झुंझुनूं. शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यालय में 'खुशियों की दीवार' उकेरी, जो कि विद्यार्थी, शिक्षकों, संस्था प्रधानों, ब्लॉक और जिला अधिकारियों को सामाजिक भावनात्मक और नैतिक अधिगम के महत्व और उपयोग को दर्शाता है. यह माना जा रहा है कि यह खुशियों की दीवार, जो कि सामाजिक भावनात्मक और नैतिक अधिगम पाठ्यक्रम पर आधारित है. जिसका उद्देश्य तनाव मुक्त शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना है, जहां छात्र स्वयं के साथ कुछ समय व्यतीत कर अपनी भावनाओं को पहचान कर व्यक्त करना और मन में चल रहे विभिन्न तरह के विचारों को समझना और उन विचारों को नियंत्रित कर स्वयं के लिए करुणा और दयालुता को प्रकट करने का अभ्यास कर सके.
सभी विद्यालयों में तैयार हो खुशियों की दीवार...
जिला शिक्षा अधिकारी अमरसिंह पचार ने सभी संस्था प्रधानों को विद्यालय में इसी तरह की खुशियों की दीवार बनाने के लिए प्रेरित किया, ताकि सामाजिक भावनात्मक और नैतिक अधिगम के माध्यम से बच्चों के भावनात्मक विकास को सुनिश्चित किया जा सके. वहीं, पीरामल फाउंडेशन के गजेंद्र सिंह ने बताया कि सामाजिक भावनात्मक और नैतिक शिक्षण पाठ्यक्रम और संसाधनों का एक पैकेज है जो कि मोरी विश्वविद्यालय यूएसए की ओर से तैयार किया गया है.
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यह पाठ्यक्रम छात्रों को एक वैश्विक समुदाय के साथ नैतिक रूप से जुड़ने का अधिकार देता है और शिक्षकों को विद्यार्थियों के कल्याण के प्रयासों के लिए टूल प्रदान करता है जो कि सामाजिक भावनात्मक और नैतिक अधिगम का उद्देश्य समावेशी शिक्षण के व्यापक ढांचे का निर्माण कर शैक्षिक वातावरण में करुणा, प्रेम और दयालुता को समाहित करना है.