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हाईकोर्ट ने सीएस को किया तलब, सरकार पर लगाया एक लाख रुपए का हर्जाना, यह है मामला

राजस्थान हाईकोर्ट ने लंबित अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया है.

SUMMONED THE CHIEF SECRETARY,  ROAD ACCIDENTS
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2024, 10:54 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में जान बचाने के उपायों को लेकर राज्य सरकार की ओर से आठ साल से जवाब पेश नहीं करने और सुनवाई के दौरान सरकार का कोई प्रतिनिधि पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को 27 नवंबर को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि लगता है कि सरकार इस जैसे गंभीर मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रही है. ऐसे में मामले की सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया जाता है. अदालत ने हर्जाना राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने को कहा है. जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश भरपाई व अन्य की 21 साल से लंबित अपील पर सुनवाई के दौरान दिए.

अदालत ने कहा कि 7 मई, 2015 को जयपुर में फ्लाई ओवर और सड़कों को चौड़ा करवाने, मुख्य चौराहों और तिराहों का विकास, चारदीवारी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, अतिक्रमण हटाने, जेब्रा क्रॉसिंग को लेकर विस्तृत निर्देश दिए थे. साथ ही पैदल व साइकिल मार्गो का विकास, सड़कों से यातायात में बाधा बने पेड़, ट्रांसफार्मर व डेयरी बूथ हटाने सहित 25 बिंदुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे.

पढ़ेंः केन्द्र और राज्य सरकार बताए कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए जा रहे

कोर्ट ने इन निर्देशों की ओर सरकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस मामले में मई, 2015 से सितंबर, 2022 तक महाधिवक्ता पैरवी के लिए हाजिर होते रहे. फरवरी, 2024 में कोई हाजिर नहीं हुआ और मार्च में फिर एजी पेश हुए. इसके बाद दो तारीखों पर एएजी पेश हुए, लेकिन फिर कोई नहीं आया. अदालत ने कहा कि आठ साल पुराने निर्देशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो गंभीर है. ऐसे में राज्य सरकार की लापरवाही पर जवाब देने के लिए मुख्य सचिव को बुलाना जरूरी है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में जान बचाने के उपायों को लेकर राज्य सरकार की ओर से आठ साल से जवाब पेश नहीं करने और सुनवाई के दौरान सरकार का कोई प्रतिनिधि पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को 27 नवंबर को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि लगता है कि सरकार इस जैसे गंभीर मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रही है. ऐसे में मामले की सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया जाता है. अदालत ने हर्जाना राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने को कहा है. जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश भरपाई व अन्य की 21 साल से लंबित अपील पर सुनवाई के दौरान दिए.

अदालत ने कहा कि 7 मई, 2015 को जयपुर में फ्लाई ओवर और सड़कों को चौड़ा करवाने, मुख्य चौराहों और तिराहों का विकास, चारदीवारी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, अतिक्रमण हटाने, जेब्रा क्रॉसिंग को लेकर विस्तृत निर्देश दिए थे. साथ ही पैदल व साइकिल मार्गो का विकास, सड़कों से यातायात में बाधा बने पेड़, ट्रांसफार्मर व डेयरी बूथ हटाने सहित 25 बिंदुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे.

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कोर्ट ने इन निर्देशों की ओर सरकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस मामले में मई, 2015 से सितंबर, 2022 तक महाधिवक्ता पैरवी के लिए हाजिर होते रहे. फरवरी, 2024 में कोई हाजिर नहीं हुआ और मार्च में फिर एजी पेश हुए. इसके बाद दो तारीखों पर एएजी पेश हुए, लेकिन फिर कोई नहीं आया. अदालत ने कहा कि आठ साल पुराने निर्देशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो गंभीर है. ऐसे में राज्य सरकार की लापरवाही पर जवाब देने के लिए मुख्य सचिव को बुलाना जरूरी है.

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