया जा रहा है कि आंगनबाड़ी में टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, किशोरी बालिकाओं का पोषण, नवजात शिशुओं की देखभाल, डोर टू डोर सर्वे आदि आशा सहयोगिनियों के द्वारा किया जा रहा है.

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हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने आशाओं को कोविड-19 को लेकर घर-घर सर्वे का कार्य सौंपा है. इसके लिए ऑनलाइन मोबाइल एप द्वारा सर्वे किया जा रहा है, लेकिन कई कार्यकर्ताओं स्मार्ट फोन नहीं है. कई कार्यकर्ता इधर-उधर से उधार पैसों की व्यवस्था कर स्मार्ट फोन खरीद रही है. वहीं समस्याओं को लेकर आशा सहयोगिनी ने सरकार से नियमित कर मानदेय बढ़ाने की मांग की है.

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