झुंझुनूं. साल 2019 अब जाने को है. लेकिन इस साल ने झुंझुनूं को कलंकित कर दिया. पूरा मामला केंद्र सरकार द्वारा झुंझुनूं में संचालित एक प्रतिष्ठित स्कूल का है. यहां एक शिक्षक ने 12 बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाते हुए उनके साथ कुकर्म किया था. इस पूरे मामले में झुंझुनूं की सदर पुलिस ने एक आरोपी शिक्षक को भी गिरफ्तार किया. जिसके खिलाफ पोक्सो में मामला दर्ज किया.
बच्चे बोले उसे सर मत कहो
आरोपी शिक्षक को हाल ही में स्कूल में हुए कार्यक्रम में सम्मानित किया गया था, लेकिन वो गुरू के नाम पर कलंक निकला. मामला खुला ऐसे था कि जिस बच्चे के साथ कुकर्म हुआ था. उसी ने सबसे पहले हिम्मत की थी और शिकायत पेटी में अपनी व्यथा लिखी, लेकिन क्रूर व धूर्त शिक्षक अपनी करतूतों को छिपाने के लिए सतर्क था और उसने सारे अनुशासन, कर्नल जैसे अधिकारी वाले प्राचार्य की निगाहबान आंखों व सीसीटीवी कैमरा को भी धता बताते हुए पेटी से शिकायत ही गायब करवा दी. बाद में बाल आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल के नेतृत्व में टीम ने पूरे मामले की छानबीन की तो मासूमों के मुंह से एक ही बात निकली कि आप उस को सर मत कहो. हम उस अपराधी को सजा दिलाने के बाद इस स्कूल को छोड़ जाएंगे. हालांकि बाल आयोग की टीम ने भरसक प्रयास किया कि उनके बाल मन पर अंकित वह दर्दनाक हादसा मिट जाए. बाल आयोग की मानें तो बच्चे स्कूल में अपना स्टडी कंटिन्यू करने के लिए तैयार हो गए हैं.
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सलाम है मासूम की हिम्मत को
लेकिन मासूम बालक भी अब यह ठान चुका था कि यदि इसका पर्दाफाश नहीं किया गया तो यह उस जैसे और नए आने वाले मन के भोले बालकों का बचपन खा जाएगा. उसने अभिभावक समिति की बैठक में आवाज उठा दी और इसके बाद तो जैसे स्कूल के प्रशासन को सांप सूंघ गया. उन्हें समझ ही नहीं आया कि उसके स्कूल में ऐसा कैसे हो सकता है. जहां सारे शिक्षक कहीं ना कहीं सेना से जुड़े हुए हैं. सैकड़ों कैमरे लगे हुए हैं आनन-फानन में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई. आरोपी शिक्षक को दबोचा गया. आरोपी शिक्षक मूल रूप से झुंझुनूं के एक काली पहाड़ी हाल बीकानेर निवासी रविंद्र सिंह शेखावत है.
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प्राचार्य भी आ गए हैं लपेटे में
शिक्षक तो अभी जेल में ही था कि वही स्कूल के ही कैंपस में कार्यरत रिटायर्ड सूबेदार मेजर ने भी प्राचार्य व एक अन्य लिपिक पर गंभीर आरोप लगाते हुए फांसी लगाकर अपनी ईहलीला खत्म कर ली. बताया गया कि मामला बच्चों के साथ कुकर्म से जुड़ा हुआ था और प्राचार्य व अन्य लिपिक इस मामले को बाहर बताने के लिए उसे टॉर्चर कर रहे थे.