जोधपुर. डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मथुरादास माथुर (Angiography of the brain started) अस्पताल में स्थापित की गई न्यूरोइंटरवेशन लैब में डीएसए तकनीक से मरीजों का उपचार शुरू हो गया है. इसके तहत एक मरीज के मस्तिष्क की सफलतापूर्वक एंजियोग्राफी का ट्रायल किया गया.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिलीप कच्छवाह ने बताया कि न्यूरोइंटरवेशन लैब बहुप्रतिक्षित प्रोजेक्ट था. करीब दस करोड़ रुपए की लागत से स्थापित की गई है. जल्द ही मरीजों को यहां नियमित उपचार मिलेगा. न्यूरोइन्टरवेन्शन इन्चार्ज डॉ शरद थानवी ने बताया कि न्यूरोइन्टरवेन्शन लैब में मस्तिष्क एवं मेरूरज्जू के धमनी एवं शिरा से संबंधित बीमारियों का बिना सिर को खोले उपचार हो सकेगा. इस तकनीक से हाथ की नसों से कैथेटर के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच कर वहां मौजूद विकृति की पहचान कर उपचार किया जा सकेगा. ट्रॉयल के दौरान मरीज की दिमाग की नसों की जांच की गई. लैब में जल्द ही एन्यूरिज्म, कॉइलिंग, एवीएम, मबोलिजेशन, वेसल्स स्टेंटिंग व रिकैनालिजेशन जैसे आपरेशन बिना चीर फाड़ के हो सकेंगे.
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ब्रेन स्ट्रॉक के मरीजों के लिए राहतः न्यूरोइंटरवेंशन लैब के शुरू होने से पश्चिमी राजस्थान में ब्रेन स्ट्रॉक के चलते लकवे का शिकार होकर आने वाले मरीजों को काफी लाभ मिलेगा. ऐसे मरीजों की समय रहते स्ट्रोक के बाद दिमाग की नसों में जमने वाले खून के थक्के की जांच इस लैब में आसानी से हो सकेगी. साथ ही थक्कों को हटाया भी जा सकेगा. जिससे नसों में रक्त प्रवाह सामान्य होने से मरीजों की रिकवरी तेज होगी. वर्तमान में ऐसे मरीजों के थक्के पहले दवाई से हटाने के प्रयास होते हैं इसके बाद सिर खोलकर आपरेशन करना पड़ता है. एमडीएम अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने बताया कि इस सुविधा का मरीजों को निःशुल्क लाभ मिलेगा.